Our trip to the land of Rabindranath Tagore. (Hindi Bhawan (हिन्दी भवन ) Shantiniketan)
शांतिनिकेतन की यात्रा में हिन्दी भवन एक विशेष स्थान रखता है, जो हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है।
हमारी यात्रा का प्रारंभ सुबह के समय हुआ। शांतिनिकेतन का वातावरण शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर था। हरे-भरे पेड़, फूलों से लदे बगीचे और मधुर पक्षियों की चहचहाहट ने हमें प्रकृति की गोद में ले लिया। हिन्दी भवन तक पहुँचने के लिए हमने विश्वविद्यालय परिसर के अंदर पैदल यात्रा की। यहाँ का शांत और सात्विक वातावरण मन को शांति प्रदान कर रहा था।
हिन्दी भवन, विश्वभारती विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हिन्दी भाषा और साहित्य के अध्ययन और शोध के लिए समर्पित है। इसकी स्थापना सन 1939 मे गुरुदेव ने चीना भवन की स्थापना के दो वर्ष बाद की. क्या इसे उनकी दूरदृष्टि का परिचायक नहीं माना जाना चाहिए? स्थापना का उद्देश्य हिन्दी को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित करना था। भवन का वास्तुकला सादगी और सौंदर्य का अनूठा संगम है, जो शांतिनिकेतन की समग्र संस्कृति को दर्शाता है।
हिन्दी भवन के अंदर प्रवेश करते ही हमें एक विशाल पुस्तकालय दिखाई दिया, जहाँ हिन्दी साहित्य की हज़ारों पुस्तकें संग्रहित थीं। पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर शोध सामग्री, पत्रिकाएँ और दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध थीं। यहाँ के वातावरण में एक गंभीरता और ज्ञान की गंध महसूस हो रही थी।
भवन के एक कोने में एक सभागार था, जहाँ समय-समय पर हिन्दी साहित्य से संबंधित गोष्ठियाँ, सेमिनार और कवि सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। इस सभागार में बैठकर हमने कल्पना की कि कैसे यहाँ महान साहित्यकारों और विद्वानों ने हिन्दी के विकास के लिए चर्चाएँ की होंगी।
हिन्दी भवन न केवल हिन्दी भाषा के अध्ययन का केंद्र है, बल्कि यह हिन्दी साहित्य के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने का भी एक माध्यम है। यहाँ के शिक्षक और छात्र हिन्दी के प्रति गहरी निष्ठा रखते हैं और इसके विकास के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। हिन्दी भवन का योगदान हिन्दी को एक वैश्विक पहचान दिलाने में अहम है।
हिन्दी भवन की यात्रा ने हमें हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रति एक नई दृष्टि प्रदान की। यहाँ का वातावरण और ज्ञान का भंडार हमें अभिभूत कर गया। शांतिनिकेतन की इस यात्रा ने हमें भारतीय संस्कृति और शिक्षा के महत्व को गहराई से समझने का अवसर दिया। हिन्दी भवन की यह यात्रा हमारे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गई।
शांतिनिकेतन और हिन्दी भवन की यह यात्रा न केवल हमारे ज्ञान को विस्तृत करती है, बल्कि हमें भारतीय संस्कृति और भाषा के प्रति गर्व की अनुभूति भी कराती है। यह स्थान हमें यह संदेश देता है कि भाषा और साहित्य के माध्यम से ही हम अपनी संस्कृति और विरासत को सुरक्षित रख सकते हैं।
Ram Mohan Rai,
Shantiniketan, West Bengal.
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