पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :

●पानीपत, एक ऐतिहासिक भूमि, न केवल अपने युद्धक्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उन महान व्यक्तित्वों के लिए भी जो इसकी मिट्टी से उपजे और समाज को नई दिशा दी। ऐसी ही एक शख्सियत हैं सैयदा हमीद, जिन्होंने इंसानियत और उत्पीड़ित महिलाओं के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। उनकी कहानी साहस, समर्पण और देशभक्ति की मिसाल है।

 ●एक गौरवशाली विरासत:
सैयदा का परिवार लगभग 800 वर्ष पहले पानीपत में आकर बसा था। उनके परदादा, ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली, न केवल पानीपत के गौरव थे, बल्कि विश्व स्तर पर अपनी शायरी और समाज सुधार के कार्यों के लिए विख्यात थे। उनकी कालजयी रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों के दिलों में बसी हैं। सैयदा के मामा, ख्वाजा अहमद अब्बास, स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे। उन्होंने न केवल आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया, बल्कि प्रगतिशील लेखक संघ और भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गुलाम भारत में जन्मे इस परिवार ने आजादी के बाद भी पाकिस्तान जाने के बजाय भारत को चुना और यहाँ साहित्य, पत्रकारिता और फिल्म उद्योग में अपनी मेहनत से अमिट छाप छोड़ी।
  सैयदा के पिता स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में शिक्षा सचिव बने और बाद में नवस्वतंत्र कश्मीर रियासत के पहले गृह सचिव के रूप में सेवा की। इसी देशभक्त और प्रबुद्ध परिवार में सैयदा का जन्म श्रीनगर में हुआ, जब उनके पिता वहाँ अपनी सेवाएँ दे रहे थे।

 ●शिक्षा और देशसेवा का प्रारंभ:
सैयदा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और फिर विश्व की कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में न केवल उच्च शिक्षा हासिल की, बल्कि अध्यापन भी किया। अर्थशास्त्र और भाषा में उनकी गहन विद्वता ने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान दिलाया। लेकिन उनकी देशभक्ति ने उन्हें विदेशों की सुख-सुविधाओं को छोड़कर भारत लौटने को प्रेरित किया। यहाँ लौटकर उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएँ दीं और कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों में उच्च पदों पर कार्य किया। इसके साथ ही, वे भारत के योजना आयोग की कई बार सदस्य रहीं, जहाँ उन्होंने देश के विकास में योगदान दिया।
   ●महिलाओं और समाज के लिए समर्पण
सैयदा हमीद का जीवन उन असंख्य महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो अशिक्षित, असहाय या शिक्षित होने के बावजूद घरेलू हिंसा की शिकार हैं। उन्होंने न केवल इन महिलाओं की आवाज बुलंद की, बल्कि उनके उत्थान के लिए ठोस कदम उठाए। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल स्वर्णिम रहा। इस दौरान उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के लिए अथक प्रयास किए।
  सैयदा ने दीदी निर्मला देशपांडे और डॉ. मोहिनी गिरि के साथ मिलकर "Women's Initiative for Peace in South Asia" की स्थापना की। इस मंच के माध्यम से उन्होंने दक्षिण एशिया की महिलाओं और बच्चों के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। जम्मू-कश्मीर जैसे हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में बिना किसी भय के जाकर उन्होंने शांति और सौहार्द के लिए काम किया। उनकी यह नन्ही -सी कोशिश भी मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रही, और मुझे दीदी निर्मला देशपांडे के मार्गदर्शन में उनके साथ कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

●हाली पानीपती ट्रस्ट और ख्वाजा अहमद अब्बास मेमोरियल ट्रस्ट
सैयदा आज भी  हाली पानीपती ट्रस्ट  और ख्वाजा अहमद अब्बास मेमोरियल ट्रस्ट  के माध्यम से सेवा, जागरूकता और एकता के कार्यों में संलग्न हैं। ये ट्रस्ट न केवल उनके परिवार की गौरवशाली विरासत को संजोए हुए हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम भी बने हैं। वर्तमान में वे  देश के सबसे ऐतिहासिक और बड़े महिला संगठन "Federation of Indian women"  की अध्यक्ष भी हैं. 

 ●पानीपत का गर्व
सैयदा हमीद की यह गाथा साहस, संघर्ष और समर्पण की जीवंत मिसाल है। पानीपत की इस वीरांगना ने न केवल अपने शहर का नाम रौशन किया, बल्कि पूरे देश को गर्व का अवसर प्रदान किया। उनकी देशभक्ति, विद्वता और समाजसेवा का यह सफर हर किसी के लिए प्रेरणादायी है।

सैयदा हमीद जिंदाबाद! पानीपत जिंदाबाद!
Ram Mohan Rai, 
Panipat. 
05.09.2025

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