Dayanand ji and Madhu Didi
Dayanand Saini and Madhu Didi
श्री दयानन्द सैनी से हमारा दोहरा रिश्ता था. एक - वें मेरे साढू भाई थे यानि मेरी पत्नी कृष्णा कांता की दूसरे नंबर की बड़ी बहन मधु की शादी उनसे हुई थी. दूसरे - वें मेरी मामी विद्यादेवी (पत्नी श्री राम सिंह सैनी )के मायके के रिश्ते में उनके पोते थे. वें मूलत: हनुमान गढ़ के थे. एक शिक्षित परिवार में श्री भूपाल सिंह जी पिता के घर उनका जन्म हुआ अत: अच्छी शिक्षा दीक्षा हुई और वें अपने दो अन्य भाई गोबिंद सिंह तथा महेश सैनी तथा दो बहनों सुदेश तथा रुक्मिणी के साथ एक अच्छे वातावरण में विकसित हुए. उनके दादा श्री प्यारे लाल जी भी सैनी समाज के एक प्रतिष्ठित नेता थे अत: उनका मेरे माता -पिता से भी घनिष्ठ संबंध रहें. इस पूरे संबंधो में एक और पूरक कड़ी श्री ज्ञानेंद्र सिंह सैनी रहें जो समाज के विकास तथा शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए एक अद्भुत व्यक्तित्व थे. वें जहाँ मेरे ससुर श्री गणेश लाल माली (पूर्व सांसद ) के अनन्य मित्र थे वहीं मेरे और दयानन्द जी के माता -पिता के भी दोस्त थे. सैनी समाज के सैंकड़ो ऐसे परिवार रहें होंगे जिनको रिश्तो में जोड़ने का काम उन्होंने किया था. मेरा तथा दयानन्द जी को माली साहब की बेटियों कृष्णा और मधु के भी वैवाहिक संबंध ज्ञानेंद्र जी के प्रयासों से ही हुए थे.
मेरी शादी सन 1983 में हुई थी और दोनों पक्ष की सहमति से स्थान तय हुआ था -जयपुर. बारात वहां पहुंची परन्तु राजस्थान और हरियाणा के रीति रिवाजों और व्यवहार में फ़र्क था. ऐसी स्थिति में कुछ मत भेद होना सम्भव था परन्तु यह दयानन्द जी का ही पराक्रम और बुद्धिमता थी कि उन्होंने उत्पन्न हुई तमाम गुथियों को सहज में ही सुलझा लिया और इसके बाद तो वें मेरे बड़े साढू ही नहीं, बड़े भाई और मित्र सदृश्य रहें. हम चार साढू भाई रहें, इनमें में से दो के नाम पौराणिक कथाओं पर थे - देवी लाल और अम्बा लाल और हम दो के नाम समाज सुधारकों पर थे -दयानन्द और राम मोहन राय. इन नामों का प्रभाव हमारी आदतों और व्यवहार पर रहा.
वें राजस्थान प्रशासनिक सेवा में कार्यरत रहें और इसलिए राजस्थान के अनेक नगरों में उनकी पोस्टिंग रही.हमारे उनके तथा मधु दीदी से विशेष लगाव की वजह से हम भी जहाँ जहाँ वें रहते उनके पास मिलने और रहने जाते. मधु दीदी एक अच्छी कुक भी थी. वें तरह तरह के व्यंजन बनाती और हम ठहरे खाने के शौकीन.
दयानन्द जी के एक सुपुत्री सोनीला और एक सुपुत्र कांति मोहन है जो उन्हीं के आदतों के अनुरूप परिश्रमी और अनुशासन प्रिय है. बेटी ने जब उच्च शिक्षा के लिए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली में एडमिशन लिया तब वें अक्सर दिल्ली आते तो हमारे यहाँ पानीपत भी पधारते. जब जब भी मुलाक़ात होती तो राजनीति और समाज कार्यों पर गंभीर चर्चा करते. अब उनके दोनों योग्य बच्चे बड़े हों गए थे परन्तु दयानन्द जी की खूबी यह रही कि उन्होंने उन्हें उच्च से उच्च शिक्षा प्रदान की तथा विपरीत परिस्थितियों से सामना करना सिखाया.
एक मर्तबा हम और वें परिवार सहित जम्मू कश्मीर के दौरे पर भी गए. खूब घूमे और साथ साथ खूब चर्चा भी की.
सैनी दम्पत्ति एक निडर और खुशनुमा व्यक्तित्व थे. हर किसी की ख़ुशी में शामिल रहना और सहयोग करना, उन दोनों की आदत में शुमार था. मेरी गुरु निर्मला देशपांडे जी कहती थी कि दुःख बाँटने से घटता है और ख़ुशी बाँटने से बढ़ती है. दयानन्द जी और मधु दीदी इस भावना से ओतप्रोत थे.
पूरी दुनियां ने कोरोना के प्रकोप कि भारी तबाही को झेला है. लाखों लोग मारे गए और अनेक परिवार बर्बाद हों गए. हमारे अकेले परिवार ने कुल 11 लोगों को खोया है जिनमें मेरे बड़े भाई , बहनोई, भांजी सहित दयानन्द जी और मधु दीदी भी शुमार है. यह ऐसे हादसे थे जो भुलाये से भी नहीं भूलते.आज भी उसके स्मरण मात्र से शरीर, मन और आत्मा सिहर उठती है, परन्तु नियति को कौन टाल सकता है.
वह दिन अब बीत चुके है और धीरे धीरे जीवन सामान्य होने लगा है. आज लगभग एक वर्ष के बाद हम उदयपुर आये है और अपनी आदत के अनुसार अपने आगमन की पहली सुचना मधु दीदी को देनी है पर आज वें तो नहीं, पर हमनें अब यह इतलाह उनकी बेटी सोनू को दी और उसने भी अपनी माँ की तरह हमें न्योता दिया और हम भी पहुँच गए जहाँ सभी हमारा उत्सुकता से इंतज़ार कर रहें थे, पर अफ़सोस दयानन्द जी और मधु दीदी नहीं थे.
पर निराश होने की बात नहीं. मन्नू की पत्नी नमिता ने खूब अलग अलग व्यंजन बनाये. कबुली (एक ख़ास तरह का जोधपुर स्टाइल पुलाव ), पनीर मखाने की सब्ज़ी और अपनी सास की तरह स्वादिष्ट कढ़ी भी. उनकी बेटी नव्या ने भी अपनी अनेक पेंटिंग्स दिखाई. वह अपनी माँ और भुआ की तरह सर्वगुण सम्पन्न है और अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त है.
आज की शाम बेहद शानदार गुजरी. ख़ुशी इस बात की रही कि परिवार एकजुट है और अपने पूर्वजों की परम्परा का पालन करने में तत्पर है.
सोनू, मन्नू, नमिता और नव्या को ढेर सारा प्यार और अनंत आशीर्वाद.
Ram Mohan Rai.
Hiran Magari,
Udaipur.
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