Aaghaz e Dosti yatra - 2024
Aaghaz e Dosti yatra की एक सरसरी रिपोर्ट.
आगाज ए दोस्ती यात्रा न केवल हिन्दुस्तान की आज़ादी का उत्सव मनाने का एक उपक्रम है वहीं उन लोगों को भी श्रद्धांजली अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है जिन्होंने इस उप महाद्वीप को अंग्रेजी दासता से मुक्त करवाने के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया. उनका संघर्ष किन्ही टुकड़ों को बनाने का नहीं था और न ही एक राज से दूसरे राज को सत्ता हस्तांतरण का. महात्मा गांधी कह्ते थे कि अंग्रेज़ बेशक रह जाए पर अंग्रेजियत चली जाए. उन्होंने यह भी कहा कि उनके देश को आज़ादी इस लिए चाहिए ताकि वह दुनियां के शोषित लोगों की सेवा कर सके. वास्तव में हमारा संघर्ष अंतर्राष्ट्रीय साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष का हिस्सा था. जिसके बारे में पंडित नेहरू ने कहा था कि हमारी लड़ाई स्पेन के मैदान में भी लड़ी जा रहीं है. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट republican एसोसिएशन ने अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट किया कि आजादी का मायना गोरे लोगों की जगह काले लोगों का राज नहीं है यह है व्यवस्था परिवर्तन.
बापू ने कहा कि उनकी लाश पर बटवारा होगा और जब बटवारा तय ही हो गया तो उन्होंने कहा कि देश बेशक बंट जाए पर दिल नहीं बटने चाहिए. मुझे सन 2007 में शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह की जन्म शताब्दी पर लाहौर और लायलपुर में उनके जन्म स्थान बंगा जाने का मौका मिला. सभी तरफ मैंने वहां नौजवानों में भगत सिंह और उनके साथियों के प्रति प्यार और जज्बे को पाया. उनके नारे बुलंद थे " लाहौर में भगत जिन्दा है - दिल्ली में भगत जिन्दा है.
देश के इन सभी अमर बलिदानों के बावजूद भी बटवारा हुआ. अंग्रेज़ अपनी कुटिल चाल में कामयाब हुआ. और फिर इतिहास का वह काला अध्याय सामने आया जब दो देश के नाम पर इधर से उधर और उधर से इधर लाखों की संख्या में लोग अनिच्छा से आए. हजारों बच्चे, महिलाए और मासूम हर प्रकार की दरिंदगी के शिकार हुए. अपने घर को कौन छोड़ना चाहता है पर धर्म के नाम पर ऐसा हुआ. इनमें अनेक ऐसे भी परिवार है जो दो हिस्सों में बंटे हुए हैं इस उम्मीद के साथ कभी तो मिलने का अवसर आएगा.
Aagaaz-e-Dosti यात्रा उसी आशा और उम्मीद की एक कोशिश है जिसे 80 के दशक में कुलदीप नैयर,राजेन्द्र सच्चर, निर्मला देशपांडे, मोहिनी गिरि, रमेश यादव, रमेशचंद शर्मा आदि लोगों ने शुरू किया. वे सभी सैंकड़ों की संख्या में भारत - पाकिस्तान बॉर्डर (अटारी - वाघा) पर जाते और हिंदुस्तान की आजादी का जश्न मनाते हुए उन स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते जिन्होंने सांझी संस्कृति और विरासत के वारिस बन कर अपने बलिदान दिए.
सन 2017 से यात्रा की दिल्ली से अमृतसर तक की शुरुआत की गई और उसी क्रम में इस साल की शुरुआत की गई. देश भर के 12 प्रांतों के कुल 52 व्यक्तियों ने अपना पंजीकरण करवाया जिसमें आठ साल से 80 वर्ष के महिला - पुरुष शामिल रहे. सबसे ज्यादा तादाद विद्यार्थियों तथा युवाओं की रहीं उनके बाद स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारी, डॉक्टर, वकील, अध्यापक, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता आदि थे. इनमे भी महिलाओं की संख्या 18 रहीं.
