शांतिसैनिक धर्मपाल सैनी


 *अहिंसात्मक शांतिपूर्ण क्रांति के संवाहक धर्मपाल सैनी* 

💐💐💐💐💐💐💐💐💐श्री धर्मपाल सैनी ने जो कार्य अपने जीवन के सबसे सम्पन्न  काल अपनी आयु के 92वें वर्ष में  किया है, वह उनके संपूर्ण जीवन का एक अत्यंत गौरवपूर्ण पक्ष है। स्मरण रहे कि विगत दिनों जब बीजापुर *(छत्तीसगढ़) में नक्सल वादियों के हमले में कई जवान शहीद हुए तथा उन्होंने एक जवान राकेश्वर सिंह को  अगवा कर लिया तो  उनका परिवार ही नही पूरा देश  भी त्राहि-त्राहि कर रहा था । ऐसे समय में कोई भी विकल्प न तो सरकार के सामने था और न ही  परिवार के पास । ऐसी स्थिति में  एक ही आशा की किरण थी  और वह थी पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी ।

     श्री धर्मपाल सैनी  का जन्म यद्यपि 24 जून 1930 को जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के एक गांव में हुआ था । उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं हुई परंतु अपनी युवावस्था में ही वे संत विनोबा भावे तथा उनके नेतृत्व में चल रहे भूदान आंदोलन से जुड़ गए और यही वह रास्ता था जिस पर चलते हुए धर्मपाल सैनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा  ।

     


श्री सैनी ने संत विनोबा भावे के भावों की आदरांजली भेंट करते हुए खुद को उनके कार्यों के प्रति संपूर्ण रुप से समर्पित कर दिया  ।  वह बस्तर जो कि एक आदिवासी इलाका है वहां के बीहड़ जंगलों में रहने लगे और वही संत विनोबा की माता रुकमणी देवी के नाम पर उन्होंने सेवा कार्य किए। कोई आसान काम नहीं था   उस इलाके में  शासन और प्रशासन तो निष्क्रिय थे ही परंतु तब कुछ गतिविधियां थी तो वह ईसाई मिशनरीज की ।  ऐसी स्थिति में धर्मपाल सैनी ने सर्वधर्म समभाव का बीड़ा लेकर खासतौर से लड़कियों की शिक्षा का कार्य किया । उन्हीं के कार्यों के प्रभाव से इस क्षेत्र में  नया वातावरण बना । उनसे शिक्षा प्राप्त बालिकाओं ने न केवल शैक्षणिक जगत में अपितु खेल, समाज सेवा एवं शासन एवं प्रशासन में भी स्थान उत्कृष्ट प्राप्त किए

 उनके कार्यों के लिए ही  नहीं अपितु उनके व्यक्तिगत व्यवहार से भी स्थानीय लोगों में उनके प्रति श्रद्धा उत्पन्न की । वास्तव में यह श्रद्धा थी गांधी और विनोबा विचार के प्रति , जिसके माध्यम से धर्मपाल सैनी भाई अपने कार्यों को बढ़ा रहे थे ।

      वर्ष 1987 में श्री धर्मपाल सैनी को  भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से  सम्मानित किया ।

     


धर्मपाल सैनी की यह  समझ शुरू से ही रही थी नक्सलवादी समस्या कोई कानून एवं व्यवस्था का प्रश्न न होकर एक आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक कारणों के कारण है और इसका निदान भी गोली से न होकर बोली से ही होगा ।

      वे ,स्वर्गीय दीदी निर्मला देशपांडे जी के अनन्य सहयोगी, मित्र एवं साथी रहे  ।  दीदी के साथ मिलकर उन्होंने पूरे देश में शांति एवं सद्भावना के कार्य किए। दीदी निर्मला देशपांडे जी के निधन के पश्चात उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ उनके कार्यों को विस्तार की पहल करने  वे  सन 2009 में श्रीनगर (कश्मीर) गए तथा शांति कार्यों में अपनी भूमिका को निभाया  यह उनकी ही प्रेरणा का प्रभाव था कि उनके साथियों ने गांधी ग्लोबल फैमिली संगठन की स्थापना की। बेशक इसके अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद रहे परंतु इस वैश्विक परिवार के मार्गदर्शक, संरक्षक एवं मुख्य परामर्शदाता में श्री धर्मपाल सैनी प्रमुख रूप से रहे ।

