Our trip to the Rabindra Bhawan in Shantiniketan.
रबीन्द्र भवन की हमारी यात्रा एक अद्भुत और प्रेरणादायक अनुभव थी। यह स्थान गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के विचारों, कृतियों और जीवन से जुड़ा हुआ है। इस भवन के कण-कण में उनकी साहित्यिक और कलात्मक विरासत का संगीतमय प्रवाह महसूस होता है। यहां आकर ऐसा लगता है मानो गुरुदेव की आत्मा अभी भी इस स्थान पर विचरण कर रही हो।
1. **गीतांजलि की मूल प्रति**:
रबीन्द्र भवन में गुरुदेव की अमर कृति **गीतांजलि** की मूल प्रति संरक्षित है। यह प्रति उनकी हस्तलिखित है और इसके दर्शन करना एक आध्यात्मिक अनुभव जैसा था। गीतांजलि को दुनिया भर की अनेक भाषाओं में अनूदित किया गया है, और यहां उन अनूदित प्रतियों को भी प्रदर्शित किया गया है। यह देखकर गर्व की अनुभूति होती है कि गुरुदेव की रचनाएं विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।
2. **म्यूजियम की विशेषताएं**:
रबीन्द्र भवन का म्यूजियम गुरुदेव के जीवन और कृतियों को समर्पित है। यहां उनके व्यक्तिगत सामान, पांडुलिपियां, चित्र, और पुरस्कार प्रदर्शित हैं। म्यूजियम में उनके परिवार से जुड़ी वस्तुएं भी हैं, जो उनके पारिवारिक जीवन की झलक प्रस्तुत करती हैं।
- **चित्रों की संख्या**: म्यूजियम में गुरुदेव द्वारा बनाए गए कई चित्र प्रदर्शित हैं। इन चित्रों में उनकी कलात्मक प्रतिभा का दर्शन होता है।
- **अन्य उपयोगी सामान**: म्यूजियम में उनके द्वारा उपयोग किए गए फर्नीचर, किताबें, और अन्य व्यक्तिगत वस्तुएं भी देखने को मिलती हैं।
3. **परिवार का परिचय और वंशावली**:
रबीन्द्रनाथ टैगोर का परिवार बंगाल के प्रतिष्ठित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध परिवारों में से एक था। उनके पिता **देवेन्द्रनाथ टैगोर** एक प्रसिद्ध दार्शनिक और धार्मिक नेता थे। उनकी माता **शारदा देवी** थीं। गुरुदेव के भाई-बहन भी साहित्य और कला के क्षेत्र में प्रसिद्ध थे। उनके परिवार की वंशावली बंगाल के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
4. **सेल्स काउंटर**:
भवन में एक सेल्स काउंटर है जहां गुरुदेव की किताबें, स्मारिकाएं और अन्य साहित्यिक सामग्री उपलब्ध हैं। हालांकि, यहां **ऑनलाइन पेमेंट** की सुविधा नहीं है, जो आधुनिक समय में एक कमी महसूस होती है। इससे पर्यटकों को थोड़ी असुविधा हो सकती है।
5. **घर की विशेषताएं**:
रबीन्द्र भवन का घर दक्षिण एशिया की संयुक्त बनावट पर आधारित है। यहां **राम चन्द्र बेन्ज** की कलाकृतियां भी प्रदर्शित हैं। यह घर मानो एशिया के लोगों के बीच सांस्कृतिक एकता का केंद्र हो। इसकी वास्तुकला और डिजाइन में एशियाई संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इसी भवन के बाहर गुरुदेव की इस्तेमाल होने वाली कार और उनके साहित्य प्रकाशन के लिए उपयोग होने वाली प्रिंटिंग प्रेस भी सुसज्जित है. यही एक साधना केंद्र है. घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ इंडोनेशियाई तथा जापानी वास्तु शैली में मकान निर्मित है जो गुरुदेव के एशिया मे शांति एवम एकजुटता समर्पण भाव को प्रदर्शित करते हैं.
6. **सामने के पार्क की खूबसूरती**:
रबीन्द्र भवन के सामने एक विशाल और सुंदर पार्क है। यह पार्क हरियाली और शांति से भरपूर है। यहां लगे वृक्ष और फूलों की व्यवस्था मन को शांति प्रदान करती है। पार्क में बैठकर गुरुदेव की कविताओं और गीतों को याद करना एक अलग ही अनुभव देता है। पार्क के निर्माण में प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखा गया है। यही कुछ राम चन्द्र बेज द्वारा कंक्रीट से बनी बुद्ध भगत सुजाता की मुर्ति निर्मित है.
**निष्कर्ष**
रबीन्द्र भवन की यात्रा न केवल गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन और कृतियों को समझने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव भी है। यह स्थान हमें उनकी विरासत से जुड़ने और उनके विचारों को आत्मसात करने का मौका देता है। यह यात्रा वास्तव में अविस्मरणीय रही और हमें गहरी प्रेरणा प्रदान की।
Ram Mohan Rai,
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