Udaipur Diary-4 (Dungarpur)
*Udaipur Diary-4 डूंगरपुर* केसरिया जी -ऋषभ देव से चल कर लगभग एक घंटे में सड़क मार्ग से डूंगरपुर पहुंच गए. मेरे साढू भाई देवीलाल जी का घर मुख्य बाज़ार को पार करके है पर चिंता रही की कहीं गाड़ी फंस न जाए इसलिए कुछ खुला रास्ता जो मुरला गणेश जी के मंदिर से होकर गुजरता था उससे ही पहुंचने का निर्णय लिए. देवीलाल जी का कहना था कि जब इस रास्ते से होकर ही आ रहें हों तो मंदिर दर्शन करके ही आओ. पूछते पूछाते हम मंदिर तक के साफ सुथरे रास्ते पर चल कर पहुंचे. मंदिर कोई बहुत पुराना तो नहीं है परन्तु इसका विशाल प्रांगण पेड़ पौधों से सजा है. गाड़ी रोक कार अंदर गए और वहाँ मेरी पत्नी और उनकी भाभी ने पूजा अर्चना की और हम निकल पड़े माली साहब के घर. यह रास्ता काफ़ी लम्बा लग रहा था, कारण यह भी हों सकता है कि क्योंकि हम पहले बाज़ारो के बीच ही गुजर कर छोटे रास्ते से घर पहुँचते थे. रास्ते में हमें दो मोटर साइकिल सवार कहीं जाते मिले. हमनें उनकी गाड़ी रोकी और घर का रास्ता पहुंचा पर यह क्या उनमें पीछे बैठा व्यक्ति उतर गया और हमारे साथ गाड़ी में बैठ कर घर तक छोड़ने...