My beloved sister
*दूसरी विदाई* (13.09.2023) आज हमने अपनी बड़ी बहन अरुणा को पानीपत से दूसरी बार विदाई दी । वह मेरे से कुल तीन साल बड़ी थी । उसे अपने इस बड़पन्न का सदा अहसास था । छोटी सी मुन्नी भी मेरा एक गुड्डे की ख्याल रखती । बेशक मैं उससे नही संभलता फिर भी वह अपनी हरकत से बाज़ नही आती । मेरे पिता बताते थे कि एक बार तो वह मुझे अपनी गोदी में उठा कर पहली मंजिल से नीचे लाने की कोशिश करते हुए पकड़ी गई थी । मेरी मां कहती कि जानते हो कि तुम्हारे बाल घुंघराले क्यों है ,क्योंकि वह तुम्हारे बालों को हमेशा संवारती और सजाती थी । मुझे वह दिन भी याद है कि जब वह मुझे पहली बार स्कूल छोड़ने गई थी । वह हमेशा मेरे साथ इस तरह रहती कि मानो दो शरीर एक जान। अपनी सहेलियों के साथ खेलते हुए मुझे भी अपने साथ खिलाती जैसे मैं भी उसकी एक छोटी सहेली हूं । हम साथ बाज़ार जाते , साथ और दूसरे काम करते। हमारी मां तो एक सामाजिक कार्यकर्ता थी उसे हर समय दूसरे काम लगे रहते । कहना पिता जी का कि उसे तो झोला उठा कर चले जाने के इलावा कोई काम नहीं है । वह पांच सात की छोटी से बालिका अंगीठी जला कर खाना बनाती और सहयोगी बनता उसका पिता और