12 अगस्त को दिल्ली में भारी बारिश के बावजूद सभी यात्री राजघाट पर जुटे और बापू की समाधि पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद शहीद पार्क, पुराने किले का वह हिस्सा जहां क्रांतिकारियों ने सन 1923 में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट republican एसोसिएशन की स्थापना की थी, पर वहां की मिट्टी को नमन कर इंडिया गेट पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और फिर शाम को गांधी शांति प्रतिष्ठान में एक यात्रीयो की विदाई में एक सभा डॉ Saida हमीद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह, अनहद की निदेशिका शबनम हाशमी, जी पीं एफ के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, शांति कर्मी रीमा छाबड़ा , Association of People of Asia के सह संयोजक Archishman Raju ने प्रमुख रूप से हिस्सा लिया. कार्यक्रम की सफ़लता के लिए गांधी ग्लोबल फॅमिली के उपाध्यक्ष पद्मश्री ऐस पी वर्मा, हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष श्री प्रोफेसर शंकर कुमार सान्याल, साबरमती आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष जयेश भाई पटेल, संत निरंकारी मण्डल के अध्यक्ष महात्मा सी एल गुलाटी के संदेश पढ़ कर सुनाए गए.
इसी अवसर पर निर्मला देशपांडे aaghaz e Dosti अवार्ड - 2023 से प्रमुख युवा कार्यकर्ताओं रणधीर कुमार गौतम, एविता दास, अंजुम आमिर खान तथा पूजा सैनी को सम्मानित किया गया.
हरिजन सेवक संघ
यात्रियों का पहला पड़ाव महात्मा गांधी द्वारा 1932 में स्थापित हरिजन सेवक संघ, गांधी आश्रम, Kingsway Camp, दिल्ली मे किया गया. संघ के सचिव संजय राय ने यात्रियों का स्वागत किया. वहां रात्री भोजन और विश्राम की समुचित व्यवस्था की गयी थी. प्रातः काल एक सभा का आयोजन हरिजन सेवक संघ, दिल्ली के अध्यक्ष श्री भगवान शर्मा की अध्यक्षता में किया गया. उन्होंने संघ की ओर से सभी यात्रियों का फूल मालाओं तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया. इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री शंकर कुमार सान्याल ने अपना वीडियो संदेश दिया जिसके प्रति सभी ने आभार प्रकट किया.
अब यह अमन दोस्ती का सफ़र हरियाणा को पार करता हुआ आगे बढ़ रहा था और पहुंचा दिल्ली से 40 किलोमीटर दूर GT रोड पर स्थित एक कस्बे murthal में, जहां सैंकड़ों की संख्या में लोग जिनमें किसान - मजदूर, बुद्धिजीवी और रंगकर्मी मौजूद थे, हाथों में झंडे लिए विश्व शांति - अमर रहे, युद्ध नहीं - बुद्ध चाहिये के नारे लगाते हुए यात्रा के स्वागत के लिए खड़े थे. इस अवसर पर सी आई टी यू के नेता श्रद्धा सिंह सोलंकी और किसान नेता शीलक राम ने भावपूर्ण स्वागत किया. तत्पश्चात यहां से मात्र 15 किलोमीटर दूर सड़क पर ही स्थित सी सी जैन पोस्ट graduate college, गन्नौर मे कॉलेज गेट से लगभग 300 मीटर आगे चल कर सभागार तक दोनों तरफ विद्यार्थियों ने कतार में खड़े होकर फूल बरसा कर नारे लगाते हुए स्वागत किया. तत्पश्चात हॉल में एक हज़ार से भी ज्यादा उपस्थित छात्रों ने विचारों को दत्तचित होकर सुना. विद्यार्थियों का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी मन को हर्षित करने वाला रहा. कॉलेज के प्रिन्सिपल मनोज छोकर और निदेशक वीणा भाटिया ने भी भावपूर्ण विचार व्यक्त किए.
