सीता राम येचुरी और दीदी
दीदी निर्मला देशपांडे जी का नाम हम किसी के भी सामने ले तो वह उनके साथ अपने काम और संस्मरण सुनाने लगता है तब लगता है कि दीदी का काम ,व्यवहार व सम्पर्क कितना व्यापक था । कल ऐसा ही अवसर हमे मिला, जब हम पानीपत -केरल एकजुटता मंच द्वारा जुटाई गई धनराशि एवम सामग्री को देने ए के जी भवन ,दिल्ली गए और हमारी मुलाकात हुई सी पी आई (एम) के महासचिव एवम सांसद श्री सीताराम येचुरी एवम श्री नीलोत्पल बसु (सांसद) से । स्व0 दीदी का नाम सुनते ही इन दोनों सरल एवम सहज व्यक्तित्वों के अंदाज एवम व्यवहार में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला । उनकी बातों में दीदी के प्रति कृतज्ञता एवम श्रद्धा झलक रही थी । वे बता रहे थे कैसे निर्मला दीदी के साथ वे ,वाघा -अटारी बॉर्डर पर दोस्ती -अमन यात्रा में गए थे । नीलोत्पल बसु ने बताया कि स्व0 दीदी की प्रेरणा व नेतृत्व में उन सब ने मिल कर संसद में ' भारत -पाकिस्तान दोनो देशो के बीच दोस्ती एवम अमन के लिये संसद सदस्यों का एक ग्रुप 'बनाया था ।
श्री सीताराम येचुरी न केवल किसी पार्टी विशेष के अपितु पूरे देश मे एक लब्धप्रतिष्ठ व्यक्तित्व है । हमने पाया कि किस तरह
अपनी विचारधारा पर दृढ़ रहते हुए वे भारत मे लोकतांत्रिक मूल्यों को अपने जीवन एवम व्यवहार से पल्ल्वित कर रहे है । दीदी के साथ ही उनसे दो-तीन बार मुलाकात हुई थी । दीदी के महाप्रयाण के अवसर पर वे अपनी श्रद्धाजंलि अर्पण के लिए थे । का0 हरिकिशन सिंह जी सुरजीत की मृत्यु पर उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिये जब मैं, स्वामी अग्निवेश और वीणा बहन के साथ ए के जी भवन ,दिल्ली गए थे तब भी वे हमें मिले थे और दीदी का नाम लेने पर बोले "धीरे -धीरे सभी बुज़ुर्ग जा रहे है ।"
श्री सीताराम तथा नीलोत्पल बसु से मिल कर ऐसा कही भी नही लगा कि वे कोई बड़े नेता है । किसी भी तामझाम, नकली आडम्बर तथा औपचारिकता से परे ।ये लोग कैसे है ,वरना एक मोहल्ला छाप नेता का व्यवहार देखते ही उसे घृणा का पात्र बना देता है ।
मेरे मित्र श्री मोहम्मद सलीम(सांसद) के जीवन ,व्यवहार एवम चरित्र से तो मैं प्रभावित हूं ही ,आज इन दोनों लोगो की जीवन शैली देख कर अभिभूत हूं ये किस दुनियां के लोग है । यही क्यो, इनके जितने भी साथियों से हम मिले उनमें चाहे श्रीमती वृंदा करात, सुभाषिनी अली मेरे ही प्रदेश की जगमति सांगवान , श्री इंद्रजीत या सुरेंद्र मालिक ,ये सभी तो एक से बढ़ कर एक है । हाँ ये किसी दूसरी दुनियां के तो हैं या नही पर एक नई दुनियां बनाने वाले लोग जरूर है, जहाँ मानवीय मूल्यों का राज होगा ,छद्म लोकतंत्र के नाम पर सत्ताधीश सामंतों का नही ।
शायद यही है वे आसमान के खम्बे है जिन पर वह टिका है ।
ऐसे ही लोगो से मिलने पर तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद लोकतंत्र के प्रति आस्था बनती है ।
हम स्व0 दीदी के प्रति आभारी है कि उनके नाम की लोकप्रियता की वजह से हम भी सम्मानित हो जाते है । किसी ने सच कहा है कि 'राम से बड़ा ,राम का नाम'
राम मोहन राय
(Nityanootan broadcast service)
26.08.2018
बच्चों का पराक्रम
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हाली अपना स्कूल /निर्मला देशपांडे संस्थान ,पानीपत में पढ़ रहे विद्यार्थी वे है जो अपने माता -पिता की विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा प्राप्त कर रहे है । इनमें अधिकांश वे हैं जो बाल श्रमिक अथवा स्ट्रीट चिल्ड्रन रहे । आज भी स्कूल आने से पहले या वापिस जाने के बाद अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिये ये छोटा -मोटा श्रम कर ,उनकी मदद करते है ,परन्तु जानकारी व मानवीय संवेदना के अहसास में ये किसी से भी कम नही है । केरल में प्राकृतिक आपदा के बारे में इन्हें भी जानकारी दी गयी । बस फिर क्या था इन्होंने भी मदद जुटानी शुरू की । उन्हें वहां बताया गया था कि वहाँ के बच्चों की सभी चीजें नष्ट हो गयी है । इन बच्चों ने उसी मतलब की सामग्री इकठ्ठी करनी शुरू की । एक-२मोमबत्ती करके लगभग चौरासी मोमबत्तियां , दो से पांच रुपये के बिस्कुट और चिप्स के इकतालीस पैकेट , दो -२ रुपये के तेईस पैन , बाईस नोट बुक , दो पानी की बोतल , एक छोटी थरमस इन सभी ने अपने संसाधनों से जुटाई । लगभग उन्नीस बच्चों ने दो से छै रुपये तक सहयोग किया ।
क्योंकि अपना अधिकांश समय मैं इन्ही बच्चों के बीच बिताता हूं ,इसलिये मैं कह सकता हूं कि यह रकम व समान उन्होंने अपनी दो -तीन दिन की बचत से दिए होंगे ।
इस बिखरे समान को दिल्ली ले जाने में, मैं खुद को असहज महसूस कर रहा था और सोचता था कि कोई क्या कहेगा ? पर जब श्री सीताराम येचुरी को पता चला तो वे द्रवित हो गए ,और उन्होंने पानीपत आकर इन सभी से मिल कर आभार प्रकट करने की इच्छा जताई ।
ये बच्चे उन सभी के लिये प्रेरणा के पुंज है जो भी केरल आपदा में सहयोग के लिये आगे बढ़ कर काम कर रहे है ।
शाबास ,बच्चों - तुम्हारा योगदान अतुलनीय है ।
राम मोहन राय
(Nityanootan broadcast service)
27.08.2018
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