22 मार्च
*Inner Voice*
(Nityanootan Broadcast Service)
*प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी* ने राष्ट्र के नाम सन्देश में जिस अपेक्षा को भारतीय नागरिकों के प्रति किया है उस पर किसी भी प्रकार का संदेह एवं राजनीति नही होनी चाहिए । ऐसा सभी पक्षो की ओर से हो । यह संकट का समय है जिसका सभी को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा । हम बाद में यह जरूर सवाल करेंगे कि कनाडा अथवा अपने ही देश के एक राज्य केरल की तरह केंद्र सरकार ने अपने देश के नागरिकों को क्यों नही कोरोना पैकेज का ऐलान किया ? इन सभी सवालों को समय रहते जरूर रखना चाहिए पर अभी की प्राथमिकता एकांत में रह कर सबसे दूर रहने की है ।
यह समय हर प्रकार के अंधविश्वास से भी बचने का है । यज्ञ-हवन, गौमूत्र ,गोबर, ताबीज़ ,झाड़ा अथवा अन्य आस्था के विषय व्यक्तिगत तो हो सकते है परन्तु यह बीमारी के निदान नही है । यह बीमारी प्रदूषण से न होकर संक्रमण से फैलती है । इसलिये जरूरी है कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की हिदायतों का पालन किया जाए ,न किसी अन्य का । हमारे देवालयों , मन्दिरों तथा अन्य धार्मिक स्थानों का यह निर्णय स्वागत योग्य है कि उन्होंने सार्वजनिक दर्शन अस्थायी रूप से बंद करवा दिए है । इसका स्पष्ट निर्देश है कि भीड़ न करे किसी भी प्रकार से रोग सम्बंधित लक्षण होने पर अस्पतालों में जाए ।
यह बीमारी प्रकृतिजन्य है न कि किसी के द्वारा उत्पादित । हमनें वन्य जीवन को नष्ट करने का अपराध किया है जिसका दण्ड हमें ही तो मिलना है ।
22 मार्च का जनता कर्फ्यू प्रतीकात्मक है । यह न तो कोई उपचार है और न ही कोई निदान। यह तो एक अभ्यास है कि हो सकता है और अधिक समय तक हमे ऐसे कर्फ्यू में रहना पड़े । अमेरिका के अनेक नगरों,इटली और अनेक पश्चिमी देशों में ऐसे कर्फ्यू पिछले अनेक दिनों से चल रहे हैं । हम ऐसा न माने की 22 मार्च हमारे देश के लिये इस बीमारी के लिये आखिरी दिन होगी या कोरोना गो गो हो जाएगी ।
हम भारतीय लोगों को यदि कोई पाबंदी लगा दे तो जल्दी झल्ला जाते है । अगर किसी को हाथ धो कर अंदर आने को कहें या बाहर रुकने को कहा जाए तो वह स्वयं को अपमानित महसूस करेगा । हमे अपनी आदतों को सुधारते हुए नियमो का पालन करना सीखना होगा ।
इस बीमारी का इलाज अभी नही आया है । जयपुर में कोई वैक्सीन नही ढूंढी है बल्कि रोगी के लक्षणों पर दवाई के प्रयोग रहे । इसलिये हमने इलाज ढूंढ लिया या भारतीय चिकित्सा पद्धति में इसका इलाज पहले से है ऐसी सोच से उबरने की जरूरत है । यह बीमारी लम्बी चलेगी । इसकी वैक्सीन के खोजने में भी अभी समय लगेगा इसलिये इसका बचाव का रास्ता परहेज ही है । हमारे देश मे मेडिकल सुविधाओं का अभाव है इसलिये यदि रोगियों की संख्या बढ़ी तो हमारे देश को मुश्किल बढ़ेगी । इसलिये बचाव ही रोगियों की संख्या को रोकेगा । भारत जैसे देश मे जहाँ 74 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे है, कर्फ्यू जैसी स्थिति में लंबे समय तक रहना मुश्किल हो जाएगा और ऐसा न होने पर हमारा संकट बढ़ सकता है । हम न तो व्यक्तिगत रूप से अथवा न सरकारी रूप से ऐसी स्थिति में है कि उन नागरिकों को जो रोज कमाते है और उसी पर आधारित है की मदद करे । कोरोना बीमारी का हर प्रकार की मार इस आबादी पर पड़ेगी । केरल राज्य सरकार की भरपूर प्रशंसा करनी चाहिए कि उन्होंने ऐसी आबादी के लिये 20 हजार करोड़ ₹ की सहायता राशि की घोषणा की है तथा बी पी एल परिवारों के लिये उनके घर पर ही राशन देने का इंतजाम किया है । पांच साल से कम के बच्चों के लिये उनके मिड डे मील को वे पहले ही उनके घर भिजवा रहे है ।
हम सब मिल कर अपनी उदारता का परिचय देकर ही हम इस बीमारी का मुकाबला कर पाएंगे । यह केवल गली या बालकॉनी तक ही दस्तक नही करेगी बल्कि गांव ,झोपड़ी और बेघर के लिये भी चुनौती पैदा करेगी ।
राम मोहन राय
पानीपत,
20.03. 2020
