गांधी के सत्याग्रह के मौजूदा प्रयोग
**जामिया वाला-शाहीन बाग़ बना जलियावाला बाग़*
बा बापू 150 वर्ष में सत्याग्रह के प्रयोग जामिया मिल्लिया और उसी से सटे शाहीन बाग़ ,दिल्ली में जिस प्रकार से हो रहे है, वे गांधी विचार की वर्तमान समय मे प्रासंगिकता को भी उद्धरित कर है । यह कहते हुए कतई शक नही है कि मजबूरी का नाम नही ,आज मजबूती का नाम गांधी है ।
इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय तथा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों एवम स्टाफ पर पुलिस ने उनके कैंपस में घुस कर जिस बेरहमी से मारा उसने अंग्रेज़ी बर्बरता की याद ताजा कर दी । प्रतिकार के लिये आज गांधी तो नही आये परन्तु उनका विचार उनका रक्षक बन कर आगे आया जिसको उन्होंने स्वयम अंगीकृत कर निश्चय किया कि वे इसका मुकाबला अहिंसा से करेंगे यानी यदि कोई उन पर हिंसा करेगा तो वे उसे शालीनता से सहन करेंगे परन्तु न तो झुकेंगे ,न पलायन करेंगे और न ही हार मानेंगे ।
क्या यह अजब इतिफाक नही कि गुरु नानक देव जी महाराज के जन्म के 550 वें वर्ष , बा बापू के 150वें वर्ष तथा अमृतसर के जलिया वाले बाग़ नरसंहार की शताब्दी वर्ष में उसको जनता व शासन /सरकार अपने-अपने ढंग से मना रहा है ।
गुरू नानक ,जो हिन्दू का गुरु और मुसलमान के पीर थे । जिन्होंने सरबत का भला की बाणी से समूची मानवता को एकता का संदेश दिया, उन्हीं बाबा नानक को हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने वाले नागरिकता संशोधन एक्ट ला कर और उसी कड़ी में रजिस्टर ऑफ सिटिज़न लाने की तैयारी करके ,क्या श्रद्धांजलि दी जा सकती है । यह रही सरकार की श्रद्धांजलि और इसके मुकाबले में जनता की पहल देखिए ,धर्म ,सम्प्रदाय ,भाषा व क्षेत्र की तमाम दीवार तोड़ कर उठ खड़े हुए समूचे लोग और सीना तान कर उन्होंने इसे नकार दिया ।
इसका नमूना देखने के लिये आपको जामिया मिल्लिया और शाहीन बाग़ जरूर आना होगा ,जहाँ सब लोग जुटे है । पूरे दिन सर्वधर्म प्रार्थना चलती है ,शांति एवम प्रेम के गीत गाये जाते है , इस घुप्प अंधेरे में भी हर रोज मोहब्बत की शमाँ जलाई जाती है और साथ-2 सिख भाइयों का गुरू का अटूट लंगर भी चलता है । यह आंदोलन स्वतः स्फूर्त है जिसमे किसी का विचारधारा ,राजनीतिक पार्टी अथवा व्यक्ति विशेष का नेतृत्व नही । क्या यह ही नही है गुरु ग्रन्थ साहेब की बाणी आपे गुरु -आपे चेला का संयोग ।
जामिया मिल्लिया व शाहीन बाग़ में गांधी विचार को आप हर जगह पाएंगे । यूनिवर्सिटी के गेट न0 7 के बाहर पिछले 40 दिन से भी ज्यादा समय से विद्यार्थी व अन्य लोग शांति पूर्ण धरने पर बैठे है । हर रोज सात युवक-युवती स्टेज के नीचे ही क्रमशः उपवास पर बैठते है । कार्यक्रम चलते हुए मैने पाया कि इस सत्याग्रह में चर्खा तो नही चल रहा परन्तु गांधी विचार का साहित्य खूब पढ़ा जा रहा है । मैने देखा कि अनेक युवा अपने हाथों में गांधी और जामिया, हिन्द स्वराज और सत्य के प्रयोग लिये हुए है और अनशनकारी मौन रह कर उसे पढ़ रहे है । यही तो है उनकी प्रेरणा व मार्गदर्शक ।
