our trip to the chhatimtala, a spiritual place in Shantiniketan
हमारी यात्रा का प्रारंभ सुबह की सुहावनी धूप और प्रकृति की गोद में हुआ। Chhatimtala, जोकि Shantiniketan का एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है, हमारे लिए एक अद्भुत अनुभव था। यह स्थान न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसके पीछे छिपे आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी यह एक विशेष स्थान रखता है।
जैसा कि प्रसिद्ध विद्वान उमा दास गुप्ता ने हमें बताया, महर्षि देवेन्द्र नाथ टैगोर ने अपने पुत्र रबीन्द्रनाथ टैगोर को भारत के विभिन्न आध्यात्मिक स्थलों पर ले जाकर उन्हें जीवन के गहन तत्वों से परिचित कराया। इन यात्राओं में अमृतसर के हरिमंदिर साहिब और हिमालय की तलहटी शामिल थीं, जहां रबीन्द्रनाथ ने शांति और आध्यात्मिक ज्ञान का अनुभव किया। इन अनुभवों ने उन्हें इस स्थान पर Shantiniketan की स्थापना के लिए प्रेरित किया।
यही वह प्रेरणा स्थल है जहां महर्षि देवेन्द्र नाथ ने मार्च, 1862 मे दो पेड़ों के बीच समाधिस्थ होकर अपने अंतर्मन से शांतिनिकेतन बनाने के लिए विचारों को प्राप्त कर प्रवाहित किया. आज भी यह आध्यात्मिक साधना का उद्गम स्थल है.
Chhatimtala पर खड़े होकर, हमने उस शांति और आत्मिक उत्थान को महसूस किया जो शायद रबीन्द्रनाथ टैगोर ने यहां अनुभव किया था। यह स्थान न केवल एक पर्यटन स्थल है बल्कि एक ऐसा स्थान है जहां प्रकृति और आध्यात्म का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
हमारी यात्रा का अंत एक स्थानीय चाय की दुकान पर हुआ, जहां हमने स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की और उनके जीवन के अनुभव साझा किए। यह यात्रा न केवल हमारे लिए एक नए ज्ञान की खोज थी बल्कि आत्मिक शांति और प्रकृति के साथ एक गहरा जुड़ाव भी था।
Ram Mohan Rai.
Shantiniketan.
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