Hz Boo Ali Shah Kalandar-Dr Rajender Ranjan Chaturvedi
*शहंशाहों के शहंशाह बू अली शाह कलंदर* (डाo राजेन्द् रंजन चतुर्वेदी) पानीपत शहर के बीचो-बीच मेन बाजार के उस छोर पर एक चौंक है ।यहां खड़े होकर देखिए, किले जैसी चार दीवारों से घिरी वह विशाल और भव्य इमारत। चारों कोनों पर चार बुर्ज और बीच में हरे रंग का विशाल गुंबद । चौंक के एक दरवाजे से निकलकर आप इमारत के मुख्य द्वार पर पहुंचेंगे, जहां आपको गोल मौलवी भी टोपी, लंबी दाढ़ी और काले रंग का लंबा चोगा पहने कई लोग इंतजाम में व्यस्त से नजर आएंगे। यहीं खेल- खिलौनों, स्त्रियों के सौभाग्य प्रतीकों, किताबों,तस्वीरों, अगरबत्ती, धूप, चद्दर और बतासो की कई दुकानें हैं। मुख्य द्वार से आगे चलकर एक विशाल प्रांगण है ।जिसके बाई ओर जलाशय और चबूतरा है तथा दाहिनी ओर कई कमरे और एक ढका हुआ कुआं है ।कहते हैं इसमें एक सुरंग है जो कई मिल तक गई है। सामने जो जालीदार बरामदा दिखाई दे रहा है, बस वही है महात्मा कलंदर की दरगाह। आज 800 वर्ष बीत गए और इतिहास ने कितनी ही बार करवटें बदली है ।कितनी सल्तनतें बदल गईं,युद्ध हुए, कितनी क्रांतियां हुई और कितनी ही बार यहां की समूची आबादी ही बदल गई परंतु