प्रदर्शनकारी युवाओं के आदर्श व प्रेरणा सिर्फ और सिर्फ गांधी ही है । बातचीत के दौरान वे सन 1905 में बापू की साउथ अफ्रीका की उस घटना की याद दिलाते है जब मोहन दास कर्म चंद गांधी ने गोरे शासकों के परमिट व अंगुलियो के निशान देने को नकारा था और उस समय नारा दिया था *We the citizens of King* ( हम सब राजा की प्रजा) और हम अंगुलियो पर निशान नही लगवाएंगे । उस समय के गोर शासक अड़े थे हिंदुस्तानियों की मांग को अपनी जिद्द, दमन व ताकत से तोड़ने पर वे झुके नही और विजयी हुए । आज भी नारे कुछ ऐसे ही है * *we the people of India* और वैसा सा ही उदघोष है कि हम कागज़ नही दिखाएंगे । शासकों के रवैये भी वैसे ही है और हमे यकीन है कि नतीज़ा भी वही होगा । गांधी के अहिंसक सत्याग्रहियों की जीत ।
इन युवाओ के हाथ मे भी तिरंगा झंडा है और संकल्प है भारतीय संविधान का ,जो आईना है भारत के स्वतन्त्रता संग्राम का जो जनता ने महात्मा गांधी, खान अब्दुल गफ्फार खान ,मौलाना आजाद, डॉ ज़ाकिर हुसैन, स0 भगतसिंह ,राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफ़ाक़उल्ला और नेता जी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई में अनेक बलिदान देकर लड़ा गया । वह संविधान, जिसे बाबा साहब अम्बेडकर ने हमारे राष्ट्रीय मूल्यों , सिद्धान्तों एवम मान्यताओं को उतार कर जनता को समर्पित किया । आज उसी विचार व त्याग की अमर गाथा का पुनर्पाठ यहाँ चल रहा है ।
बापू की शक्ति बा कस्तूरबा थी । इस सत्याग्रह में महिलाओं की भी भूमिका चार कदम आगे ही है । शाहीन बाग़ में महिलाओं का पिछले लगभग चालीस दिन से चल रहे अविरत धरने में 90 वर्ष की वृद्धा से लेकर अपनी माँ की गोद मे की बेटी तक है । और यहीं से आह्वान है कस्तूरबा , सरोजिनी नायडू ,बीबी अमतुसल्लाम , कल्पना दत्त , निर्मला देशपांडे का । यह वह प्रयोग है जो संत विनोबा भावे ने पवनार में ब्रह्म विद्या मंदिर की स्थापना कर उनका नेतृत्व महिलाओं को देकर किया था । यह एक ऐसा सफल प्रयोग है कि यदि महिला को कोई भी जिम्मेवारी दे वे इसे बेहतर तरीके से निभाएगी । राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य व प्रख्यात शायर और समाज सुधारक हाली पानीपती की प्रपौत्री सईदा हमीद ने वर्ष 1982-84 के दौरान बेजुबान की जुबान नाम से अपने सर्वे में बताया था कि मुस्लिम महिलाओं को अवसर मिले तो वे पुरुषों के मुकाबले ज्यादा बेहतर साबित होंगी और यह बात यहाँ प्रमाणित हो रही है । कुछ लोगों ने इन सत्याग्रहियों पर मिथ्या आरोप था कि इन औरतों के पांच-2 सौ रुपये धियाड़ी पर बैठाया गया है तो इन्ही वीरांगनाओं का जवाब था कि विरोधी पांच हजार रुपये देकर भी किन्ही को बिठा कर दिखाए । शाहीन बाग़ की बहनों ने पूरे मुल्क़ को राह दिखाई है और यही कारण है आज हर छोटे बड़े शहर में महिलाओं का यह सत्याग्रह उरोज पर है ।
