Swami Agnivesh
*महर्षि दयानंद का पथगामी-स्वामी अग्निवेश* विनम्र श्रद्धांजलि योगीराज महर्षि अरविंद ने महर्षि दयानंद सरस्वती के संबंध में अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा था ,*उन विशेष महत्वशाली व्यक्तियों की पंगत में जिन्हें आने वाली संतति भारत के पुनरुद्धार करने वालों में अग्रणी करके गिनेगी, एक व्यक्ति है जो अपनी अनूठी और अपनी अनुपम विशेषता के कारण स्पष्ट औरों से जुदा खड़ा हुआ दृष्टिगोचर होता है, वह अपने ढंग का निराला है। यह ऐसा है जैसे कोई बहुत समय तक एक पर्वत श्रृंखला के बीच घूमता है जिसमें के पर्वत यद्यपि कम और अधिक ऊंचाई के हैं, पर वह सब दूर तक एक जैसे आकार- प्रकार वाले और हरियाली आच्छादित है, उनकी अधिक से अधिक बढ़ी- चढ़ी और ध्यान आकर्षित करने वाली ऊंचाई भी आंखों को खलती नहीं है। किंतु उन सबके बीच में एक पहाड़ है जो उसे स्पष्ट जुदा ही दिखाई देता है। मानो निरा बल ही मूर्तिमान होकर पहाड़ के रूप में खड़ा हो गया है। खुले और सुदृढ़ ठोस चट्टान का एक समुदाय विशाल रूप में ऊंचा उठा हुआ है, हरियाली से भरी हुई इसकी चोटी पर खड़ा एक सनोवर का वृक्ष आकाश से बातें कर रहा है, शुद्ध, प्रबल और उपज