अमेरिका में गांधी-150

 *अमेरिका में गांधी -150 की तैयारी में हम भारतीयों की भूमिका* ।

(Nityanootan Broadcast Service)

       महात्मा गांधी व कस्तूरबा के जन्म जयंती के 150वें वर्ष की तैयारी में अमेरिका में भी ईयर ऑफ गांधी 150 तथा दी सैटरडे फ्री स्कूल फिलिडेल्फ़िया के संयुक्त तत्वावधान में तैयारियां शुरू हो गयी है । वर्ष 1969 में महात्मा गांधी जन्म शताब्दी के अवसर पर यहाँ सरकारी स्तर पर तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री हुबर्ट हम्फेरी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था तथा यहांकी कांग्रेस( पार्लियामेंट) ने भी बापू को अपनी श्रधांजलि देते हुए एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था । अब 50 वर्षो के बाद कुछ ऐसा ही वातावरण बनाने का प्रयास अमेरिका के जनसंगठन कर रहे है ,जिसमे सभी धर्मों ,अनेक जन संगठनों व व्यक्तियों कर संयुक्त प्रयास जारी है । फिली में लगभग प्रति सप्ताह गांधी विचार से सम्बंधित कार्यक्रमो को किया जा रहा है जिसमे प्रसिद्ध विचारक डब्ल्यू ई बी डू बॉयस तथा अनेक उन लोगो के विचारों को भी रखा जाता है जिन्होंने हमारे देश मे महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे  राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भारत आकर गांधी जी से मुलाकात की थी व अहिंसा व सत्याग्रह के पूरे सिद्धान्त व संघर्ष प्रणाली को समझने की भी कोशिश की थी । मार्टिन लूथर किंग जूनियर अपनी शहादत से पूर्व स्वयं सन 1969 में भारत आये थे तथा यहां से वापिस लौट कर उन्होंने अपना आदर्श महात्मा गांधी को उदघोषित कर अमेरिका में साम्राज्यवाद ,रँगभेदवाद तथा नस्लवाद के खिलाफ अपने संघर्ष को अहिंसात्मक ढंग से चलाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति की l ऐसा मानना है कि अमेरिका में भी सत्याग्रह का उतना ही पुराना नाता है जितना भारत का । पूज्यपाद महात्मा गांधी ने जिस अस्त्र के सहारे भारत को विदेशी दासता से मुक्ति दिलवा कर भारत मे समरसता पूर्ण समाज की स्थापना के लिये मार्ग प्रशस्त किया उसी का अनुकरण आज भी यहां हो रहा है । फर्क सिर्फ इतना है कि हमारे पास लगभग अनादि काल की विरासत है जिसके नायक ऋषि दधीचि से  महात्मा गांधी  तक अनेक व्यक्तित्व है जबकि उनके पास 350 साल की आज़ादी में अब्राहिम लिंकन  व बॉयस से  मार्टिन लूथर किंग जूनियर    आदि है । उन्हें राजनीतिक स्वतन्त्रता 4 जुलाई 1776 को मिली हमे 15 अगस्त ,1947 को , उन्होंने गुलाम प्रथा की समाप्ति की घोषणा 19 जून 1865 में  और हमने समानता का उदघोष 26 जनवरी ,1950 को पर एक बात में औऱ समानता है कि उनकी रँगभेदवाद तथा नस्लवाद और हमारी दलित उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई बदस्तूर जारी है ।

   इन्ही तमाम विसंगतियों तथा समानताओं के कारण आज भी महात्मा गांधी उनके लिये प्रासंगिक है तथा उनकी 150वीं जयन्ती उन्हें प्रेरित करती है कि सफलता की सिर्फ एक ही कुंजी है और वह है गांधी जी की अहिंसा व सत्याग्रह ।

      मुझे यहां अमेरिका में आकर बापू के और निकट आने का मौका मिला है । मुझे यह भी प्रसन्नता है कि भारत औऱ यहां  के गांधी सेवक संगठनों के बीच संवाद व तालमेल का मुझे माध्यम बनने का भी सौभाग्य मिल रहा है । मेरे अमेरिका प्रवास के दौरान ही ईयर ऑफ गांधी इन यू एस ए से जुड़े अनेक मित्र भारत आकर  दिल्ली व कोलकाता में विभिन्न अग्रणी गांधीवादी संगठनों व व्यक्तियों से मिले है तथा उनके बीच बातचीत का एक सिलसिला जुड़ा है । इसी महीने इसी ग्रुप की एक बैठक अमेरिका में ही पुनः होने जा रही है जिसमे मुझे भी भाग लेने का सौभाग्य मिलेगा ।

 गांधी 150 पूरे विश्व मे जनता के स्तर पर भी मनाया जाए ,ऐसे प्रयास जारी रहना चाहिए ,क्योकि  इन विपरीत एवं विषम परिस्थितियों में महात्मा गांधी के विचार एवम दर्शन ही एक आशा की किरण है ।


राम मोहन राय

(Seattle, Washington (USA)

15.07.2019

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