इन महिलाओं के समर्थन में रोजाना सैंकड़ो महिलाओं के जत्थे पूरे देश से इनकी एकजुटता के लिये आ रहे है जो इनकी ताकत व हौसला है ।
इन सत्याग्रहियों का यह भी मानना है कि जलियांवाला बाग नरसंहार के शताब्दी वर्ष में सरकार ने जामिया मिल्लिया में घुस कर निहत्थे छात्रों पर गोली, लाठी व दमन चक्र चला कर इसे जामियावाला कांड बना दिया है । पर इस निंदनीय कांड ने छात्रों के अहिंसक प्रतिवाद का भी दर्शन करवाया है । महात्मा गांधी ,मौलाना आजाद ,डॉ ज़ाकिर हुसैन को सम्भाले इनकी सफल परीक्षा इससे अच्छी नही हो सकती है ।
बादशाह खान के युवा दस्ते *ख़ुदाई ख़िदमतगार (हिन्द) के सदस्य जिस तरह से इस सत्याग्रह का सहयोग कर रहे है वह सर्वदा प्रसंशनीय है और इसे समर्थन दे रहे है *राष्ट्रीय मूवमेंट फ्रंट*, सर्व सेवा संघ, गांधी ग्लोबल फैमिली व महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के नेता व कार्यकर्ता । मुझे खुद इन आंदोलनकरियो के बीच तीन दिन रहने का मौका मिला । मैं समझता हूं कि बा बापू 150 वर्ष में यह गांधी विचार का युवाओ के हाथ मे आने तक की संक्रमण अवस्था है जिसका प्रत्येक गांधी सेवक को समर्थन करना चाहिए । यह एक ऐसा अवसर है जो एक इम्तहान भी है और प्रयोग भी । निश्चित रूप से जीतेगा गांधी का सत्याग्रह विचार ही ।
राम मोहन राय,
एडवोकेट ,सुप्रीम कोर्ट
(महासचिव ,गांधी ग्लोबल फैमिली )
बा बापू 150 वर्ष में सत्याग्रह के प्रयोग जामिया मिल्लिया और उसी से सटे शाहीन बाग़ ,दिल्ली में जिस प्रकार से हो रहे है, वे गांधी विचार की वर्तमान समय मे प्रासंगिकता को भी उद्धरित कर है । यह कहते हुए कतई शक नही है कि मजबूरी का नाम नही ,आज मजबूती का नाम गांधी है ।
इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय तथा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों एवम स्टाफ पर पुलिस ने उनके कैंपस में घुस कर जिस बेरहमी से मारा उसने अंग्रेज़ी बर्बरता की याद ताजा कर दी । प्रतिकार के लिये आज गांधी तो नही आये परन्तु उनका विचार उनका रक्षक बन कर आगे आया जिसको उन्होंने स्वयम अंगीकृत कर निश्चय किया कि वे इसका मुकाबला अहिंसा से करेंगे यानी यदि कोई उन पर हिंसा करेगा तो वे उसे शालीनता से सहन करेंगे परन्तु न तो झुकेंगे ,न पलायन करेंगे और न ही हार मानेंगे ।
क्या यह अजब इतिफाक नही कि गुरु नानक देव जी महाराज के जन्म के 550 वें वर्ष , बा बापू के 150वें वर्ष तथा अमृतसर के जलिया वाले बाग़ नरसंहार की शताब्दी वर्ष में उसको जनता व शासन /सरकार अपने-अपने ढंग से मना रहा है ।
