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Showing posts from July, 2020

We love you and miss you Jia

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*जीया (मेवाड़ी में माँ के लिये प्रयुक्त उदबोधन/मेरी सासु माँ)* को यह वायदा करते कि वे पानीपत आएंगी, 37 वर्ष हो गए थे। जीया, श्रीमती केसर देवी पत्नी स्वर्गीय श्री गणेश लाल माली, पूर्व सांसद, उदयपुर,( राजस्थान) ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बहुत ही अच्छे ढंग से निभाया। जब वह आठ साल की बालिका थी, तभी उनका विवाह मेरे ससुर श्री गणेश लाल माली के साथ नाथद्वारा में हुआ था। लगभग अर्द्ध शताब्दी से ज्यादा वक्त तक वह उनकी जीवन संगिनी बनी रही। वर्ष 1992 में उनके पति के देहांत के बाद भी उन्होंने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बदस्तूर जारी रखा। चार बेटियों और दो बेटों के परिवारों को एकजुट करने की हर सफल कोशिश की।     राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में दामादों को कंवर साहब कह कर संबोधित करते हैं।  एग्रीकल्चर प्रधान हरियाणा में रहने वाले मुझको तो यह मेवाड़ी कल्चर अजीब सा लगता था। पर जब भी कोई मुझे कंवर  साहब कहकर संबोधित करता तो मुझे खूब खुशी होती।        प्रतिवर्ष दो बार तो अपने ससुराल उदयपुर जाने का मौका मिलता था। स्कूली छात्रों की तरह ही वकीलों की छुट्टियों की भी मौज रहती है। गर्मियों में गर्मी

Aruna Asif Ali

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अरुणा आसफ अली के जन्म दिवस 16 जुलाई को उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि (nityanootan.com) 💐💐💐💐💐💐💐💐अरुणा जी से वायदा 👊👊👊👊👊👊👊👊👊 माता -पिता के कांग्रेस व स्वतन्त्रता आंदोलन में सक्रिय होने की वजह से परिवार में अरुणा आसफ अली का नाम श्रद्धा व सम्मान से लिया जाता था ।पिता जी जब भी देशभक्ति व वीरता की कोई मिसाल देते तो अरुणा आसफ अली का नाम जरूर लेते ,यही कारण था कि उन्होंने मेरी बड़ी बहन का नाम 'अरुणा 'रखा ।वे हमे  उनकी जीवन गाथा भी बताते कि किस तरह 1942 के भारत छोडो आंदोलन में ,मुम्बई के परेड ग्राउंड में अनेक बेतहाशा पाबंदियों के बावजूद भी अँगरेज़ सैनिको व सिपाहियो को चकमा देकर उन्होंने तिरंगा फहराया था व अपनी गिरफ्तारी दी थी । हमारे परिवार के लिए वे एक आदर्श थी ।         अब एक अवसर आया जब मै दिल्ली गया और वहाँ कृष्णा राजिमवाले के माध्यम से बहादुर शाह ज़फर मार्ग स्थित उनके पायनियर /लिंक  के दफ्तर में उनसे मिलने का । मैने उनको श्री दीप चंद्र निर्मोही द्वारा इंदिरा जी पर लिखी पुस्तक 'विश्व की सर्वाधिक संघर्षशील महिला ' भेंट करते हुए अपने शहर पानीपत आने का निमन्त्रण

मेरी आपा

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Zubaida Nomani ज़ुबैदा का परिवार 1947 में विभाजन के समय पानीपत से लाहौर जाकर बस गया था । उनके पिता अब्दुल रब अब्बासी मेरे पिता मास्टर सीताराम सैनी के विद्यार्थी थे । वे मेरे पिता से जैन हाई स्कूल ,पानीपत में उर्दू, अरबी व फ़ारसी पढ़ते थे । सन 1997 में आदरणीय दीदी निर्मला देशपाण्डे जी के प्रयासों से वे 50 वर्षो बाद, परिवार सहित अपने पैतृक नगर पानीपत आये । ज़ुबैदा का विवाह हज़रत बू अली शाह क़लन्दर के वर्तमान सज्जादानशीन आबिद आरिफ नौमानी जो पेशे से इंजीनियर है ,उनसे हुआ था । उनकी पानीपत यात्रा के दौरान रिश्ते ऐसे बने की हम भाई-बहन बने ।       वर्ष 2014 में ज़ुबैदा कैंसर रोग से पीड़ित हुई । पता चलने पर मैं उनकी मिजाजपुर्सी के लिये लाहौर उनके घर गया । इतिफाक से वह महीना रमज़ान का था । मैने भी अपनी बहन की सेहत की दुआ करते उनके साथ वहीं रोज़ा रखा और फिर वहीं इफ्तारी की ।     दुआ कबूल हुई । मेरी बहन ज़ुबैदा अब पूर्ण स्वस्थ है । उन्होंने आज ही यह चित्र पुरानी यादों को संजो कर भेजा है ।