अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह
निर्मला देशपांडे संस्थान ,माता सीता रानी सेवा संस्था , यूनाइटेड रिलीजियस इनिशिएटिव और हाली पानीपती ट्रस्ट के संयुक्त तत्वधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला सशक्तिकरण सम्मान से पानीपत ज़िला तथा इसके आस पास की महिलाओं को सम्मानित करते हुए प्रसिद्ध समाज सेवी श्रीमती राज माटा ने कहा कि दुनिया में जितने भी काम-धंधे हैं, उन सब में 50 प्रतिशत संख्या महिलाओं की होनी चाहिए। यह ठीक नहीं है। कुछ काम ऐसे हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत से भी ज्यादा रखना फायदेमंद है और कुछ में वह कम भी हो सकती है। असली बात यह है कि जिस काम को जो भी दक्षतापूर्वक कर सके, वह उसे मिलना चाहिए। उसमें स्त्री-पुरुष का भेदभाव नहीं होना चाहिए। जाति और मजहब का भी नहीं लेकिन इस 21 वीं सदी की दुनिया का हाल क्या है ? संयुक्तराष्ट्र संघ की एक ताजा रपट के मुताबिक दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत पुरुष ऐसे हैं, जो महिलाओं को अपने से कमतर समझते हैं। वे भूल जाते हैं कि भारत,श्रीलंका और इस्राइल की प्रधानमंत्री कौन थीं ? इंदिरा गांधी, श्रीमावो भंडारनायक और गोल्डा मीयर के मुकाबले के कितने पुरुष प्रधानमंत्री इन तीनों देशों में हुए हैं ? क्या ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गगेरेट थेचर और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल को हम भूल गए हैं ? भारत की कई महान महारानियों के नाम मैं यहां नहीं ले रहा हूं, जिन्होंने कई महाराजाओं और बादशाहों के छक्के छुड़ा दिए थे। इस समय 193 देशों में से सिर्फ 10 देशों में महिलाएं शीर्ष राजनीतिक पदों पर हैं। दुनिया की संसदों में महिलाओं की संख्या 24 प्रतिशत भी नहीं है। डाॅक्टरों, इंजीनियरों, वकीलों और वैज्ञानिकों में उनकी संख्या और भी कम है। भारत में महिलाओं से भेदभाव करनेवाले पुरुषों की संख्या 98.28 प्रतिशत है तो पाकिस्तान हमसे भी आगे है। उसमें यह संख्या 99.81 प्रतिशत है। यूरोप, अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों में इधर 40-50 वर्षों में काफी बदलाव आया है। उसी का नतीजा है कि ये देश महासंपन्न और महाशक्ति कहलाने लगे हैं। अपने आधे समाज के प्रति उपेक्षा और हीनता का भाव हम छोड़ सकें तो हमारे दक्षिण एशिया के सभी देश शीघ्र ही संपन्न और सुखी हो सकते है। हमारे यहां अभी यह सिर्फ कहावत ही रह गई है कि 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः'। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है।
प्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट तथा भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष डॉ अर्चना गुप्ता ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं महिलाओं को अपने अंदर की शक्ति को पहचानना चाहिए और सशक्तिकरण अंदर से ही आता है। महिलाएं अपना आत्मविश्वास बढ़ा कर, आत्मसम्मान हासिल कर, अपना महत्व समझें और परिवार की देखभाल के साथ साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें व स्वयं का भी सम्मान करें।
शिक्षा विभाग हरियाणा में अतिरिक्त निदेशक के पद पर कार्यरत श्रीमती सरोज बाला गुर ने कहा कि महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए लैंगिक समानता के लिए आवाज उठाना है ।महिला दिवस पर स्त्री की प्रेम ,स्नेह और मातृत्व के साथ ही शक्ति संपन्न महिला की तस्वीर सामने आती है। महिलाएं समाज का मुख्य हिस्सा होती हैं तथा आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में उनकी एक बड़ी भूमिका रहती है ।पर जहां तक समानता की बात है वह केवल कागजों पर ही लिखी नजर आती है । महिलाओं की समाज में केवल उपस्थिति बदली है, स्थिति वही है। इसलिये इसलिये महिलाओ का जागरुक होना बेहद आवश्यक है । जागरुक होकर ही महिलायें समानता के अधिकारो को प्राप्त कर सकती है और समाज व घर में अपनी स्थिति बदल सकती हैं । यूनाइटेड रिलिजनस इनिशिएटिव यू (यू आर आई) की सदस्य
श्रीमती दिव्या त्यागी और रीमा बरवा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिला जागरूकता और सशक्तिकरण का दिवस है। जानकारी और जागरूकता महिलाओं को सशक्त बनने में सहायक होते हैं। महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूकता जरूरी है तभी वह अपनी सुरक्षा कर सकती हैं और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान और उपलब्धियों की पहचान और सराहना करने के लिए ही पूरे विश्व में महिला दिवस को मनाया जाता है। वर्तमान में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुए है ।परंतु महिलाओं को पूरी तरह से सम्मान, समानता और जीवन जीने से संबंधित अधिकार अभी भी नहीं मिले हैं ।जिनके लिए अभी भी उनका संघर्ष जारी है।
सही मायनों में महिला दिवस तभी सार्थक सिद्ध होगा जब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से पूर्ण आजादी मिलेगी, जहां उन्हें प्रताड़ना सहन नहीं करनी पड़ेगी , कन्या भ्रूण हत्या नहीं होगी और महिलाओं का यौन शोषण नहीं होगा और वे हिंसा मुक्त