गुरू नानक ,जो हिन्दू का गुरु और मुसलमान के पीर थे । जिन्होंने सरबत का भला की बाणी से समूची मानवता को एकता का संदेश दिया, उन्हीं बाबा नानक को हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने वाले नागरिकता संशोधन एक्ट ला कर और उसी कड़ी में रजिस्टर ऑफ सिटिज़न लाने की तैयारी करके ,क्या श्रद्धांजलि दी जा सकती है । यह रही सरकार की श्रद्धांजलि और इसके मुकाबले में जनता की पहल देखिए ,धर्म ,सम्प्रदाय ,भाषा व क्षेत्र की तमाम दीवार तोड़ कर उठ खड़े हुए समूचे लोग और सीना तान कर उन्होंने इसे नकार दिया ।
इसका नमूना देखने के लिये आपको जामिया मिल्लिया और शाहीन बाग़ जरूर आना होगा ,जहाँ सब लोग जुटे है । पूरे दिन सर्वधर्म प्रार्थना चलती है ,शांति एवम प्रेम के गीत गाये जाते है , इस घुप्प अंधेरे में भी हर रोज मोहब्बत की शमाँ जलाई जाती है और साथ-2 सिख भाइयों का गुरू का अटूट लंगर भी चलता है । यह आंदोलन स्वतः स्फूर्त है जिसमे किसी का विचारधारा ,राजनीतिक पार्टी अथवा व्यक्ति विशेष का नेतृत्व नही । क्या यह ही नही है गुरु ग्रन्थ साहेब की बाणी आपे गुरु -आपे चेला का संयोग ।
जामिया मिल्लिया व शाहीन बाग़ में गांधी विचार को आप हर जगह पाएंगे । यूनिवर्सिटी के गेट न0 7 के बाहर पिछले 40 दिन से भी ज्यादा समय से विद्यार्थी व अन्य लोग शांति पूर्ण धरने पर बैठे है । हर रोज सात युवक-युवती स्टेज के नीचे ही क्रमशः उपवास पर बैठते है । कार्यक्रम चलते हुए मैने पाया कि इस सत्याग्रह में चर्खा तो नही चल रहा परन्तु गांधी विचार का साहित्य खूब पढ़ा जा रहा है । मैने देखा कि अनेक युवा अपने हाथों में गांधी और जामिया, हिन्द स्वराज और सत्य के प्रयोग लिये हुए है और अनशनकारी मौन रह कर उसे पढ़ रहे है । यही तो है उनकी प्रेरणा व मार्गदर्शक ।
प्रदर्शनकारी युवाओं के आदर्श व प्रेरणा सिर्फ और सिर्फ गांधी ही है । बातचीत के दौरान वे सन 1905 में बापू की साउथ अफ्रीका की उस घटना की याद दिलाते है जब मोहन दास कर्म चंद गांधी ने गोरे शासकों के परमिट व अंगुलियो के निशान देने को नकारा था और उस समय नारा दिया था *We the citizens of King* ( हम सब राजा की प्रजा) और हम अंगुलियो पर निशान नही लगवाएंगे । उस समय के गोर शासक अड़े थे हिंदुस्तानियों की मांग को अपनी जिद्द, दमन व ताकत से तोड़ने पर वे झुके नही और विजयी हुए । आज भी नारे कुछ ऐसे ही है * *we the people of India* और वैसा सा ही उदघोष है कि हम कागज़ नही दिखाएंगे । शासकों के रवैये भी वैसे ही है और हमे यकीन है कि नतीज़ा भी वही होगा । गांधी के अहिंसक सत्याग्रहियों की जीत ।
इन युवाओ के हाथ मे भी तिरंगा झंडा है और संकल्प है भारतीय संविधान का ,जो आईना है भारत के स्वतन्त्रता संग्राम का जो जनता ने महात्मा गांधी, खान अब्दुल गफ्फार खान ,मौलाना आजाद, डॉ ज़ाकिर हुसैन, स0 भगतसिंह ,राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफ़ाक़उल्ला और नेता जी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई में अनेक बलिदान देकर लड़ा गया । वह संविधान, जिसे बाबा साहब अम्बेडकर ने हमारे राष्ट्रीय मूल्यों , सिद्धान्तों एवम मान्यताओं को उतार कर जनता को समर्पित किया । आज उसी विचार व त्याग की अमर गाथा का पुनर्पाठ यहाँ चल रहा है ।
