एक नया इतिहास



 


*एक नया इतिहास*

    12-15 अगस्त तक दिल्ली राजघाट से शहीद समाधि ,हुसैनीवाला तक पहुंची आग़ाज़ ए दोस्ती यात्रा जिसमे देशभर के 24 संगठनों के 42 प्रतिनिधि रहे ने विश्व शांति व दक्षिण एशिया विशेषकर भारत और पाकिस्तान की जनता के बीच  लोगों की ओर से अमन दोस्ती प्रयासों के लिए एक नया कीर्तिमान होगा । 

    सन 80 के दशक में भारत और पाकिस्तान के शांति कर्मियों ने भारत-पाकिस्तान सीमा वाघा अटारी बॉर्डर पर पहुंच कर शांति के लिए मोमबत्तियां जला कर पहल की थी जो इस बात का सूचक थी कि दोनों देशों की न केवल सांझी विरासत है वहीं समान संस्कृति भी है । आज़ादी के लिए संघर्ष भी सांझा रहा और उनके नायक भी । विगत 40 वर्षों की यात्रा ने इस बात को और अधिक पुख्ता किया । सरहद पर ही शहीदों का स्मारक बनाया गया जिस पर लोग जाते और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते । सरहद पर ही दोनों देशों की परेड  का भी आकर्षण रहता जो आनंद का कम बल्कि आपसी तनाव का ज्यादा सबब रहता ।

      पर इस बार की यात्रा उससे अलग थी । यह यात्रा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि से चल कर दिल्ली के शहीद पार्क होते हुए मुरथल, सोनीपत ,गन्नौर ,समालखा ,पानीपत, घरौंडा ,करनाल , तरौरी ,नीलोखेड़ी, कुरुक्षेत्र , शाहबाद ,अम्बाला , रोपड़, खटकड़ कलां, जालंधर ,मोगा होते हुए फिरोजपुर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित शहीद भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव की संयुक्त समाधि ,उनके साथी बटुकेश्वर दत्त तथा स0 भगतसिंह की माता की समाधि पर पहुंचे ।

      पूरी यात्रा ही रोमांच व ऊर्जा से भरी थी । यह कोई साधारण सफर न होकर एक मायने में ऐतिहासिक था जब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक पाठशाला के पाठ बस में ही चल रहे थे तथा उसके प्रैक्टिकल स्मृति स्थानों तथा लोगों से मुलाकातों के दौरान हो रहे थे । इस पाठशाला के शिक्षक थे शहीद भगत सिंह के भांजे प्रो0 जगमोहन सिंह ,इतिहासवेत्ता सुरेंद्र पाल सिंह,रवि नितेश, सदीक अहमद मेव, संजय राय, दीपक कथूरिया,  छोटा बालक भुवनेश आदि मजदूर-किसान, विद्या भारती स्कूल, पानीपत , सेंट कार्मेल स्कूल ,रोपड़ के छात्र , ज्ञान विज्ञान आंदोलन के नेता, डॉ श्याम लाल थापर नर्सिंग कॉलेज ,मोगा तथा डॉ थापर दम्पत्ति व अन्य । इसकी प्रयोगशाला रही महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ का पूरा प्रांगण,  गांधी दर्शन(दिल्ली), भगतसिंह का गांव खटकड़कलां , ग़दर पार्टी के नेताओं की याद में जालंधर में बना देशभक्त यादगार हॉल और अंत मे समाधिस्थल हुसैनीवाला।

      इसके भागीदार विद्यार्थी भी जिज्ञासु व जागरूक रहे । यात्रा का लोगों ने जिस अपनेपन से स्वागत-सत्कार किया वह तो भुलाया नही जा सकता । यात्रा के प्रति उनका स्वागत व अपेक्षायें ही उनकी अध्यात्मिक शक्ति थी । एक के बाद एक होने वाली लगभग 27 छोटी बड़ी सभाओं में बेशक यात्रीगण शारिरिक व मानसिक रूप से थकावट में थे परन्तु उन्हें लोगो से मिलने की इच्छा अजीब तरह का साहस दे रही थी । यात्रा की शक्ति इप्टा उत्तराखंड के शक्ति थे जो देशभक्ति के गीतों, गज़लों व संगीत से सम्पूर्ण वातावरण को जीवंत बनाये थे । हर यात्री साथी के अपने जीवन व कार्यो के व्यवहारिक अनुभव थे जिसे वह पूरी यात्रा में सांझा कर रहा था ।

         यह यात्रा एक दुसरी तरह से भी ऐतिहासिक रही । जब यात्रा दल स्थानीय लोगों के साथ मिल कर समाधिस्थल पर देशभक्ति ,अमन और दोस्ती के नारे लगा रहे थे तभी सीमापार पाकिस्तानी मित्र कसूर में बाबा बुल्ले शाह की  दरगाह और बांग्लादेशी दोस्त नोआखाली स्थित गांधी आश्रम में अपने-२ ढंग से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे । भारतीय दल भी अपने-२ हाथों में दक्षिण एशियाई नेताओं के चित्रों के साथ ही अमेरिका के डॉ ए इ डब्ल्यू बॉयस, मार्टिन लूथर किंग जूनियर के चित्र लिए थे ।

     समाधि स्थल पर प्रो0 जगमोहन सिंह ने महात्मा गांधी तथा भगतसिंह एक दूसरे के पूरक, आज़ादी की भावना पर डॉ पवन, थापर ,मालती थापर व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव अशोक अरोड़ा ने भी विचार रखे । इस अवसर पर सैटरडे फ्री स्कूल ,अमेरिका के अग्रणी डॉ एंथोनी मरटेरिओ , प्रसिद्ध गांधीवादी भाई जी सुब्बाराव, पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मोहनी गिरि , महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष श्री शंकर कुमार सान्याल के प्राप्त शुभकामना संदेश पढ़ कर सुनाए गए

 गांधी ग्लोबल फैमिली, हाली पानीपती ट्रस्ट, राष्ट्रीय सेवा परियोजना ,आग़ाज़ ए दोस्ती संगठन, असोसिएशन ऑफ पीपल्स ऑफ एशिया, भगतसिंह से दोस्ती मंच, शहीद भगतसिंह फाउंडेशन, देस हरियाणा, हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति, गिल्ड ऑफ सर्विस, हरिजन सेवक संघ, खुदाई खिदमतगार हिन्द, मेवात विकास सभा, मैत्री फाउंडेशन, उत्क्रांति समता, सेंट कार्मेल स्कूल(रोपड़), युवसत्ता, मिशन भरतीयम, निर्मला देशपांडे संस्थान, खादी आश्रम(पानीपत),दक्षिण एशिया बिरादरी, यूनाइटेड रेलीजिनस इनिशिएटिव, वीमेंस इनिशिएटिव फ़ॉर पीस इन साउथ एशिया सरीखे संगठनों ने इस गुलदस्ते को प्यार व दोस्ती की कलियों से सजाया था ।

      

राम मोहन राय,

नित्यनूतन वार्ता ।

15अगस्त ,स्वतंत्रता दिवस,

पानीपत













Comments

  1. Awesome, and adorable. You did it again sir. Congratulations.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Justice Vijender Jain, as I know

Aaghaz e Dosti yatra - 2024

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat