घुमकड़ की डायरी-24 Mahatma Gandhi in Bellevue, Washington -USA

*अमेरिका में महात्मा गांधी*        
        पूरी दुनियां में भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में कुल 49 स्थानों पर पूज्यपाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मृति स्थल बने है, जिनमे अधिकांश जगहों पर उनकी प्रतिमाएं भी स्थापित है  । इन स्थानों पर गांधी विचार को प्रचारित -प्रसारित करने का अद्भुत व प्रशंसनीय कार्य हो रहा है । महात्मा गांधी एक ऐसी दिव्य विभूति है जिनका जन्म व कर्म स्थान बेशक भारत हो परन्तु उनके जीवन दर्शन व विचारों की ख्याति पूरे विश्व मे है। 
     *अमेरिका में विभिन्न बड़े -२  नगरों  में कुल 21 स्थानों पर गांधी विचार केंद्र है जहां उनकी मूर्तियां ,पुस्तकालय व चर्चा केंद्रों की स्थापना की गई है* । गांधी -150 को मनाने के लिये नागरिक स्तर पर ईयर ऑफ गांधी नाम से एक बेहद खूबसूरत पहल की गई थी । *खुशी की बात है कि इसके अग्रणी कर्णधार अमेरिकी नागरिको के अतिरिक्त पाकिस्तान व भारत के युवा भी थे* । वे अपनी इस पहल में दी सैटरडे फ्री स्कूल भी चला रहे है जो गांधी - डब्ल्यू ई बी डू बायस विचार एवम उसका अमेरिका की जनता के नस्लवाद ,रँगभेदवाद एवम साम्रज्यवाद के विरुद्ध लड़े गए राष्ट्रीय आंदोलन पर प्रभाव को अपनी कार्यशालाओं व कार्यक्रमो में रखता है । आज़ादी के अमृत महोत्सव पर पिछले वर्ष ही मुझे एवम मेरी पत्नी कृष्णा कांता को फिलिडेल्फिया में आयोजित पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल होने का सुअवसर मिला था । अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान हम जहां भी जाते है गांधी ग्लोबल फैमिली के प्रतिनिधि के रूप में हमें बेहद प्यार तथा सम्मान मिलता है ।
  आम अमेरिकावासी भारत के नाम से तो वाकिफ है परन्तु इसके मूल्यों, संस्कृति एवम महान पुरुषों से इतना जानकर नही है। परन्तु जब किसी से भी महात्मा गांधी के बारे में पूछना चाहेंगे तो वह अपनी अमेरिकन इंग्लिश में उनका नाम लेकर उनके बारे में जानकारी देने की कोशिश करेगा । मैने इसका कई जगह परीक्षण किया कुछ युवाओं तथा आमजन से भारत के अनेक महापुरुषों , दिवंगत  एवम  वर्तमान राजनेताओं के नाम लेकर उनकी जानकारी चाही । हरेक ने अपनी अल्पज्ञता की वजह से असमर्थता जताई परन्तु ज्योही महात्मा गांधी का नाम लिया तो वह बहुत ही श्रद्धा के साथ चहकने लगा । मुझे इस बात को कहने में कतई संकोच नही है कि अमेरिका में यदि किसी एक भारतीय नाम का परिचय व पहचान है तो वह गांधी जी का नाम है ,जबकि वे अपने जीवन काल में कभी भी अमेरिका नही पधारे ।
    सीएटल ,वाशिंगटन में प्रवास के दौरान मुझे ऐसे ही अनेक सुखद अनुभव हुए है और उन्हीं से प्रेरित होकर मैने यहाँ व आसपास  महात्मा गांधी की स्मृति में बने किसी स्थान को खोजने की कोशिश की और मुझे सफलता मिली कि पास ही लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बसे बेलवुए नगर में एक पब्लिक लाइब्रेरी परिसर में बापू की एक मूर्ति स्थापित है । बहुत ही उत्साह से परिपूर्ण होकर इस अनजान शहर की ओर बस से मैने यात्रा की तथा गांधी जी की प्रतिमा को एक सम्मानजनक स्थिति में पाकर आनंद का अनुभव किया । मैने जब अपने कई मित्रो को इस बारे में जानकारी दी तो वे हस कर  बोले कि क्या तूने भारत मे उनकी मूर्ति नही देखी जो वहां ढूंढता फिरता है ? उनका कटाक्ष अपनी जगह  वाजिब होगा क्योंकि यहाँ तो हर छोटे -बड़े गांव व शहर में गांधी जी की हजारों मूर्तियां है पर विदेशों में भारतीय पहचान की कोई मूरत है तो वह महात्मा गांधी है और उसी पहचान को पाने के लिये लाख गांधी विरोध के बावजूद हम उन्ही का नाम लेकर अपना परिचय देते हैं ।
    बेलेव्यू में भी इसकी स्थापना का अपना इतिहास है । वर्ष 2009 में  भारतीय विदेश विभाग अपना कांसुलेट कार्यालय  अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में बनाने के लिये किसी शहर को खोज रहा था । बेलेव्यू के नागरिक चाहते थे कि कार्यालय यहीं बने उनका तर्क यह भी था कि इस शहर में भारतीयों की संख्या काफी है । शहर में अनेक धार्मिक स्थान भी थे जो भारतीयों की आस्था के प्रतीक थे परन्तु यह आस्था लोगो को मजहबों एवम क्षेत्रो में बांटती थी फिर सभी ने सर्वसम्मत निर्णय लिया कि यदि कोई एक आस्था व विश्वास का केंद्र हो सकता हो तो वह ' ईश्वर अल्लाह तेरे नाम' का मसीहा महात्मा गांधी ही हो सकता है और इस तरह बापू की प्रतिमा 16 अक्टूबर ,2009 को जनता की मांग पर वहाँ की नगर परिषद ने लगवाई । जिस परिसर में वह प्रतिमा अवस्थित है वह एक विशाल पुस्तकालय है जहाँ  विभिन्न भाषाओं के हजारों लेखकों की लाखों पुस्तके बहुत ही करीने से सजाई गई है जहां सेंकडो  पुस्तक प्रेमी आकर इन्हे पढ़ते है । गांधी विचार की विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित पुस्तको का अलग ही कार्नर है । 
      गांधी मार्ग से हम कितने ही विचलित हो जाए परन्तु उस याद रहे वह ही हमारी पहचान भी है और ताकत भी ।
 राम मोहन राय
Bellevue, Washington (USA)
17.11.2023

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