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Showing posts from November, 2020

ईश्वर और किसान

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 विहाग वैभव की बेहतरीन कविता !                           ईश्वर को किसान होना चाहिए  !   ईश्वर सेनानायक की तरह आया न्यायाधीश की तरह आया राजा की तरह आया ज्ञानी की तरह आया और भी कई-कई तरह से आया ईश्वर पर जब इस समय की फसल में किसान होने की चुनौतियाँ मामा घास और करेम की तरह ऐसे फैल गई है कि उनकी जिजीविषा को जकड़ रही है चहुँ ओर और उनका जीवित रह जाना एक बहादुर सफलता की तरह है तो ऐसे में ईश्वर को किसान होकर आना चाहिए ( मुझे लगता है ईश्वर किसान होने से डरता है ) वह जेल में महल में युद्ध में जैसे बार-बार लेता है अवतार वैसे ही उसे अबकी खेत में लेना चाहिए अवतार ऐसे कि चार हाथों वाले उस अवतारी की देह मिट्टी से सनी हो इस तरह कि पसीने से चिपककर उसके देह का हिस्सा हो गई हो बमुश्किल से उसकी काली चमड़िया ढँक रही हों उसकी पसलियाँ और उस चार हाथों वाले ईश्वर के एक हाथ में फरसा दूसरे में हँसिया तीसरे में मुट्ठी भर अनाज और चौथे में महाजन का दिया परचा हो ( कितना रोमांचक होगा ईश्वर को ऐसे देखना ) मुझे यक़ीन है — ईश्वर महाजन का दिया परचा किसी दिव्य ज्ञान के स्रोत की तरह नहीं पढ़ेगा वह उसे पढ़कर उदास हो जाएगा फ

दीदी की छांव में

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 खाना बन रहा है। अब्दाली ने फिर पूछा क्या इन सबका खाना एक साथ नहीं बनता ? जवाब था, नहीं। ये एक-दूसरे के हाथ का खाना नहीं खाते ।क्योंकि इनमें कोई ब्राह्मण, कोई शूद्र और कोई क्षत्रिय है। अब्दाली इसे सुनकर खुशी से नाचने लगा और बोला, हम जीत गए क्योंकि जो एक साथ खाना नहीं खा सकते, वे एक साथ लड़ भी नहीं सकते। दीदी पानीपत की इस वारदात को भारतीय समाज में ऊंच-नीच तथा उसके परिणामों को समझाने में अक्सर प्रयोग करती थीं। इसी सम्मेलन में दीदी के साथ अहमद नगर (महाराष्ट्र) से डा.सुभाष अगाषे भी आए, पर पानीपत आते ही वे ऐसे बीमार पड़े  कि उन्हें सम्मेलन को छोड़कर वापस दिल्ली जाना पड़ा और दिल्ली जाते ही वे ठीक भी हो गये। इस पर दीदी का कहना था कि मराठों को पानीपत रास नहीं आता। एक बार ऐसा ही अनुभव दीदी के साथ पुणे जाने पर हुआ। दीदी अपनी बहन कल्पना के घर ठहरी और मेरी ठहरने की व्यवस्था एक जाने-माने चिंतक और लेखक के घर पर की गई। उनका संपूर्ण परिवार अत्यंत सुसंस्कृत और मेहमान नवाज था। वे स्वयं भी का0. श्रीपाद अमृत डांगे के प्रिय साथियों में और भारतीय कम्यनिस्ट पार्टी में रहे थे। उन्हें यह जानकार बेहद प्रसन्नता