Posts

उत्कर्ष के विवाह पर भात

Image
  हरियाणवी लोक परम्परा में भात की एक ऐसी अनिवार्य रस्म है जब अपनी बहन के बेटी-बेटी की शादी में भाई अथवा मायके से चावल, गुड़, कपड़े व जेवर लाते है । शादी के बड़े खर्चे में ज्यादातर सामान भाई लाते है । इससे पहले बहन अपने मायके जाकर उन्हें  न्योत कर आती है । मेरी पत्नी क्योंकि उदयपुर(राजस्थान) की है । उनके यहां भी परम्परा है पर नाम अलग है । न्योत का नाम बत्ती जलाना व भात को मायरा कहते है ।     गुजरात मे एक लोककथा में नानी बाई नु मायरा बेहद लोकप्रिय है जब स्वयं भगवान कृष्ण  अपनी भक्त नानी बाई के यहां मायरा देने गए थे । इसका सुंदर विवरण नरसी भक्त ने अपने एक भजन में दिया है । हां वे ही नरसी जिन्होंने बापू के प्रिय भजन "वैष्णव जन ते तेने कहिए" लिखा ।       अपनी इसी रिवायत का पालन करते हुए सन 1998 में मैं अपनी मुहबोली बहन जुबैदा  की बेटी की शादी में भात देने लाहौर गया था ।      आज मेरे सुपुत्र उत्कर्ष के विवाह के उपलक्ष्य में उसके मामा रमा कांत व हरिकांत सपरिवार भात देने आए । पूरा कार्यक्रम बहुत ही भावपूर्ण व आनंददायक रहा ।

हमारे पुत्र उत्कर्ष के विवाह परमंढा

Image
 हरियाणा की लोक परम्परा में "मन्ढा " सबसे प्रमुख वैवाहिक उत्सव है । इसका अर्थ है कि शादी से पहले नव युगल के लिए घर तैयार हो गया है आओ अब सब मिलकर इसकी छत को लगाए। छत यानी सरकंडो से बना छपरा । इससे पहले हल्दी- मेहंदी और अनेक तरह के उबटन दूल्हे को माँ, बहन,भुआ, भाभी व परिवार की अन्य महिलाएं लगाती है व मङ्गल गीत गा कर आशीष देती है।         मेरे सुपुत्र उत्कर्ष संग आकांक्षा के विवाह की शुरूआत में आज मढ़ा लगा है ,यानी विवाह की शुभारंभ । आप सभी की आशीष व शुभकामनाएं सादर अपेक्षित है ।