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Showing posts from May, 2020

तू न रोना कि तू है भगतसिंह की माँ

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तू न रोना कि तू है भगत सिंह की माँ 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐  सन 1965 में ,शहीद ए आज़म स0 भगत सिंह व उनके साथियो पर पहली बार एक फ़िल्म "शहीद "सिनेजगत में आई ।यह वह दौर था जब देश की आज़ादी को बचाने व उसकी रक्षा करने का जज्बा पुरे जोरो पर था ,और उनमे था अग्रणी सरताज हीरो भगत सिंह ।आर्य समाज के भजनीक शहरो ,कस्बो व गाँवो के चौराहो पर स0 भगत सिंह के गीत ,भजनों की लय पर ढोलकी ,बाजे व चिमटों के संगीत पर सुनाया करते जिनको सुनने के लिए सेंकडो की भीड़ एकत्रित होती थी । मेरा परिवार  स्वतन्त्रता संग्राम ,कांग्रेस व आर्य समाज से जुड़ा हुआ था ,इसलिए सभी को शाम ढलते ही  जल्दी खाना बनाने व खाने के बाद इन कार्यक्रमों में जाने का जनून होता था । स0 भगत सिंह के परिवार का आर्य समाज से जुड़ाव की गाथा सब से ज्यादा प्रभावित करती कि किस प्रकार उनके दादा स0 अर्जुन सिंह ने आर्य समाज के प्रवर्तक  स्वामी दयानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर समाज सुधार का काम किया  था । उनके पिता स0 किशन सिंह व चाचा स0 अजीत सिंह     ने देश की आज़ादी के लिए सजाए काटी । भगत सिंह की माँ तथा बहनो की तरफ से भजनीक व दूसरे लोक गायक घोड़ि

जिया को विनम्र श्रद्धांजलि

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श्रीमती केसरदेवी माली आज 94 वर्ष की अवस्था मे अनन्त में विलीन हो गयी ।     वैसे तो वह एक सहज ,सरल व गुमनाम जीवन जीने वाली महिला थी परन्तु एक महिला क्या कर सकती है ,उसकी एक साकार प्रतिमूर्ति थी ।     उनका जन्म सन 1927 में तत्कालीन उदयपुर (राजस्थान) के नाथद्वारा कस्बे में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था । पिता तुलसीदास एक साधारण किसान थे व माता एक बहुत ही साधारण महिला । वे अपने माता-पिता की तीन बेटियाँ थी लाली बाई , कमला देवी और सबसे छोटी वह खुद केसर ।पूरा परिवार ही तिलकायत वैष्णव सम्प्रदाय का आस्थावान मतावलम्बी । ठाकुर की पूजा ,आरती व सेवा ही उनका सर्वोपरि कर्त्तव्य था । घर भी श्री नाथद्वारा मंदिर के बिल्कुल सटा हुआ था ।  दिन में आठ बार ज्योही दर्शन के लिये द्वार खुलते ,पूरा परिवार ही दर्शन लाभ करता । घर में भी ठाकुर जी का विग्रह विराजमान था । बाकी समय उसी लड्डू गोपाल जी को साकार रूप मान कर उनकी सेवा -पूजा ।उनके लिए यह ही एक अनिवार्य शिक्षा थी जो उन्होंने सीखी थी । कस्बे में कोई स्कूल भी नही था और फिर लड़कियों के लिये इसका नाम भी लेना एक गुनाह था         कस्बे की समाज का रिवाज था कि

पूरी दुनिया मे मनाई गई दीदी निर्मला देशपांडे की पुण्यतिथि

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*स्व0 निर्मला देशपांडे जी की पुण्यतिथि पूरी दुनियां में मनाई गई -एक रिपोर्ट* 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️👏🏵️👏        स्व0 दीदी निर्मला देशपांडे जी की   त्रेहवी पुण्यतिथि पर कोरोना के संकट के बावजूद अनेक स्थानों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए । इनमें सर्वधर्म प्रार्थना ,पुष्पांजलि एवम जरूरतमन्द लोगो को राशन वितरण प्रमुख रहा । देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक  लगभग हर हिस्से में उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की गई । सोशल मीडिया के फेसबुक ,व्हाट्सएप ,ब्लॉगर पर अनेक चित्रों ,समाचारों को दर्शाया गया । भारत से बाहर नेपाल ,बांग्लादेश एवम पाकिस्तान में भी कोरोना की अनेक पाबंदियों के बावजूद उन्हें श्रद्धांजलि देने के संक्षिप्त कार्यक्रम हुए ।            नेपाल: गांधी ग्लोबल फैमिली ,नेपाल की ओर से काठमांडू में स्व0 दीदी के चित्र पर  पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया। दीदी के अनन्य साथी श्री सूर्य भूषाल एवम श्रीमती पार्बती भंडारी ने अपने अनेक साथियो सहित उन्हें याद किया ।         बांग्लादेश :  गांधी आश्रम ट्रस्ट ,नोआखाली तथा गांधी ग्लोबल फैमिली के संयुक्त तत्वावधान में स्व0 दीदी को याद किया ।