Our trip to the land of Gurudev Rabindranath Tagore. (शांतिनिकेतन के प्रत्येक कण में गुरुदेव का वास)
शांतिनिकेतन की यात्रा का प्रत्येक अनुभव मेरे लिए अद्वितीय रहा। शांतिनिकेतन, जो कि गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की कर्मस्थली और प्रेरणास्रोत है, वहां का हर कोना उनकी स्मृतियों से भरा हुआ है। यह स्थान न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर है, बल्कि यहां की हवा में गुरुदेव के विचारों और कविताओं की गूंज सुनाई देती है।
जैसे ही मैं शांतिनिकेतन पहुंचा, मुझे सबसे पहले यहां के रिक्शा चालकों ने आकर्षित किया। ये रिक्शा चालक केवल यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का काम नहीं करते, बल्कि वे गुरुदेव के जीवन और उनकी रचनाओं के प्रति गहरी जानकारी रखते हैं। मैंने एक रिक्शा चालक से बात की, जो शांतिनिकेतन के विभिन्न स्थलों की यात्रा करवाता था । मैंने पाया कि हर स्थान पर वह गुरुदेव की कविताओं की पंक्तियां सुनाता और उस स्थान के इतिहास को गुरुदेव के साथ जोड़कर बताता। उसकी आवाज में गुरुदेव के प्रति सम्मान और प्रेम साफ झलक रहा था।
शांतिनिकेतन में चाय बेचने वाले और छोटे दुकानदार भी गुरुदेव के बारे में गहरी जानकारी रखते हैं। एक चाय वाले से बातचीत के दौरान मैंने पाया कि वह गुरुदेव की कविताओं को बड़े ही मन से सुनाता है और उनके दर्शन को समझता है। उसने मुझे बताया कि गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को केवल एक शिक्षा केंद्र नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान बनाया जहां प्रकृति, कला और संस्कृति का सहज संगम हो।
शांतिनिकेतन के विश्वभारती विश्वविद्यालय का दौरा करना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव था। यहां की हर इमारत, हर पेड़ और हर रास्ता गुरुदेव की सोच को दर्शाता है। विश्वविद्यालय के प्रांगण में बैठकर मैंने महसूस किया कि यह स्थान केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि मानवता और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रतीक है।
शांतिनिकेतन की यात्रा ने मुझे गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के विचारों और उनकी दृष्टि से परिचित कराया। यहां का हर व्यक्ति, चाहे वह रिक्शा चालक हो, चाय वाला हो या कोई दुकानदार, गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा रखता है। यह स्थान न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहां मनुष्य और प्रकृति के बीच का संबंध गहराई से महसूस किया जा सकता है।
इस यात्रा ने मुझे यह सिखाया कि गुरुदेव की विरासत केवल उनकी कविताओं और गीतों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके विचारों और दर्शन में निहित है, जो आज भी शांतिनिकेतन की हवा में बसा हुआ है।
समापन
शांतिनिकेतन की यात्रा मेरे लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव थी। यहां का हर पल गुरुदेव की छाया में बीता और मैं उनकी विरासत को और गहराई से समझ पाया। यह यात्रा मेरे मन में एक गहरी छाप छोड़ गई है, और मैं इस अनुभव को हमेशा संजोकर रखूंगा।
Ram Mohan Rai,
Shantiniketan.
18.03.2025
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