पानीपत अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के संस्थापक ओ पी शर्मा
*अनन्त विकास का यात्री- ओ0 पी0 शर्मा*
एक साधारण व्यक्ति अपना लक्ष्य साधकर कितनी ऊंचाई तक उड़ सकता है ।इसका एक स्पष्ट प्रमाण गांव हथवाला, जिला पानीपत में एक निर्धन किसान परिवार में जन्मे बालक ओमप्रकाश के परिचय से मिलता है। घर में छोटी खेती थी, परंतु उस बालक का उद्देश्य बहुत ही विस्तृत था। गांव में प्राइमरी कक्षा तक पढ़कर वह पानीपत में उच्च शिक्षा के लिए आया। साधन बहुत ही कम थे। यहां आकर उसने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम किया, वही एक मंदिर में पूजा अर्चना का कर्मकांड करवा कर अपने निवास, भोजन तथा शिक्षा का खर्च तथा अन्य संसाधनों को जुटाने का काम किया करता। पर दिमाग में एक ललक थी। यह वह समय था जब बैंकिंग व्यवसाय को बहुत ही उच्च दृष्टि से देखा जाता था। परंतु वह यह भी समझता था कि बैंक में नौकरी पाना आसान नहीं है। पर उसकी जिद्द ने यह निश्चय कर लिया था कि वह अपना ही बैंक बनाएगा और उससे अनेक अपने जैसे युवाओं को रोजगार देने का काम करेगा।
पूंजी तो न के बराबर थी। कुछ स्थानीय लोगों ने बैंक का सदस्य बनकर आर्थिक सहयोग भी किया। यह बात सन 1985 की है, जब उस नवयुवक ने 3000 रुपये की छोटी सी पूंजी से द पानीपत अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की स्थापना की।
बीमा एजेंटों की तरह घर-घर घूमता व लोगों से बैंक का सदस्य बनने का आग्रह करता ।वाहन के नाम पर उसके पास एक साइकिल थी, परंतु इच्छाओं तथा संकल्प में वह हवाओं से बात करता था और वह दिन आया जब उसने हवाओं का रुख बदल दिया।
यह सच्ची कहानी है पानीपत अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के संस्थापक श्री ओ पी शर्मा की। इन 36 वर्षों में3000 रुपये की मामूली रकम से शुरू होने वाले बैंक का आज 1500 करोड रुपए वर्ष का व्यवसाय है। पानीपत के रेलवे रोड पर पहली मंजिल पर किराए पर शुरू हुए इस बैंक की अब जी टी रोड, पानीपत के मुख्य स्थल पर एक विशालकाय इमारत है। इस बैंक में हरसंभव सुविधा है। अब यह बैंक सिर्फ अपने शहर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर भारत के पांच राज्यों में इसकी 20 ब्रांचे हैं। बैंक के 19 एटीएम काम करते हैं और 175 कर्मचारी बैंक कर्मी के रूप में जुड़े हैं।
पानीपत के छोटे से औद्योगिक एवं ऐतिहासिक शहर से शुरू हुआ इस स्थानीय बैंक को राष्ट्रीय मान्यता मिली है ।वह व्यक्ति इतिहास के इस सबक से बखूबी वाकिफ था कि जिसने पानीपत पर विजय प्राप्त की, उसने ही दिल्ली पर शासन किया है। अब इस बैंक की न केवल कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला, हरिद्वार में यूनिटस है ,वहीं दिल्ली के प्रतिष्ठित व्यवसायिक स्थल चांदनी चौक में भी यह अपनी ब्रांच खोलने जा रहा है। इतना ही नही अब वे हरियाणा स्टेट अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स फेडरेशन लि0 के अध्यक्ष है और राष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ अर्बन कोऑपरेटिव एंड क्रेडिट सोसाइटीज लि0 ,दिल्ली के निदेशक है ।
इतना सब होने के बावजूद भी ओम प्रकाश शर्मा की सौम्यता तथा विनम्रता में कोई कमी नहीं आई है। हर आगंतुक से वह तपाक से सम्मान पूर्वक मिलते हैं तथा उसकी मदद के लिए अग्रसर रहते हैं। क्या यही कारण नहीं है कि नगर के हर छोटे दुकानदार, रेहडी वाले, गरीब एवं विधवा महिला, छोटे किसान एवं मेहनतकश व्यक्ति के लिए बैंक का सहायता क्षेत्र हर समय खुला रहता है।
ओम प्रकाश शर्मा अपने पुराने दिनों को कभी नहीं भूलते। वह मानते हैं कि आदमी को खड़े होने के लिए सिर्फ एक वर्ग फुट की जमीन ही चाहिए, परंतु वहां खड़ा होकर उनका मस्तिष्कअनंत संपदा को प्राप्त कर सकता है।
ओम प्रकाश शर्मा हमेशा सामाजिक गतिविधियों के साथ जुड़े रहे हैं। स्वर्गीय दीदी निर्मला देशपांडे, पूर्व सांसद पंडित चिरंजी लाल तथा सर्वोदय नेता चौधरी निरंजन सिंह का भी भरपूर आशीर्वाद उन्हें मिला है। नगर की अनेक सामाजिक, स्वयंसेवी, शैक्षणिक संस्थाएं एवं संगठनों इन्हें स्वयं से जोड़ कर गौरवान्वित होती है । उन्हें स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर के अनेक सम्मान व अवार्ड प्राप्त हुए हैं ।
वह दोस्तों के दोस्त हैं तथा हर प्रकार की परिवारिक चर्चा एवं विमर्श उनसे सहज और भयरहित होकर किया जा सकता है। वह अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति है। कोरोना जैसी बीमारी को भी उन्होंने पराजित किया है।
उनके पुत्र श्री विकास शर्मा से अनेक अपेक्षाएं हैं तथा उम्मीद भी कि वह अपने पिता के पदचिन्हों पर चलकर लोक सेवा के हितार्थ कार्य करते रहेंगे ।
*ओमप्रकाश शर्मा इसी लोकप्रिय सिद्धांत में यकीन करते हैं कि प्रगति करने का एक ही जादू है और वह है- *दूर दृष्टि, कड़ी मेहनत, पक्का इरादा*,
और अनुशासन* ।
राममोहन राय,
पानीपत/ 25.03.2021
(*नित्यनूतन वार्ता*)
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