गांधी नु गांव
गांधी नू गांव
💐💐💐💐💐💐💐💐💐कच्छ (गुजरात)के एक गांव लूडिया ,अब नाम "गांधी नू गांव" में एक किसान "रवा भाई "के घर रहने व रात रुकने का अवसर सचमुच बेहद हृदय स्पर्शी व अविस्मरणीय रहा । भारत _पाकिस्तान बॉर्डर से सटे इस गांव का निर्माण ,विगत वर्ष भूकम्प आने के कारण विध्वंश के बाद जयेश भाई व उनके साथियों ने करवाया था और नाम दिया "गांधी नू गांव"यानी गांधी का गांव । गुजरात में ही क्यों बल्कि पूरे देश _विदेश में एक ही तो ऐसा नाम है जिसके नाम पर कई नगर है , शैक्षणिक ,सामाजिक व व्यवसायिक संस्थान है जहां नाम तो बापू का है पर गांधी वहां से नदारद हैं पर यह गांव ऐसा जहां के जन _जीवन के हर कार्य में गांधी पूरी तरह से घुला _मिला है । किसी भी घर मे महात्मा जी का कोई चित्र तो नहीं है परन्तु "स्वच्छता ,प्यार व सर्वधर्म समभाव "की भावना मौजूद है । घर के मालिक "रवा भाई व उनकी पत्नी गौरा बेन" की आतिथ्य परायांता ने हमें अपना बना लिया ।
रात के करीब 11 बजे गांव से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर "सफेद रण" देख कर गांव में जैसे ही प्रवेश किया तो देखा कि एक सार्वजनक स्थान पर कुछ युवक वीणा , तबले व हारमोनियम पर संगीत का अभ्यास कर रहे हैं । एक अरसे के बाद कल पूनम की रात को पूर्ण चांद को निहारते हुए खुली हवा में सोने का अवसर मिला । और सुबह उठाया पक्षियों की चहचहाहट ने । मेरी मां जब हमें सुबह उठाती तो वे संत तुलसी दास की ये पंक्तियां गाती थी "रामचंद्र वीर उठो पंछी गण जागे " पर वह शब्द यहां चरितार्थ हुए ।और थोड़ी देर बाद ही पास के स्कूल से बच्चों की प्रार्थना की आवाज मयिक पर सुनाई दी जिसके बोल थे "ल ब पर आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी"और इसके बाद सर्वधर्म प्रार्थना की आवाज । यह सब सुन कर मन अभिभूत हो गया ।
रात को गौरा बेन ने खाने में ट्रेडिशन खिचड़ी ,बाजरे का रोटला , कड़ी, बकरी के दूध की दही व सफेद गुड परोसाऔर सुबह की बेड टी में बकरी के दूध चाय पी कर मन तृप्त हो गया । फिर गांव की महिलाओं की हूनरमनदी को देखा । कपड़े पर बेहतरीन कशीदाकारी देखने को ही बनती थी । इनके हाथों में तो सचमुच जादू है । इनमें से कई महिलाओं को तो राष्ट्रीय पुरस्कार तक मिल चुके हैं पर इनका काम तो पुरस्कारों से भी परे है । इनके
बेशक हम मेहमान रेवा भाई के रहे परन्तु पूरा गांव ही हमारा घर बन गया । थोड़ी देर में ही अडोस_पड़ोस की महिलाएं मेरी पत्नी व बेटी को मिलने के लिए आने लगी । सभी का आग्रह था कि वे उनके घर चले और चाय पिएं पर यह असभव था कि चनद घंटो में सबके घर जाएं , पर उनकी आत्मीयता ने हमे मोह लिया था । तभी नजदीक के ही गांव के अमीन भाई का फोन आया कि हम उनके गांव में भी दोपहर को लंच पर आए जो हमारे लिए मुमकिन न था । उनको व्यादा किया कि अगली बार जब आये तो उनके यहां ही रुकेंगे । पर यह व्यादा तो कशमीर के गांव के साथी को भी किया था और कन्याकुमारी के महादेवन को भी । निर्मला दीदी की वजह से ऐसा अनेक मित्र व रिश्तेदार बने हैं जो भी अपने से भी प्यारे है ।
रवा भाई तो हमारे गाइड ही बन गए । हमे आस पास के रमणीय पर्यटक दर्शनीय स्थलों पर ही नहीं ले गए । भारत _पाक बॉर्डर से लगे इंडिया ब्रिज तक ले गए । उनका मानना था कि यह पुल सरहद से पहले का आखरी पुल है।हम तो "विसा मुक्त सरहद" की आवाज बुलंद करने वाले लोग हैं ।जिनकी चाहत है कि वह दिन आए जब दोनों दोस्त बन कर पूरी दुनियां को एक नया सन्देश दे । गांव वालो से यह भी पता चला की लुटिया पंचायत क्षेत्र में बेशक हिन्दू मतदाता अधिक संख्या में है परन्तु मुखिया पिछले 20 वर्षों से मुस्लिम " हाजी भाई " ही सर्वसम्मति से निर्वाचित होते आ रहे हैं । "गांधी नू गांव" में कक्षा पांचवी तक का एक स्कूल पूर्व राष्ट्रपति डा 0 ए पी जे कलाम के नाम से खुला हैं । इबादत के लिए गाव में मन्दिर भी हैं मस्जिद भी । ग्राम स्वराज की एक अनूठी प्रयोगशाला यह गांव है ।
राम मोहन राय
(नित्य नूतन ब्रॉडकास्ट सर्विस)
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