Hali Apna School
हाली अपना स्कूल, पानीपत में लगभग 3 माह पहले एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने आकर बताया कि स्कूल के निकट ही कुछ घुमंतू मूर्तिकारों के परिवार कच्ची झोपड़ियां बना कर रह रहे है । उनके बच्चे भी 5 से 14 साल के है परंतु कभी भी स्कूल नही गए । पर वे पढ़ना चाहते हैं । स्कूल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें संपर्क किया और उन्हें अपने यहां ले आए ।
अपने एडमिशन के पहले दिन से वे सभी बच्चे नियमित रूप से स्कूल मे आ रहे हैं। वे कुशाग्र बुद्धि है। पढ़ाई के साथ- साथ वे अपने पारंपरिक हुनर को भी नहीं छोड़ा है । उन्हीं में से एक बेटी, दिवाली के अवसर पर कच्ची मिट्टी से राधा-कृष्ण की एक मूर्ति बना कर लाई । उसके स्नेह को देख कर हम अभिभूत है ।
हमारे पास ऐसे ही अनेक बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं जो बहुत ही कुशल चित्रकार है, मूर्तिकार है, गायक है ,डांसर है और हाथों पर मेंहदी सजाते हैं।
ये वे है जो निधन माता पिता की होनहार संतान है ।
मुझे तो यकीन है कि ये जीवन की ऊंचाइयों को हासिल करेंगे और सभ्य समाज के सुयोग्य नागरिक भी ।
दिवाली के इस अवसर पर हम अपने आस पड़ोस में रह रहे ऐसे ही होनहार बच्चों की तलाश करे और उनके जीवन में भी शिक्षा का प्रकाश भरने की कोशिश करें ।
क्या बदलाव संभव है ?
हां अवश्य , बस , आपका और हमारा आशीर्वाद और समर्थन इन्हें मिले ।
Ram Mohan Rai
24.10.2022
आज सूर्य ग्रहण है । हिंदू पौराणिक कथाओं में ऐसा मानना है कि इस दिन सर्वत्र व्याप्त प्रकाशित सूर्य नारायण को राहु और केतु नामक दो दैत्य ग्रह ग्रसित कर लेते है , इसीलिए उन्हें मुक्त करने के लिए यज्ञ, स्नान, दान - पुण्य करना चाहिए । ग्रहण के अवसर पर उत्तर भारत के छोटे बड़े शहरों कस्बों और गांवों में कुछ घुमंतू अथवा निर्धन परिवारों की महिलाएं,पुरुष एवम बच्चें धर्मभीरू अथवा श्रद्धालु लोगों से दान प्राप्त करने के लिए गली - मोहल्लो में घूम कर कपड़ा, अन्न और पैसे इकट्ठे करते हैं। ग्रहण के डर से घरों से तो लोग नही निकलते परंतु गरीब बस्तियों से निकल कर बच्चें और महिलाए उनसे दान प्राप्त करते हैं ।
यहां मैं किसी भी मिथ्या आस्था पर कोई टिप्पणी तो नही करूंगा और न ही सत्य वैज्ञानिक पक्ष को प्रतिपादित करूंगा । परंतु अपने हाली अपना स्कूल, पानीपत (Nirmala Deshpande Sansthan) की चर्चा करूंगा।
हमारे इस विद्यालय के कुछ बच्चे भी अपने माता - पिता तथा अन्य मित्रों के साथ ग्रहण का दान मांगने के लिए जाते थे। परंतु इस बार क्योंकि वे स्कूल में दाखिल हो कर शिक्षा प्राप्त कर रहे है इसलिए हमारा एक भी बच्चा ग्रहण का दान मांगने के लिए नही निकला। बेशक स्कूल में दाखिल हुए उन्हें मात्र 2-3 महीने ही हुए हैं परंतु उनकी बदली सोच ने उन्हें नई दृष्टि भी दी है ।
शाबाश मेरे बच्चों " तुम ही तिलक बनोगे इस भारत विशाल के मस्तक के " । हमें तुम पर गर्व है ।
भगवान कृष्ण ने कहा है "सा विद्या या विमुक्त्ये"
Ram Mohan Rai.
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