इसी कॉलेज से दस किलोमीटर दूर विख्यात PIET में आयोजित सभा तो बेहद शानदार रही. सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित छात्रों, प्रबंधन के अध्यक्ष हरि ओम तायल, सचिव. तायल, परामर्शदाता डॉ बी बी शर्मा और कार्यक्रम संयोजक रवि धवन ने यात्रा का स्वागत किया. विद्यार्थियों ने भी शहीद भगत सिंह और सांझी संस्कृति और विरासत पर अनेक गीत संगीत के कार्यक्रम और विचार प्रस्तुत किये गये.
समालखा
जी टी रोड पर स्थित यह कस्बा अब पूर्ण रूप से एक पूर्ण उप शहर का रूप ले चुका है. यद्यपि यहां कोई पड़ाव नहीं था परंतु स्थानीय साथियों का आग्रह रहा कि यात्रा का स्वागत किया जाए. समय निकाल कर यहां भी स्थानीय निवासियों में समाज सेवी शशि कांत कौशिक द्वारा संचालित लाइब्रेरी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया. आजकल सावन माह चल रहा है और लोकल मिठाई घेवर की धूम है. मेज़बान ने सभी यात्रियों को भरपेट मिठाई खिलाई गई.
पानीपत.
इस क्षेत्र के सबसे पुराने शिक्षण संस्थान आर्य कॉलेज जो कि मौलाना हाली की यादों से भी जुड़ा है, में कॉलेज के प्रिन्सिपल डॉ जगदीप गुप्ता, इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ विजय सिंह, ने यात्री दल का स्वागत भव्य ढंग से किया. यहां जलपान की बेहतर व्यवस्था की गयी थी. यद्यपि PIET, जहां लंच लिया गया था, उसकी दूरी 25 किलोमीटर की ही थी पर यह पड़ावों के कारण तय करने में दो घंटे लगे और स्थान स्थान पर जलपान की भरपूर व्यवस्था की गयी थी फिर भी यात्रीयो ने कॉलेज प्रबंधन के आग्रह को स्वीकार किया. इसी स्थान पर विष्णु प्रभाकर अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से यात्री दल के संरक्षक राम मोहन राय को अवार्ड समिति के अध्यक्ष अतुल प्रभाकर एवं प्रसून लतान ने किया.
कुरूक्षेत्र
देस हरियाणा, सत्य शोधक संगठन और डॉ ओ पी ग्रेवाल अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में एक स्वागत कार्यक्रम GT रोड पर ही स्थित हरियाणा सरकार के एक रेस्तरां में आयोजित किया गया, जिसमें सैंकड़ों की संख्या मे उपस्थित नागरिकों ने अमन और दोस्ती के गीतों द्वारा स्वागत किया गया. तत्पश्चात हॉल में एक बैठक को देस हरियाणा के निदेशक डॉ सुभाष सैनी, अरुण कहरबा, विकास और ने शब्दों के द्वारा स्वागत किया. सभी का कहना था कि यह आंदोलन ऐसा बने जिसमें लाखों की संख्या में लोग सीमा के आर पार से चले जिससे दोनों देशों की सरकारों पर दवाब बने और बोर्डर वीजा फ्री बने.
फगवाड़ा
रात लगभग 11 बजे यात्रा इस शहर में पहुंची जहां शाम आठ बजे से ही इंतजार हो रहीं थी. यात्रा दल को नितिन मट्टू और उनके साथियो ने स्वागत किया. यात्रा लगभग डेढ़ बजे रात्री को अमृतसर पहुंची और वहां गुरु तेग बहादुर सराय में आराम किया. इतनी लम्बी यात्रा होने के बावजूद भी सभी साथी उत्साह एवं उर्जा से भरे थे और सभी छह बजे तक तैय्यार हो कर अन्य साथियों संदीप पांडे जिनके साथ लगभग 30 लोग मानसा पंजाब से पैदल चल कर आए थे उनसे बातचीत और विचार विमर्श करते रहे.
Folklore Society द्वारा आयोजित हिंद पाक दोस्ती पर आयोजित सेमिनार में भागीदारी.
