Ghalib At Quarantine -a play on life , letters & Poetries of Mirza Ghalib.
एक अरसे के बाद शानदार नाटक "ग़ालिब एट क्वारेंटाइन" देखने का मौका मिला । इसकी प्रस्तुति लाज़वाब और जीवंत थी, जिसे देख कर बरबस ज़ुबान से निकला कि हमने मिर्ज़ा ग़ालिब के तो दीदार नही किए पर आज इस नाटक के ज़रिए उसे जिया । घंटे भर के इस नाटक में ग़ालिब के एकांत वास में उनकी जिंदगी, तहरीरों, ग़ज़लों और नज़्मों को बखूबी दर्शाया गया था। इसके सजीव चित्रण ने ग़ालिब के हर पहलू को छुआ। न सिर्फ जज़्बाती बल्कि इंसानी पहलुओं को भी । नाटक बात ही बात में सरल भाव से एक बड़ा संदेश दे रहा था । मिर्ज़ा की तमाम तहरीर अंग्रेज़ी हुकूमत ने जला कर बर्बाद कर दी फिर भी उनका कहना था कि यदि शायर की नज़्में तवायफ के कोठे पर और गलियों में फ़कीर गाएं तो वे ख़तम नही होती । उस्ताद बिस्मिल्ला खान युवा पुरस्कार से सम्मानित अभिषेक भारती ने इसे बेहद खूबसूरती से निर्देशित किया है । कलाकार बलविंदर सिंह का मिर्ज़ा ग़ालिब, अनु ठाकुर का बेगम, शोभना शर्मा का तवायफ और विशाल पंडिता का फकीर का किरदार लाज़वाब रहा । नाटक के लेखक रोहित वर्मा ने पूरे नाटक को अपने शब्दों के जादू से पिरोया। हां एक