      इस लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने  नित्यनूतन वार्ता के सभी कार्यक्रमों को सदा प्रोत्साहित किया। ऐसा कोई ही दिन  रहा होगा जब वे वार्ता के कार्यक्रम में शामिल नहीं रहे होंगे ।

    स्वर्गीय निर्मला पांडे जी द्वारा स्थापित एवं संपादित पत्रिका नित्यनूतन के प्रति  सदैव उनकी सद्भावना बनी रहे। इस पत्रिका के न  केवल मार्गदर्शक मंडल में रहे अपितु अपनी कविताओं लेखों एवं विचारों से भी इसे सुभोषित करते रहे

     


वर्ष 2016 में उनके नेतृत्व में हम सब साथी श्री लंका गए तथा वहां  वरिष्ठ गांधीवादी डॉक्टर ए टी आर्यरत्ने के सानिध्य में लगभग सप्ताह भर रहे। वह समय ऐसा था जहां गांधी विनोबा विचार प्रवाह डॉ0 ए टी आर्यरत्ने तथा श्री धर्मपाल सैनी के माध्यम से जानने का सौभाग्य मिला ।

       सीआरपीएफ के जवान श्री राकेश्वर सिंह की रिहाई करवाने का कदम श्री सैनी ने शासन एवं प्रशासन के कहने पर ही उठाया। जो यह भलीभांति समझते थे कि इस क्षेत्र में एक ही ऐसा व्यक्ति है जिसकी समाज के तमाम तबकों में आदर्श एवं प्रतिष्ठा है फिर चाहे वह हिंसक प्रवित्ति के ही क्यों ना हो। इस मामले में वे भगवान बुद्ध के एक सच्चे अनुयाई साबित हुए जिनकी अहिंसक वृत्ति के सामने आकर डाकू अंगुलीमार ने भी आत्मसमर्पण कर बौद्ध धर्म को आत्मसात किया था ।

      इस रिहाई के बाद उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की  पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है। यही कारण था कि जब जवान राकेश्वर सिंह को उनके घर कश्मीर पहुंचाने का मसला आया तो सभी ने एक स्वर में कहा इसके लिए सबसे अच्छे वाहक 92 वर्षीय श्री धर्मपाल सैनी ही हो सकते हैं। एक सशस्त्र सैनिक की रक्षा का दायित्व एक शांति सैनिक को सौंपा गया। यही तो है अहिंसा, सत्य और करुणा की विजय यात्रा।

     


जवान राकेश्वर सिंह को जब श्री धर्मपाल सैनी श्रीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचे, तो वहां की जनता ने भी गांधी ग्लोबल फैमिली के प्रांतीय अध्यक्ष पदमश्री श्री एस पी वर्मा के नेतृत्व में  महात्मा गांधी की जय, संत विनोबा अमर रहे और दीदी निर्मला देशपांडे जिंदाबाद के नारों से किया । जो इस बात का प्रमाण है कि रास्ता तो अहिंसा का ही है जो सभी  समस्या के निदान के करेगा ।

     आज के इस माहौल में श्री धर्मपाल सैनी और उनके मार्गदर्शक गांधी- विनोबा विचार ही प्रासंगिक हो सकते हैं । वे एक ऐसे उदाहरण एवं प्रेरणा है जो भारत में शांति एवं स्थिरता का माहौल प्रदान करेंगे । महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत को आजादी इसलिए चाहिए कि वह दुनिया की सेवा कर सके।

    श्री धर्मपाल सैनी को हजारों सलाम !

राम मोहन राय,

पानीपत /20.04.2021

(  *नित्यनूतन वार्ता*)

Comments

Popular posts from this blog

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :

Global Youth Festival, 4th day ,Panipat/05.10.2025. Sant Nirankari Mission/National Youth Project/Gandhi Global Family