यात्री दल ने दिनाँक 14 अगस्त को पंजाब के ऐतिहासिक खालसा कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया, जिसका संचालन प्रमुख पत्रकार सतनाम मानक ने किया और वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा, आशुतोष, जावेद अंसारी, रमेश यादव, किसान नेता राजेवाल, संदीप पांडे, हर्ष मंदर तथा राम मोहन राय ने भी संबोधित किया.
कार्यक्रम के पश्चात यात्री दल के सभी सदस्य वीर भूमि जलियांवाला बाग और स्वर्ण मंदिर के दर्शन के लिए लिए गए और सभी ने न केवल ऐतिहासिक महत्व को समझा और आध्यात्मिक शक्ति का भी संचार पाया.
शाम को नाटक शाला में एक संगीत संध्या का आयोजन किया गया जिसमें प्रख्यात लेखक एवं कवि सुरजीत पातर की कविताओं का सुरबद्ध गायन उनके सुपुत्र मनराज और सुप्रसिध्द पंजाबी गायक याक़ूब ने किया. इस कार्यक्रम में पूरे देश से आए सैंकड़ों लोग उपस्थित थे.
वाघा - अटारी बॉर्डर अमृतसर
हम सभी रात को दस बजे बसों से चल कर बोर्डर पर पहुंचे. कुल मिला कर हम सब 150 लोग होंगे. बोर्डर पर सन्नाटा था परंतु सभी लोगों में उत्साह एवं ज़ज्बा. पहले तो सभी के जाने में कुछ आनाकानी हुई परंतु बाद में सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने सभी को जांच के बाद जाने दिया. हम सभी उस पॉइंट पर पहुंचे जहां पर हाथ से हाथ मिलाते हुए एक मूर्ति लगी है जो दोनों देशों के लोगों के अमन और दोस्ती की कामनाओं और भावनाओं को परिलक्षित करती है. उसके दोनों ओर फैज अहमद फैज तथा अमृता प्रीतम की कविताओं को पत्थर पर तराशा गया है. रमेश यादव ने बताया कि इस स्थान को एक संघर्ष के बाद निर्मित किया गया है. इस स्थान पर आकर सभी भावुक हो गए. यह वहीं रास्ता था जहां से 1947 में विभाजन के बाद लाखों लोग इधर से उधर और उधर से इधर आए थे. इसके एक तरफ भगत सिंह का गांव था और दूसरी ओर जलियांवाला बाग था. एक तरफ हमारी आजादी का केंद्र लाहौर था और दूसरी तरफ दिल्ली था. जिसके आरपार एक ही लोगों ने हिन्दुस्तान की आजादी की लड़ाई लड़ी थी.
यहां उपस्थित सभी लोगों ने जंग नहीं - अमन चाहिए, युद्ध नहीं - बुद्ध चाहिये, गोली नहीं - बोली चाहिए, हिंद - पाक की जनता के बीच दोस्ती जिन्दाबाद के गगन भेदी नारे लगाए. इसी बीच हमारे साथी मधु ने जय जगत का गीत, जो भाई जी सुब्बाराव जी का लोकप्रिय था, उसे सस्वर गाना शुरू किया जिसे फिर सभी लोगों ने भी एक स्वर में गाया. सभी दोस्तों के हाथ में मोमबत्तियां थी जिन्होंने जला कर अपनी प्रतिबद्धता का इज़हार किया और उस दोस्ती मैत्री की प्रतिमा को अर्पित किया.
इस बार की खुशी यह भी रहीं कि बोर्डर पार भी सैंकड़ों की संख्या में लोग दीप सईदा और फारूक तारिक की अगुवाई में जुटे थे, जिनके भी वे ही नारे और ज़ज्बा था जैसा कि इधर था. रात तकरीबन 12.30 बजे सभी लोगों वापिस लौटे.
शहीद भगत सिंह नगर
अगले दिन 15 अगस्त को सभी साथी अपने अपने घर लौटते हुए शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां रुके. मुख्य मार्ग पर ही एक बड़ा स्मारक बनाया हुआ है और उसके नज़दीक ही प्रोo जगमोहन सिंह ने अपनी माता और शहीद की बहन बीबी अमर कौर के नाम पर एक लाइब्रेरी और हॉल बनाया है जो भावी पीढ़ी को भगत सिंह के जीवन, दर्शन और विचार को समझने का एक केंद्र बनाने का प्रयास है. यहीं सभी यात्रियों के लंच की व्यवस्था की गई थी और फिर भोजन के बाद सभी वापिस होने के लिए रवाना हो गए.
