नित्यनूतन वार्ता आत्मकथन

 

*नित्यनूतन वार्ता आत्मकथन*

            नित्यनूतन वार्ता का अद्भुत शुभारंभ देश मे लॉक डाउन लगते ही हो गया था । यह एक जरूरत भी था और विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मक विचार ऊर्जा को प्रचार-प्रसार का माध्यम भी । हमे प्रसन्नता है कि इन लगभग चार माह में निरंतर यह प्रसारण कार्य करता रहा । 

  चार महीने में कुल 231 सत्र पूरे करने के बाद 15 अगस्त ,2020 को इसके पहले पर्व का समापन हुआ । यह भी खुशी की बात है कि समापन सत्र में "आग़ाज़ ए दोस्ती के सहयोग से एक अर्द्ध रात्रि का कार्यक्रम रहा जिसमे दुनियाभर विशेषकर अपने देश भारत और पाकिस्तान से कुल 97 लोगों ने भाग लिया ।

     दि0 23 मार्च से 15 अगस्त, 2020 तक 144 दिनों में  वार्ता के वक्ताओं में प्रत्येक विचारधाराओं ,आयुवर्ग तथा क्षेत्रों के लोग रहे जिन्होंने बहुत ही बेबाकी से अपनी बात अपनी-२ भाषाओं में रखी  ।  बेशक हमारा आग्रह गांधी-विनोबा विचार के प्रति रहा परन्तु वक्ताओं ने इन्ही में समाहित होकर विश्व शांति ,राष्ट्रीय एकता व सर्वधर्म सद्भावना, शिक्षा ,पर्यावरण ,स्त्री शक्ति जागरण, किसान-मजदूर-खेतिहर मजदूर व आदिवासियों की जल -जंगल-जमीन की समस्या ,ज्ञान-विज्ञान,इतिहास,लोक संस्कृति -गीत -संगीत, कोविड -19 बीमारी से उपजी समस्याओं,  विद्यार्थी और युवाओं के मसलों पर बहुत ही गम्भीर चर्चा की । संवाद अवधि  का यदि औसतन मूल्यांकन करें तो लगभग 257 घण्टे तक यानी 12 दिन -रात यह वार्ता रही । देश के 17 प्रान्तो तथा दुनियां के लगभग हर महाद्वीप के 15 देशों के वक्ताओं ने हमारे  श्रोताओं के सम्मुख  रखा व सुना । वक्ताओं में भी 7 वर्ष से 94 वर्ष के लोग रहे । जिनमे 129 महिलाएं , 17 बच्चे और 115 पुरुष थे । ऐसा इस लिए भी क्योकि अनेक सेशंस में 1 से 17 लोग वक्ता रहे । श्रोताओं की उपस्थिति की औसत को देखे 27,000 लोग इस वार्ता के दर्शक बने । इस पूरे पर्व में नए विचारों के साथ नए लोगों से मेलजोल एक बड़ी उपलब्धि रही । आनंद वर्धक बात रही युवाओं की व्यापक भागीदारी ।  वक्ताओं में 75 प्रतिशत 18 से 35 वर्ष की आयुवर्ग के लोग रहे ।

       नित्यनूतन वार्ता की यह भी उपलब्धि मानी जायेगी की कि अनेक साथियों ने इसमे अपनी प्रस्तुति के बाद प्रोत्साहित होकर अपने स्तर पर अन्य नामों से फेसबुक संवाद कार्यक्रमों का शुभारंभ किया । इन 231 सेशंस में ऐसा सम्भव नही था कि हम अपने सभी साथियों को शामिल कर पाते । ऐसे साथियों ने भी अपने विचार के प्रचार -प्रसार के लिये वार्ता जैसे ही ग्रुप शुरू किए ।  

 इस महामारी के समय मे निराशा ,अवसाद एवम तनाव की वजह से पारिवारिक दिक्कते वाज़िब थी । ऐसे टूटे सम्बन्धों को जोड़ने का काम वार्ता के माध्यम से हुआ है वहीँ मनोवैज्ञानिक स्तर पर परामर्श एवम सहायता पर भी कई व्याख्यान रहे । कोरोना बीमारी से पीड़ित अनेक मित्रों को नैतिक व व्यवहारिक सहायता का भी यह माध्यम बनी । बेआवाज अतिथि मजदूरों की व्यथा की यह  आवाज बनी जिसके कारण अनेकानेक मित्रों ने रिलीफ का काम जन सहयोग से शुरू किया । 

     वार्ता की यह भी सफलता रही कि देश-विदेश में रचनात्मक काम करने वाले अनेक मित्रों में पारस्परिक मैत्री सम्बन्ध बने । अनेक ऐसे वैचारिक ,सांस्कृतिक , शैक्षणिक कार्यक्रमों को शुरू करने पर  भी सहमति बनी ,वर्तमान स्थिति एवम सन्दर्भो में जिनकी बहुत जरूरत है । भविष्य में आपसी समझ के आधार पर अनेक कार्यक्रमो , कार्यशालाओं , मित्र- मिलन, सामूहिक उत्सवों की भी योजना बनी जो हम सब के बौद्धिक सम्पन्नता के लिये बहुत जरूरी है । सबसे बड़ी बात यह कि सांगठनिक रूप से एक मजबूत आधार तैयार हुआ ।

      नित्यनूतन वार्ता की इस समूची यात्रा तुरतफुर्ती में तो बेशक शुरू हुई परन्तु साथियों की प्रतिबद्धता एवम निपुणता ने इसे सुंदर मूर्त बना दिया । 

     अभी इन तमाम वार्ताओं को लिपिबद्ध करना एवम एडिट कर इन्हें सुरक्षित करने की बेहद जरूरत है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है । इसे पूरा कर यह टीम पुनः अपने शुभ संकल्पों के साथ आप से फिर जुड़ेगी । हम आशा करते है आपकी सद्भावना व शुभकामनाएं हमेशा हमारे साथ बन कर हमें प्रेरित करती रहेगी ।

सादर,

नित्यनूतन वार्ता फेसबुक ग्रुप 

16.08 .2020

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