निरंकारी संगत परिवार की प्यार और सेवा भाव
पिछले दो दिनों से हम एक ऐसे परिवार में रह रहे हैं जिनका हमारा किसी भी प्रकार का कोई समबन्ध नहीं था। पिछले शनिवार को रेमंड में आयोजित निरंकारी संगत वे हमसे मिले और उन्होंने हमें अपने घर आने का निमन्त्रण दिया । उन्होंने कहा कि उनका घर सिएटल से कुछ दूर टाकोमा के पार एक बहुत ही सुन्दर टापू पर स्थित एक पहाड़ी पर है । मन तो मन है जो एक तरह से ऐसी खूबसूरत जगह आना चाहता था पर कुछ दुविधा में था। घर लौट कर मैंने इस निमन्त्रण को चर्चा अपनी बेटी के परिवार से की तो उनका मानना था कि कहीं ऐसे भी होता है कि कोई अपरिचित आपको बुलाए और आप उनके साथ चल पड़ो। हो सकता है कि लोक व्यवहार में वे उन्होंने आपको औपचारिकता भर बुलाया हो? पर मुझे यकीन था कि उनका बुलावा मन से है अतः मैंने तो चलने की तैयारी कर ली परंतु शंकित रहा कि कभी बच्चों की ही बात सही न हो।
इस रविवार को वे पुनः मिले और बोले सामान पैक कर लिया चलने के लिए। हमने अपना संशय बताया पर यह क्या वे मेरी बेटी के घर आ गए उन्हें आश्वस्त करने और इस प्रकार अब हम उनके घर मे पिछले दो दिन से है।
यह दंपति है इंजीनियर रजनीश ग्रोवर एवं उनकी पत्नी डॉ अंजना। इनका घर सचमुच एक टापू में जिसे गिग हार्बर के नाम से जाना जाता है एक पहाड़ी पर स्थित है। एक राज महल की तरह विशाल व भव्य मकान जिसके बारे मे हमारे मेज़बान ने बताया था उससे भी खूबसूरत। अपने निवास में लगे ऊंचे ऊंचे पेड़ों की ऊचाईयों की तरह ही इनकी अध्यात्म दृष्टि, चारों तरफ फैले सागर की गहराई की तरह मानसिक भाव इस परिवार में हैं। हमें लग ही नहीं रहा कि किन्ही अपरिचित लोगों में हम रह रहे है । वे इस तरह हमारा ध्यान ख्याल रख रहे हैं मानो इनके बड़े बुजुर्ग एक मुद्दत के बाद इनके घर आए हैं। इनके दो बच्चे-बेटा, बेटी है जो इन्हीं के संस्कारों पर चल कर आगे बढ़ रहे हैं।
मेरा साथी दीपक मुझसे अक्सर पूछा करता है कि पानीपत में हमारे घर जब कोई भी आता है तो हम उनको ऐतिहासिक स्थल दिखाने और खातिर तव्वजो में लग जाते हैं तो क्या कोई हमारी भी ऐसी ही करता होगा? मेरा जवाब रहता कि प्रकृति का यह नियम है कि जैसा हम करते व सोचते हैं उससे अनंत गुणा वापिस करती है। अपने प्रवास को हम वापसी तो नहीं प्रेरणा अवश्य कहेंगे।
ऐसे परिवार ही जय जगत और वसुधैव कुटुम्बकम का आधार है। ऐसे ही सेवाभावी अनजाने लोगो ने स्वामी विवेकानंद और स्वामी रामतीर्थ को उनकी विदेश यात्रा के दौरान आश्रय दिया होगा।
अतिथि पारायणता पंच यज्ञों का प्रमुख भाग है जिसमें अतिथि ब्रह्मा है और गृहस्थ यज्ञमान । जिसमें पूर्णाहुति होने पर ब्रह्मा का आशीर्वाद भाव होता है।
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
(ऋग्वेद मंडल 1, सूक्त 89, मंत्र 8)
Ram Mohan Rai.
Gig Harbour, Washington-USA.
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