सैनी किसान

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मेरा जन्म पंजाब की एक पिछड़ी जाति में हुआ ,जिसे सैनी नाम से बुलाते थे । तत्कालीन ज़िला रोहतक के सोनीपत ब्लॉक में गांव बलि कुतुबपुर में मेरे पिता-दादा और उनके बुजुर्ग रह कर खेती करते थे । मेरे पिता के बचपन मे ही मेरे दादा गुज़र गए । आर्य समाज के प्रचार ने उनमें पढ़ाई की ललक लगाई और वे गांव से रोजाना 13 किलोमीटर पैदल चल कर पानीपत पढ़ने आते और फिर ऐसे ही वापिस लौटते* । 

      *मेरे पिता बताते कि उस समय हमारी जाति को हेय दृष्टि से देखा जाता था । मूलतः तो हम माली है पर कुछ लोग सगड आदि अपमानित नामों से भी सम्बोधित करते । वे बताते थे कि तब संयुक्त पंजाब में सर् चो0 छोटूराम रेवेन्यू मिनिस्टर बने और उन्होंने कहा कि यह कौम किसानी है और अब इसे सैनी नाम से ही सम्बोधित किया जाएगा । और आदेश पारित कर सभी रेवेन्यू रेकॉर्ड में माली शब्द को काट कर सैनी किया । यह वही जज़्बा था कि मेरे माता-पिता दोनों ने रोपड़ के संत साधुसिंह सैनी के साथ मिल कर सैनी-किसान अखबार का सम्पादन किया* ।

     *अब हम कैसे कह दे कि हम तो शहरी ही है और वकील है* । 

    *हमारी जड़े गांव में है और हम किसान है* ।

    *आओ ,अपनी जड़ों से जुड़े* । 

*आओ किसान आंदोलन से जुड़े* ।

राम मोहन राय

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