बापू की शक्ति बा कस्तूरबा थी । इस सत्याग्रह में महिलाओं की भी भूमिका चार कदम आगे ही है । शाहीन बाग़ में महिलाओं का पिछले लगभग चालीस दिन से चल रहे अविरत धरने में 90 वर्ष की वृद्धा से लेकर अपनी माँ की गोद मे की बेटी तक है । और यहीं से आह्वान है कस्तूरबा , सरोजिनी नायडू ,बीबी अमतुसल्लाम , कल्पना दत्त , निर्मला देशपांडे का । यह वह प्रयोग है जो संत विनोबा भावे ने पवनार में ब्रह्म विद्या मंदिर की स्थापना कर उनका नेतृत्व महिलाओं को देकर किया था । यह एक ऐसा सफल प्रयोग है कि यदि महिला को कोई भी जिम्मेवारी दे वे इसे बेहतर तरीके से निभाएगी । राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य व प्रख्यात शायर और समाज सुधारक हाली पानीपती की प्रपौत्री सईदा हमीद ने वर्ष 1982-84 के दौरान बेजुबान की जुबान नाम से अपने सर्वे में बताया था कि मुस्लिम महिलाओं को अवसर मिले तो वे पुरुषों के मुकाबले ज्यादा बेहतर साबित होंगी और यह बात यहाँ प्रमाणित हो रही है । कुछ लोगों ने इन सत्याग्रहियों पर मिथ्या आरोप था कि इन औरतों के पांच-2 सौ रुपये धियाड़ी पर बैठाया गया है तो इन्ही वीरांगनाओं का जवाब था कि विरोधी पांच हजार रुपये देकर भी किन्ही को बिठा कर दिखाए । शाहीन बाग़ की बहनों ने पूरे मुल्क़ को राह दिखाई है और यही कारण है आज हर छोटे बड़े शहर में महिलाओं का यह सत्याग्रह उरोज पर है ।
इन महिलाओं के समर्थन में रोजाना सैंकड़ो महिलाओं के जत्थे पूरे देश से इनकी एकजुटता के लिये आ रहे है जो इनकी ताकत व हौसला है ।
इन सत्याग्रहियों का यह भी मानना है कि जलियांवाला बाग नरसंहार के शताब्दी वर्ष में सरकार ने जामिया मिल्लिया में घुस कर निहत्थे छात्रों पर गोली, लाठी व दमन चक्र चला कर इसे जामियावाला कांड बना दिया है । पर इस निंदनीय कांड ने छात्रों के अहिंसक प्रतिवाद का भी दर्शन करवाया है । महात्मा गांधी ,मौलाना आजाद ,डॉ ज़ाकिर हुसैन को सम्भाले इनकी सफल परीक्षा इससे अच्छी नही हो सकती है ।
बादशाह खान के युवा दस्ते *ख़ुदाई ख़िदमतगार (हिन्द) के सदस्य जिस तरह से इस सत्याग्रह का सहयोग कर रहे है वह सर्वदा प्रसंशनीय है और इसे समर्थन दे रहे है *राष्ट्रीय मूवमेंट फ्रंट*, सर्व सेवा संघ, गांधी ग्लोबल फैमिली व महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के नेता व कार्यकर्ता । मुझे खुद इन आंदोलनकरियो के बीच तीन दिन रहने का मौका मिला । मैं समझता हूं कि बा बापू 150 वर्ष में यह गांधी विचार का युवाओ के हाथ मे आने तक की संक्रमण अवस्था है जिसका प्रत्येक गांधी सेवक को समर्थन करना चाहिए । यह एक ऐसा अवसर है जो एक इम्तहान भी है और प्रयोग भी । निश्चित रूप से जीतेगा गांधी का सत्याग्रह विचार ही ।
राम मोहन राय,
एडवोकेट ,सुप्रीम कोर्ट
(महासचिव ,गांधी ग्लोबल फैमिली )
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