यात्रियों की सूची :-
सर्व श्री ,सुश्री/श्रीमती
1-नितिन मट्टू -
2-सौम्य शंकर बोस, नेता जी सुभाष चंद्र बोस के पारिवारिक सदस्य
3. बिश्वरंजन दास, प्रसिद्ध क्रांतिकारी पुलिन रंजन दास, बंगाल
4-पूजा सैनी ,पानीपत
5-सिद्दीक़ अहमद मेव, मेवात हरियाणा writer
6-इंदू धवन ,गुरुग्राम हरियाणा
7- दीपक आहलूवालिया , रोहतक हरियाणा
8-अवनीश वशिष्ठ, पंचकुला हरियाणा
9-आदि भुवनेश ,पानीपत
10-आरती ,पानीपत
11-दीपक ,पानीपत
12-सरोज बाला गुर पानीपत
13-प्रसून लतांत ,बिहार
14-राजेंद्र समालखा
15-ममत राव कुमार ,मसूरी उतराखंड
16-दीन मोहम्मद मामलिका, नूंह मेवात
17-हरदयाल कुशवाह ,मध्य प्रदेश
18 विजय राव एडवोकेट ,राजस्थान
19-साहब सिंह रंगा,समालखा
20-कृष्णा कांता राय ,पानीपत
21-धर्मानंद लखेड़ा, उतराखंड
*22-डॉक्टर सुदेश खुराना ,पानीपत
*23-Abhishek, आर्य कॉलेज
24-Rajan Mishra, आर्य कोलेज
*25-शिव वाणी ,पानीपत
26-परवीन तँवर , राजस्थान
*27- सुरेंद्र पाल सिंह ,पंचकुला
28-रणधीर सिंह जागलान ,इसराना पानीपत
29-जगबीर सिंह कादयान, पंचकुला
*30-सुनीता कुशवाहा मध्यप्रदेश
*31- मनोज जैना उड़ीसा
32- विराज सैनी
3-डॉली, हरियाणा
*34-- सुनीता शर्मा -
*35- एडवोकेट रमजान चौधरी
*36-एड॰सलामुद्दीन
37-मास्टर हामिद हुसैन
38 -आर के शुक्ला ,
प्रधान संपादक
अखण्ड भारत न्यूज़
39-राम मोहन राय, महासचिव, GGF
40 अतुल प्रभाकर नोएडा
41-Shazeb khan
Saharanpur
Uttar pradesh
Mob. +919634444786
42-Amir khan
Shamli , uttar pradesh
43-Madhusudan Das
National youth Project
Odisha
44-श्रीमती अनुराधा
44.Karishma
45 luxmi,
46.Nishi,
47.Riya,
48.Anushka,
49.Reena,
50Nyayika.
नोएडा-
सादर,
दीपक Kathuria.