(Nityanootan Broadcast Service)
*प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी* ने राष्ट्र के नाम सन्देश में जिस अपेक्षा को भारतीय नागरिकों के प्रति किया है उस पर किसी भी प्रकार का संदेह एवं राजनीति नही होनी चाहिए । ऐसा सभी पक्षो की ओर से हो । यह संकट का समय है जिसका सभी को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा । हम बाद में यह जरूर सवाल करेंगे कि कनाडा अथवा अपने ही देश के एक राज्य केरल की तरह केंद्र सरकार ने अपने देश के नागरिकों को क्यों नही कोरोना पैकेज का ऐलान किया ? इन सभी सवालों को समय रहते जरूर रखना चाहिए पर अभी की प्राथमिकता एकांत में रह कर सबसे दूर रहने की है ।
यह समय हर प्रकार के अंधविश्वास से भी बचने का है । यज्ञ-हवन, गौमूत्र ,गोबर, ताबीज़ ,झाड़ा अथवा अन्य आस्था के विषय व्यक्तिगत तो हो सकते है परन्तु यह बीमारी के निदान नही है । यह बीमारी प्रदूषण से न होकर संक्रमण से फैलती है । इसलिये जरूरी है कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की हिदायतों का पालन किया जाए ,न किसी अन्य का । हमारे देवालयों , मन्दिरों तथा अन्य धार्मिक स्थानों का यह निर्णय स्वागत योग्य है कि उन्होंने सार्वजनिक दर्शन अस्थायी रूप से बंद करवा दिए है । इसका स्पष्ट निर्देश है कि भीड़ न करे किसी भी प्रकार से रोग सम्बंधित लक्षण होने पर अस्पतालों में जाए ।
यह बीमारी प्रकृतिजन्य है न कि किसी के द्वारा उत्पादित । हमनें वन्य जीवन को नष्ट करने का अपराध किया है जिसका दण्ड हमें ही तो मिलना है ।
22 मार्च का जनता कर्फ्यू प्रतीकात्मक है । यह न तो कोई उपचार है और न ही कोई निदान। यह तो एक अभ्यास है कि हो सकता है और अधिक समय तक हमे ऐसे कर्फ्यू में रहना पड़े । अमेरिका के अनेक नगरों,इटली और अनेक पश्चिमी देशों में ऐसे कर्फ्यू पिछले अनेक दिनों से चल रहे हैं । हम ऐसा न माने की 22 मार्च हमारे देश के लिये इस बीमारी के लिये आखिरी दिन होगी या कोरोना गो गो हो जाएगी ।
हम भारतीय लोगों को यदि कोई पाबंदी लगा दे तो जल्दी झल्ला जाते है । अगर किसी को हाथ धो कर अंदर आने को कहें या बाहर रुकने को कहा जाए तो वह स्वयं को अपमानित महसूस करेगा । हमे अपनी आदतों को सुधारते हुए नियमो का पालन करना सीखना होगा ।
इस बीमारी का इलाज अभी नही आया है । जयपुर में कोई वैक्सीन नही ढूंढी है बल्कि रोगी के लक्षणों पर दवाई के प्रयोग रहे । इसलिये हमने इलाज ढूंढ लिया या भारतीय चिकित्सा पद्धति में इसका इलाज पहले से है ऐसी सोच से उबरने की जरूरत है । यह बीमारी लम्बी चलेगी । इसकी वैक्सीन के खोजने में भी अभी समय लगेगा इसलिये इसका बचाव का रास्ता परहेज ही है । हमारे देश मे मेडिकल सुविधाओं का अभाव है इसलिये यदि रोगियों की संख्या बढ़ी तो हमारे देश को मुश्किल बढ़ेगी । इसलिये बचाव ही रोगियों की संख्या को रोकेगा । भारत जैसे देश मे जहाँ 74 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे है, कर्फ्यू जैसी स्थिति में लंबे समय तक रहना मुश्किल हो जाएगा और ऐसा न होने पर हमारा संकट बढ़ सकता है । हम न तो व्यक्तिगत रूप से अथवा न सरकारी रूप से ऐसी स्थिति में है कि उन नागरिकों को जो रोज कमाते है और उसी पर आधारित है की मदद करे । कोरोना बीमारी का हर प्रकार की मार इस आबादी पर पड़ेगी । केरल राज्य सरकार की भरपूर प्रशंसा करनी चाहिए कि उन्होंने ऐसी आबादी के लिये 20 हजार करोड़ ₹ की सहायता राशि की घोषणा की है तथा बी पी एल परिवारों के लिये उनके घर पर ही राशन देने का इंतजाम किया है । पांच साल से कम के बच्चों के लिये उनके मिड डे मील को वे पहले ही उनके घर भिजवा रहे है ।
हम सब मिल कर अपनी उदारता का परिचय देकर ही हम इस बीमारी का मुकाबला कर पाएंगे । यह केवल गली या बालकॉनी तक ही दस्तक नही करेगी बल्कि गांव ,झोपड़ी और बेघर के लिये भी चुनौती पैदा करेगी ।
राम मोहन राय
पानीपत,
20.03. 2020
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