वातावरण में जियेंगी और अपने महिला होने पर गर्व कर पाएंगी।
इस अवसर पर अपने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए ज़िला समाज कल्याण अधिकारी , कुरूक्षेत्र सुरजीत कौर,राज माटा ,गीत माटा , डॉ अर्चना गुप्ता, दिव्या त्यागी, रीमा बरुवा, सरोज बाला गुर ,शकुन्तला गर्ग , ,आरती सिंगला, सीमा अग्रवाल, इंदु कुकरेजा, मंजरी, पायल ,संतरो, इंदू आहूजा, सपना, पूनम गांधी, चारू सिंह, प्रभा मल्होत्रा,प्रवीण, कीर्ति रानी, ममता, सुषमा, गीता विज, शीतल शर्मा, समीक्षा सेठी, पूनम, मंजू बाला , सुशीला व कविता को प्रसिद्ध समाजसेवी व उद्योगपति श्री ओपी माटा और हाली अपना स्कूल, निर्मला देशपांडे संस्थान के डायरेक्टर व सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट श्री राम मोहन राय द्वारा
प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। थिएटर आर्ट ग्रुप के कलाकारों ने कन्या भ्रूण हत्या विषय पर एक नाटक का मंचन भी किया।इस अवसर पर स्कूल की
मुख्य अध्यापिका प्रिया लूथरा, माता सीता रानी सेवा संस्था की परामर्शदात्री सुनीता आनंद, भगत सिंह दोस्ती मंच के संयोजक दीपक कथूरिया, रोज़ी चावला,दीनाक्षी, प्रीती, कीर्ति, पूजा,परमजीत, सोनिया ,नीरज ग्रोवर मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
प्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट तथा भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष डॉ अर्चना गुप्ता ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं महिलाओं को अपने अंदर की शक्ति को पहचानना चाहिए और सशक्तिकरण अंदर से ही आता है। महिलाएं अपना आत्मविश्वास बढ़ा कर, आत्मसम्मान हासिल कर, अपना महत्व समझें और परिवार की देखभाल के साथ साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें व स्वयं का भी सम्मान करें।
शिक्षा विभाग हरियाणा में अतिरिक्त निदेशक के पद पर कार्यरत श्रीमती सरोज बाला गुर ने कहा कि महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए लैंगिक समानता के लिए आवाज उठाना है ।महिला दिवस पर स्त्री की प्रेम ,स्नेह और मातृत्व के साथ ही शक्ति संपन्न महिला की तस्वीर सामने आती है। महिलाएं समाज का मुख्य हिस्सा होती हैं तथा आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में उनकी एक बड़ी भूमिका रहती है ।पर जहां तक समानता की बात है वह केवल कागजों पर ही लिखी नजर आती है । महिलाओं की समाज में केवल उपस्थिति बदली है, स्थिति वही है। इसलिये इसलिये महिलाओ का जागरुक होना बेहद आवश्यक है । जागरुक होकर ही महिलायें समानता के अधिकारो को प्राप्त कर सकती है और समाज व घर में अपनी स्थिति बदल सकती हैं । यूनाइटेड रिलिजनस इनिशिएटिव यू (यू आर आई) की सदस्य
श्रीमती दिव्या त्यागी और रीमा बरवा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिला जागरूकता और सशक्तिकरण का दिवस है। जानकारी और जागरूकता महिलाओं को सशक्त बनने में सहायक होते हैं। महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूकता जरूरी है तभी वह अपनी सुरक्षा कर सकती हैं और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान और उपलब्धियों की पहचान और सराहना करने के लिए ही पूरे विश्व में महिला दिवस को मनाया जाता है। वर्तमान में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुए है ।परंतु महिलाओं को पूरी तरह से सम्मान, समानता और जीवन जीने से संबंधित अधिकार अभी भी नहीं मिले हैं ।जिनके लिए अभी भी उनका संघर्ष जारी है।
सही मायनों में महिला दिवस तभी सार्थक सिद्ध होगा जब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से पूर्ण आजादी मिलेगी, जहां उन्हें प्रताड़ना सहन नहीं करनी पड़ेगी , कन्या भ्रूण हत्या नहीं होगी और महिलाओं का यौन शोषण नहीं होगा और वे हिंसा मुक्त
वातावरण में जियेंगी और अपने महिला होने पर गर्व कर पाएंगी।
इस अवसर पर अपने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए ज़िला समाज कल्याण अधिकारी , कुरूक्षेत्र सुरजीत कौर,राज माटा ,गीत माटा , डॉ अर्चना गुप्ता, दिव्या त्यागी, रीमा बरुवा, सरोज बाला गुर ,शकुन्तला गर्ग , ,आरती सिंगला, सीमा अग्रवाल, इंदु कुकरेजा, मंजरी, पायल ,संतरो, इंदू आहूजा, सपना, पूनम गांधी, चारू सिंह, प्रभा मल्होत्रा,प्रवीण, कीर्ति रानी, ममता, सुषमा, गीता विज, शीतल शर्मा, समीक्षा सेठी, पूनम, मंजू बाला , सुशीला व कविता को प्रसिद्ध समाजसेवी व उद्योगपति श्री ओपी माटा और हाली अपना स्कूल, निर्मला देशपांडे संस्थान के डायरेक्टर व सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट श्री राम मोहन राय द्वारा
प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। थिएटर आर्ट ग्रुप के कलाकारों ने कन्या भ्रूण हत्या विषय पर एक नाटक का मंचन भी किया।इस अवसर पर स्कूल की
मुख्य अध्यापिका प्रिया लूथरा, माता सीता रानी सेवा संस्था की परामर्शदात्री सुनीता आनंद, भगत सिंह दोस्ती मंच के संयोजक दीपक कथूरिया, रोज़ी चावला,दीनाक्षी, प्रीती, कीर्ति, पूजा,परमजीत, सोनिया ,नीरज ग्रोवर मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
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