Mobile number : 9896779587
युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए । गोली नहीं बोली चाहिए
शांति गीतों और नारों से आगाजे दोस्ती यात्रा का हुआ जोरदार अभिनंदन
सरहदें टूटेंगी तो होगा वैसुधैव कुटुंबकम का सपना साकार: राम मोहन राय
भारत-पाक के आर्थिक हितों में कोई टकराहट नहीं, फिर भी आवागमन में बाधाएं क्यों?: प्रो. सुभाष सैनी
रिपोर्ट: गुंजन कैहरबा
भारत-पाकिस्तान दोस्ती व विश्व शांति के मकसद से दिल्ली से 12 अगस्त को शुरू हुई आगाजे दोस्ती यात्रा पीपली स्थित हरियाणा पर्यटन विभाग के पैराकीट में 13 अगस्त को पहुंची। जहां पर देस हरियाणा के संपादक प्रो. सुभाष सैनी की अगुवाई में देस हरियाणा व सत्यशोधक फाउंडेशन से जुड़े साहित्यकारों, शोधकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यात्रियों का फूलमालाओं के साथ जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर सभी ने मिलजुल कर अमन के हम रखवाले सब एक हैं सहित शांति व सद्भाव के गीत गाए। पूरा वातावरण गोली नहीं बोली चाहिए, युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए, हमारा सिर्फ एक ही नारा, अमन दोस्ती भाईचारा व विश्व शांति अमर रहे आदि नारों से गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन देस हरियाणा के संपादक मंडल से जुड़े अरुण कुमार कैहरबा ने किया।
साहित्यकार राम मोहन राय, सुरेन्द्र पाल सिंह व दीपक कथूरिया की अगुवाई में देश के दस से अधिक राज्यों से 50 के करीब साहित्यकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों का दल दिल्ली से वाघा बॉर्डर के लिए आगाजे दोस्ती यात्रा के लिए रवाना हुआ है। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के संबंधों में मधुरता और आपसी सद्भाव बढ़ाने के उद्देश्य से यात्रा की शुरूआत पत्रकार कुलदीप नैयर, निर्मला देशपांडे, डॉ. मोहिनी गिरी सहित अनेक लोगों ने की थी। 2017 से हर वर्ष यह यात्रा निकाली जा रही है। इस वर्ष यात्रा में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के पारिवारिक सदस्य एवं लेखक सौम्य शंकर बोस, पुलिन चन्द्र दास के पौत्र विश्व रंजन दास, मेवात के प्रसिद्ध इतिहासकार सिद्दीक अहमद मेव, विष्णु प्रभाकर के पुत्र अतुल प्रभाकर, भारत में एनएसएस के सृजक मधुसूदन दास, उत्तराखंड के रंगकर्मी धर्मानंद, महिला रंगकर्मी डॉ. कल्पना सिंह, शहीद भगत सिंह के भतीजे और सरदार कुलतार सिंह के पुत्र किरण जीत संधू सहित अनेक गणमान्य शख्सियतें यात्रा का हिस्सा बनी हैं।
पीपली में आयोजित संगोष्ठी की शुरूआत अरुण कुमार कैहरबा के नेतृत्व में सभी प्रतिभागियों द्वारा गाई गई दुष्यंत कुमार की $गजल-इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है, नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है, के साथ हुई। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राम मोहन राय ने कहा कि इस बार की यात्रा डॉ. मोहिनी गिरी जी को समर्पित है, जिनका कुछ महीने पहले देहांत हो गया है। लेकिन हमारी यादों में वे हमेशा बनी रहेंगी। मोहिनी गिरी ने शांति आंदोलन का नेतृत्व किया। इसलिए शांति के कामों में उन्हें व उनके जैसे लोगों को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यात्रा में आठ साल के बच्चे और दस से अधिक 20 वर्ष से कम आयु वर्ग के प्रतिभागियों से लेकर बड़ी उम्र के प्रतिभागी हैं। उन्होंने अपनी नीदरलैंडस की यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से