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Showing posts from June, 2021

आर्य समाज और पंजाब की महिलाएं-3

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 *आर्य समाज और महिलाएं* (सन्दर्भ संयुक्त पंजाब)             स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपनी संपूर्ण कार्यों में सर्वोपरि महिलाओं की शिक्षा को रखा ।अपने बाल्यकाल में ही अपनी अत्यंत प्रिय बहन का वियोग उन्होंने सहा था। उसकी मृत्यु के बाद वे कई दिन तक शोक ग्रस्त तथा उद्विग्न रहे। अपनी माता के कहने पर ही उस मूलशंकर ने शिवरात्रि के अवसर पर पूरी रात जाग कर शिव  प्राप्ति का संकल्प लिया था।         स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना के बाद तो महिलाओं के सशक्तिकरण ,उद्धार एवं उन्हें शिक्षित करने का अनुप म कार्य किया। उनसे पूर्व ब्राह्मण समाज में यह धारणा थी कि , *स्त्री शूद्रौ नाधीयातामिति श्रुते:* अर्थात स्त्री और शूद्र न पढ़ें यह श्रुति है । परंतु दयानंद ने इसके उत्तर में कहा कि सभी स्त्री-पुरुष अर्थात मनुष्य मात्र को पढ़ने का अधिकार है। उन्होंने उन पौराणिक ग्रंथों की भर्त्सना की  जिसमें महिलाओं सहित अन्य पिछड़े दलित वर्गों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया गया था। अपने पक्ष के समर्थन में वेद के इस मंत्र को, ' *यथेमा...

Arya Samaj and United Punjab-2

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 *ऋषि दयानंद व सँयुक्त पंजाब* महर्षि दयानंद सरस्वती का सबसे ज्यादा प्रभाव संयुक्त पंजाब( पंजाब_ पाकिस्तान, पंजाब- भारत, वर्तमान हरियाणा) के साथ-साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली तथा दक्षिणी राजस्थान में पड़ा । इसका कारण यह भी हो सकता है कि ये सभी इलाके कृषि प्रधान थे तथा इससे जुड़ी तमाम किसानी जातियां एक दूसरे पर निर्भर थीं। मेहनती लोगों के पराक्रम ने भी महर्षि दयानंद के विचारों को उत्साहित किया।      स्वामी दयानंद सरस्वती जन्मना ब्राह्मण, वर्ण एवं जाति से थे ।  इसके विपरीत वे अस्पृश्यता, भेदभाव तथा जन्मजात वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध थे और जब वे अपने वक्तव्यों में कहते कि अस्पृश्यता वेद विरुद्ध है, महिलाओं को भी पुरुषों के समान बराबर के अधिकार हैं तथा किसी व्यक्ति के वर्ण को उसके जन्म से नहीं, उसके गुण, कर्म ,स्वभाव से जाना जाएगा तो इस क्षेत्र की तमाम श्रमिक जातियां जिसमें विशेष तौर पर जाट, गुर्जर, रोड, राजपूत ,सैनी व दलित जातियां थी ,वे उनके पीछे लामबंद होने लगीं।    जमीदारों ने भी अपने खेतों को बेघर व बेजमीन दलित लोगों की दैनिक क्रियाओं के लिए खुला छोड़ ...

Sundar lal Bahuguna Memorial Lecture

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*गांधी मार्ग का पथिक*  (श्री सुन्दर लाल बहुगुणा स्मृति व्याख्यान की एक रपट) 💐💐💐💐💐 प्रसिद्ध गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी, चिपको आंदोलन के प्रवर्तक तथा पर्यावरणविद् पद्मविभूषण श्री सुंदरलाल जी बहुगुणा की पावन स्मृति में नित्यनूतन वार्ता की ओर से एक स्मृति व्याख्यान का आयोजन दिनांक 30 मई को गूगल मीट पर किया गया।       स्मृति व्याख्यान के प्रारंभ में अपने स्वागत वक्तव्य में नित्यनूतन के मुख्य संपादक श्री राम मोहन राय ने पत्रिका का परिचय दिया एवं श्री सुंदरलाल बहुगुणा, उनकी पत्नी श्रीमती विमला देवी बहुगुणा के स्वर्गीय निर्मला देशपांडे के बीच गहरे अंतरंग संबंधों को रखा।  विगत 25 अक्टूबर 2020 को उन्हें भी इस महान दंपत्ति के दर्शन करने का सौभाग्य उनके देहरादून स्थित निवास स्थान पर जाकर मिला। उन्होंने उनका एक इंटरव्यू भी लिया तथा उनसे भेंट के संस्मरण को एक आलेख में भी प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें  बहुगुणा दंपत्ति का आशीर्वाद व स्नेह मिला।           सृजन निकेतन, श्यामावन- गुप्तकाशी की मुख्य निदेशिका सुश...