प्रातः स्मरामि
श्री मद्भगवद गीता विश्व के सभी के लिये प्रिय ग्रन्थ है । संत विनोबा ने तो इसे मां की उपमा दी और *गीताई* लिखी । आद्य शंकराचार्य ,सन्त ज्ञानेश्वर, लोकमान्य तिलक ,महात्मा गांधी, प्रभुपाद आदि संतो व महापुरुषों ने अपने-२ ढंग से इसका भाष्य लिखा । पुनर्जन्म व अवतारवाद के अंशो की मान्यता बेशक कई धर्मो में न हो परन्तु जीवन को एक संघर्ष के रूप में जीने का दर्शन इस ग्रन्थ में है ।
सम्पूर्ण गीता में 18 अध्याय है जिनमे कुल 700 श्लोक है । अलग-२ अध्याय में भगवान कृष्ण - अर्जुन संवाद व धृतराष्ट्र-संवाद में मनुष्य के जीवन को सबल ,स्वावलम्बी तथा निर्भय होने की प्रेरणा दी है ।
गीता मात्र पठनीय ही नही अपितु अनुकरणीय भी है ।
राम मोहन राय
पानीपत/ 07.12.2019
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