नीदरलैंडस से होते हुए वे जर्मनी की सीमा में प्रवेश कर गए थे। लेकिन एशियाई देशों में सरहदें लोगों को मिलने से भी रोक रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि यूरोप के देशों ने लड़ाईयां नहीं लड़ी। बल्कि विश्व युद्धों में देश एक दूसरे के दुश्मन भी थे। लेकिन आज वहां पर सरहदें कमजोर हुई हैं। उन्होंने कहा कि एक देश से दूसरे देश में सारी सरहदें टूटनी चाहिए और वैसुधैव कुटुंबकम का सपना साकार होना चाहिए।
प्रो. सुभाष सैनी ने आए यात्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि चारों तरफ नफरत व संकीर्णता का माहौल था। ऐसे में प्रेम और दोस्ती की बात करना मुश्किल काम हो गया था। लेकिन जब जगह-जगह मोहब्बत की दुकान खुलने लगी तो माहौल कुछ शांत हुआ। उन्होंने बांगलादेश में अशांति का जिक्र करते हुए कहा कि जब पड़ोस में आग लगी हुई हो तो हम कैसे शांति के साथ रह सकते हैं। उन्होंने कुरुक्षेत्र व आसपास के नागरिकों की तरफ से यात्रियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे समय में शांति और दोस्ती की बात करना बड़ी बात है। यह यात्रा पूरी तरह से नि:स्वार्थ भावना से निकाली जाती है। स्वार्थ यही है कि हम सभी अच्छे से बस सकें। इन्सानियत की भावना का फैलाव हो। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल रस्म अदायगी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब यह यात्रा शुरू हुई तो इसके पीछे यह भावना थी कि जब दोनों देशों के लाखों लोग सरहदों पर पहुंचेंगे तो सरहदें अपने आप को बनाए नहीं रख पाएंगी। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के दोनों देशों में कोई सांस्कृतिक संघर्ष नहीं है। दोनों देशों में आर्थिक हितों की भी कोई टकराहट नहीं है। इसके बावजूद दोनों लोगों के अवागमन में ढ़ेरों बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि दीवारें ढ़हेंगी और जल्द देशों में प्रेम प्यार का प्रसार होगा। इस मौके पर सुरेन्द्र पाल सिह ने यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ावों की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में देस हरियाणा टीम सदस्य सुनील थुआ ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर विकास साल्याण, योगेश शर्मा, अंकित, कपिल भारद्वाज, बलवान सत्यार्थी, गुरमीत, प्रीतम गोयत, महिन्द्र कुमार, नरेश मीत, नरेश सैनी, गुंजन, सार्थक, सुनीता शर्मा मौजूद रहे।
-----------*****----------
सरहदों के पार भी,दे दो ये संदेश।
भाईचारे के साथ रहें,तेरे-मेरे देश।।
अमन-शांति-प्रेम और भाईचारे की आशा लिए 'आग़ाज-ए-दोस्ती यात्रा-2024 की फ्लैग ऑफ सेरेमनी (Flag Off Ceremony) 12 अगस्त को सांय 5:00 गाँधी शांति प्रतिष्ठान,दिल्ली में सम्पन्न हुई। इस समारोह की अध्यक्षता गाँधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष,श्री प्रसांत कुमार ने की और मुख्य वक्ता थी,आग़ाज-ए-दोस्ती यात्रा की संरक्षिका मोहतरमा सईदा सय्यदैन हमीद। अन्य वक्ताओं में श्री सौमय सरकार बोस,श्री विश्वरंजन दास,श्री अतुल प्रभाकर,मोहतरमा शबनम हाशमी,श्री राम मोहम राय के नाम प्रमुख थे।
13 अगस्त को सुबह 8:30 बजे, हरिजन सेवक संघ,दिल्ली से 'आग़ाज-ए-दोस्ती यात्रा-2024 की वस अमृतसर के लिए रवाना हुई,जिसमें देश के चौदह राज्यों से 53 शांतिकर्मी सवार थे।
