kanha ka Varindavan/19.03.2023
श्री राधा रानी और भगवान कृष्ण की लीला भूमि के नाम से प्रख्यात वृंदावन सदैव से भक्ति और ज्ञान का अद्भुत केंद्र है । यह न केवल पौराणिक अपितु वैदिक एवम बौद्ध धर्म का भी अध्यात्मिक स्थल है । राधाकृष्ण रस से सराबोर रसिक यहां आने के सदा इच्छुक रहते है । पर अब सब कुछ बदल रहा है ।
एक देहाती कथा है कि गांव के सभी लोगों ने दिल्ली कैसा है को जानने के लिए एक आदमी को रेल गाड़ी से वहां भेजा । वह वहां गया और स्टेशन पर उतरा और फिर वहां से बाहर निकल कर वापिस लौटती रेल से वापिस अपने गांव आ गया । सभी निवासी उत्सुकता वश उसके इर्दगिर्द जमा हो गए और दिल्ली का हाल चाल पूछने लगे तो वह बोला कि जब वह स्टेशन से बाहर निकला तो उसने देखा कि वहां तो भगदड़ मची थी। किसी को भी तो चैन नही थी । कोई साइकिल से, कोई टांगे से, कोई मोटर से और कोई तो पैदल भाग रहा था । किसी को बात करने की भी फुर्सत नहीं थी । मैं तो इसे देखते ही वापिस आ गया लगा कि दिल्ली तो उजड़ रही है और अब तक तो वह खाली हो चुकी होगी ।
कमोबेश यही हाल वृंदावन का है । तीन दिन रह कर अभी वहां से लौटा हूं । इस छोटे से कस्बे में लाखों लोगों की भीड़ जमा थी और मंदिर दर्शन करने इतनी धक्का मुक्की थी कि तौबा । स्थानीय लोगों का कहना था कि यह भीड़ श्रद्धालुओं की न होकर पर्यटकों की है जो आस पास के बड़े शहरों से वीक एंड होते ही छुट्टियां मनाने यहां टूट पड़ते है ।
वृंदावन में अब अनेक पांच सितारा होटल नुमा आश्रम और मंदिर है । वृंदा वन अब पूरी तरह कंक्रीट का जंगल बन गया है । वृंदावन की कुंज गलियों को कैरिडोर बनाने के नाम पर उखाड़ने की योजना बन चुकी है और बांके बिहारी मंदिर के आस पास के मकानों को चिन्हित कर नोटिस दे दिया गया है और अब कब्जा लेकर उनको गिराने का समय है ।
लब्बो लवाब यह कि कान्हा का वृंदावन तो अब उजड़ गया ।
राम मोहन राय,
19.03.2023.
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