अब जग मुसाफिर भोर भई


 टीका लगवा कर रोकें कोरोना की तीसरी लहर https://www.updainikbhaskar.com/opinion/stop-the-third-wave-of-corona-by-getting-vaccinated/ (Sent via updainikbhaskar.com)

♀ *उठ जाग मुसाफिर भोर भई*

🙏🙏🙏 


●कोरोना महामारी का प्रकोप कम हुआ है पर अभी यह खत्म नही हुई है । जानकारों का कहना है कि यदि अगस्त तक 70 प्रतिशत भारतीय आबादी को वैक्सीनशन नही हुई तो हमे और अधिक भयंकर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा ।

      ◆क्या इसका मुकाबला इस बात से होगा कि बेड्स ,ऑक्सीजन ,दवाइयां तथा अन्य सुविधाएं अब पहले से बेहतर है ?  कितना अच्छा हो कि जब इनकी जरूरत ही नही पड़े और लोग संक्रमित ही न हो । पर इसकी संभावना अब कम ही लगती है ।

     ■ वैक्सीनशन का आलम यह है कि इसके प्रति जागरूकता में बहुत ही कमी है । अनपढ़ तो छोड़िए पढ़े -लिखे लोग भी स्वयं को टिका लगवाने में आगे नही आ रहे ।

      ★कुछ का कहना है कि कोरोना कोई बीमारी नही है अपितु सरकार व एजेंसियों का फैलाया भ्रम है । ऐसे लोग टीकाकरण के बारे में भी ऐसी ही बातें करते है कि यह प्रजनन व पौरूष शक्ति को कम करती है । ग्रामीण इलाकों में यह भी दूषित प्रचार है कि सरकार वृद्ध लोगों को टिका लगवा कर  इसलिए मरवाना चाहती है ताकि उन्हें वृद्धावस्था पेंशन देने से बचा जाए । दूसरी और वैक्सीनशन की कमी ने भी एक अविश्वास पैदा किया है।

    ●लोगों का यह भी कहना है कि यह बीमारी मेहनतकश को कुछ नही कहती यह अमीरों को ही लगती है । इस बारे में किसान आंदोलन में इसका न पाना उनका आधार है । पर शासन ने भी इस आधार को मजबूत करने में कोई कमी नही छोड़ी । उसके लिए उनके साथ बातचीत न करने का अहंकार व दम्भ काफी हावी है । सरकार जनता की है जिसे असहमति का भी निराकरण करना होता है 

      ◆राजनैतिक सभाएं ,आयोजन व जुलूस और उन्हें भी भारत के माननीय प्रधानमंत्री व अन्य केंद्रीय मंत्रीगण ,राज्यो के मुख्यमंत्रियों की बिना किसी कोरोना प्रोटोकॉल के शिरकत ने भी कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को कमजोर किया है ।

     ■धार्मिक आयोजनों ने भी इस महामारी को बढावा दिया है । कुम्भ-हरिद्वार तथा अब कांवड़ यात्रा बेशक आपकी चुनावी जीत को तो भरोसा देगी परन्तु इसकी मार भारतीय जन जीवन पर देगी । थोड़ी ही छूट होने पर पर्यटन स्थलों पर भारी भीड़ भी किसी भी खतरे की घण्टी से कम नही है।

    ★ भारतीय संविधान में एक कल्याणकारी शासनव्यवस्था का संकल्प है । देश की 80 प्रतिशत गरीब आबादी किसी भी प्रोटोकॉल का पालन तब तक नही कर सकती जब तक उनके भूखे पेट को भरने की गारंटी न हो ।  अन्नदाता किसान सड़को पर , अतिरिक्त अनाज गोदामो में और रोटी से वंचित लोग घरों में यह तुकबंदी नही चल सकती ।

      *मैं तथा मेरा परिवार इस कोरोना आपदा का भुक्तभोगी है । पिछले एक साल में लगभग 10 लोगों को हमने खोया है । दुर्भाग्यवश ये वे लोग थे जिनका टीकाकरण कीन्ही न कीन्ही कारणों से नही हो पाया था* ।

      ♂जागरूक व सचेतन सरकार व जनता ही महामारी की कथित तीसरी वेव को रोक पाएगी ।जिसके लिए सामूहिक इच्छाशक्ति व प्रयास बहुत जरूरी है ।

*राम मोहन राय*,

( *नित्यनूतन वार्ता समूह*)

08.07.2021

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