यात्रा का समालखा,गन्नौर (सी सी ए जैन सा॰ सै॰ स्कूल),पानीपत के पानीपत इंस्टीच्यूट ऑफ टेकनोलोजी (PIET-पाइट) व आर्य काॅलेज और कुरुकक्षेत्र के पैराकीट टूरिस्ट कम्पलेक्स में श्री (प्रो॰) सुभाष सैनी की अध्यक्षता में बड़ी गर्मजौशी के साथ स्वागत किया गया।
अंबाला से चलकर यात्रा पँजाब में प्रविष्ट हुई। फगवाड़ा में रात्रि भोजन के पश्चात रात में 12:10 बजे यात्रा अमृतसर पहुँची,जहाँ गुरु तेगबहादुर निवास में यात्रियों के ठहरने का प्रबंध किया गया था।
अगले रोज अर्थात 14 अगस्त को ऐतिहासिक खासा काॅलेज में सेमीनार था,जिसका विषय था,India-Pakistan Relations-Give Peace A Chance. सेमीनार का आयोजन हिंद-पाच दोस्ती मंच,फाॅक लोर अकादमी,अमृतसर,सादमा पाकिस्तान,इंडिया पीपल्ज फोरम फाॅर पीस एण्ड डेमोक्रेसी और पँजाब जागृति मँच,जालंधर ने किया था।
सेमीनार का आयोजन ऐतिहासिक खालसा काॅलेज ऑफ एजुकेशन के विशाल एवं भव्य काॅन्फ्रैंस हाॅल में किया गया। मुख्य वक्ताओं में श्री विनोद शर्मा,जावेद अंसारी,आशुतोष,सुखदेव सिंह सिरसा,श्रू बलबीर सिंह राजेवाला,श्री हर्ष मंदर,संदीप पाण्डे, श्री सतनाम माणिक,श्री राम मोहन राय,श्री रमेश यादव, और श्री सौमय सरकार बोस थे।
सभी वक्तओं ने भारत-पाकिस्तान दोस्ती,दोनों पड़ोसी देशों के बीच अमन-शांति,प्रेम और भाईचारे की स्थाना,दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार,सीमाओं पर तनाव समाप्त करने और दोनों देशों कि बीच सास्कृतिक आदान-प्रदान पर वेशेष बल दिया। 1947 में देश विशेषकर पँजाब के बंटवारे और उसके बाद उत्पन्न स्थिति पर भी विस्तृत प्रकाश डाला गया। बंटवारे के परिणाम और प्रभावों पर भी वक्ताओं ने विशेषरूप से चर्चा की।
सेमीनार के बाद यहीं पर सबने लंच किया। उसके बाद स्वर्ण मंदिर और जलियाँवाला बाग का भ्रमण ताथा शाम छ:बजे,नाटशाला में सांस्कृतिक संध्या। इस बार यह प्रोग्राम पँजाबी के मशहूर शायर स्व॰ पद्मश्री श्री सुरजीत पातर को विशेषतौर से समर्पित था। सांस्कृतिक संध्या के दोनों ही कलाकारों , स्व॰ श्री सुरजीत पातर के सुपुत्र श्री मनराज पातर और श्री याकब ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी को भावविभोर कर दिया।
यहाँ रात्रि 10;30 पर सभी शांतिकर्मी अटारी बार्डर के रवाना हुए। रास्ते में बल्ले-बल्ले ढ़ाबे पर रात का भोजन किया और सरहद की ओर रवाना हो गये।
•□•
-सिद्दीक़ अहमद मेव
आगाज़-ए-दोस्ती की ये यात्रा महान,
दिलों में बसाए प्रेम का अरमान।
कुलदीप नैयर के ख्वाबों का ये सफर,
राजघाट से वाघा तक फैलाए असर।
राम मोहन का अदब और ज्ञान,
जगमोहन के विचारों का सम्मान।
सिद्दीक़ अहमद मेव की ताज़गी,
जयवंती शोकन की सादगी।
S.P. Singh का नेक विचार,
जो दे सोच को नया आकार।
हर दिल में बसता उनका प्यार,
बनाए भाईचारे की दीवार।
दीपक जी का साथ है प्यारा,
संजय राय की बातें हैं न्यारा।
संजय कुमार भाई की मुस्कान,
नितिन मिटटू भाई का बड़ा दिल है महान।
नीरज ग्रोवर की दोस्ती की शान,
पायल जी के साथ की है पहचान।
परवीन तंवर की गर्मजोशी से भरी,
हर दिल में खुशियां, हर दिल में खुशी।
हुमायूँ का दिल भी है आपके साथ,
भले ही दूर हो, पर है साथ।
हर फोटो में देखूंगा आपके चेहरे,
दिल से भेजूं दुआओं के फेरे।
इस यात्रा की हो जय-जयकार,
आप सभी पर रहे ऊपरवाले का प्यार।
मिलकर बनाएं एक नई पहचान,
दो मुल्कों के दिल हों एक समान।
आगाज़-ए-दोस्ती की राहें चलें,
हर दिल में प्रेम के दीपक जलें।
आप सभी को मेरा सलाम,
यात्रा सफल हो, यही है पैगाम।
हुमायूं खान
बहुत अच्छी रिपोर्ट
ReplyDelete