Our visit to land of Rabindranath Tagore (Kala Bhawan, Nandan Museum, Shantiniketan)

कला भवन और नंदन म्यूजियम, शांतिनिकेतन में स्थित, भारतीय कला और संस्कृति के प्रमुख केंद्र हैं। यह स्थान गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व-भारती विश्वविद्यालय का हिस्सा है। यहाँ की यात्रा वास्तव में बेमिसाल होती है, क्योंकि यह स्थान कला, संस्कृति और शिक्षा का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है. 
शांतिनिकेतन की यात्रा एक अद्भुत अनुभव थी। कला भवन और नंदन म्यूजियम में प्रवेश करते ही मैं भारतीय कला और संस्कृति की गहराई में डूब गया। यहाँ की कलाकृतियाँ न केवल सुंदर थीं, बल्कि उनमें इतिहास और संस्कृति की गहरी छाप थी। गुरुदेव टैगोर की चित्रकला देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया। उनकी कला में एक अलग ही तरह की अभिव्यक्ति थी, जो मन को शांति और प्रेरणा देती थी। रामकिंकर बैज की मूर्तियाँ देखकर मैं उनकी कलात्मक दृष्टि से प्रभावित हुआ। उनकी कृतियाँ ग्रामीण जीवन और आदिवासी संस्कृति को बहुत ही सजीव तरीके से प्रस्तुत करती थीं।

शांतिनिकेतन की यात्रा ने मुझे भारतीय कला और संस्कृति की गहराई से परिचित कराया। यह स्थान न केवल कला प्रेमियों के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक अनमोल अनुभव है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत को समझना चाहता है।
   कला भवन में भारतीय कला की विविध शैलियों और कालखंडों की हज़ारों कलाकृतियाँ संग्रहित हैं। यहाँ पारंपरिक लघु चित्रों से लेकर आधुनिक कला तक के नमूने देखे जा सकते हैं। और यहीं हमने पाया 
 प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय मूर्तिकला के उत्कृष्ट नमूने , जो भारतीय इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं।
 गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की चित्रकला और स्केचेस का एक बड़ा संग्रह यहाँ देखा जा सकता है। उनकी कला अमूर्त और अभिव्यंजनावादी शैली में है। यह स्थान बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट का प्रमुख केंद्र रहा है। नंदलाल बोस, रामकिंकर बैज जैसे कलाकारों की कृतियाँ यहाँ प्रदर्शित हैं।
रामकिंकर बैज, जो आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के अग्रदूत माने जाते हैं, की कई प्रसिद्ध मूर्तियाँ को देख कर मन आनंदित हो गया.

रामचंद्र बोस अर्थात 
रामकिंकर बैज (1906–1980) भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार और चित्रकार थे। उन्हें आधुनिक भारतीय कला का अग्रदूत माना जाता है। उनकी कला की विशेषता यह थी कि उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक शैलियों का अनूठा संगम किया। उनकी मूर्तियाँ अक्सर ग्रामीण जीवन, आदिवासी संस्कृति और मानवीय भावनाओं को दर्शाती हैं। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में "सुजाता", "मिल्कमेड" और "संथाल परिवार" शामिल हैं। उनकी मूर्तियों के स्थान स्थान पर दर्शन तो और भी ज्यादा प्यार भर देते है और भगवान बुद्ध और उसके सामने ही महात्मा गांधी की विशाल मूर्तियां उनके जीवन और व्यक्तित्व के अनुरूप ही है. 
    गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन को एक ऐसा स्थान बनाने की योजना बनाई थी, जहाँ कला, संस्कृति और शिक्षा का सहज संगम हो। उन्होंने कला भवन की स्थापना 1919 में की थी, जिसका उद्देश्य भारतीय कला और शिल्प को बढ़ावा देना था। टैगोर का मानना था कि कला शिक्षा का एक अभिन्न अंग है और यह मानवीय संवेदनशीलता को विकसित करती है। उन्होंने नंदन म्यूजियम की स्थापना भी की, जो कला और संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।
   Ram Mohan Rai,
Kala Bhavan, Nandan Museum, Shantiniketan.
17.03.2025

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