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Showing posts from October, 2021

हमारे परम् स्नेही भाई जी

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हमारे परम् स्नेही भाई जी 💐💐💐      स्व0 निर्मला देशपांडे जी के सानिध्य में काम करते हुए डॉ एस एन सुब्बाराव जी(भाई जी) का जिक्र हमेशा रहता था । दीदी उनके जीवन, विचारों व कार्यो की बड़ी प्रशंसक थी । मन मे हमेशा उत्सुकता बनी रहती कभी तो इन महानुभाव के दर्शन हो ।       सम्भवतः सन 1994 में भाई जी राष्ट्रीय एकता के निमित एक रेल यात्रा लेकर निकले जिसमे देश-दुनियां के सैंकड़ो युवा थे । प्रसिद्ध गांधी सेवक श्री सोमभाई जी ने पानीपत में इस यात्रा के स्वागत करने व अन्य व्यवस्था का दायित्व मुझ पर सौंपा । उन दिनों  आर्य शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन का दायित्व मुझ पर था । विद्यार्थियों के लाव-लश्कर की तो कोई कमी थी ही नही । तो उनके पहले दर्शन व मुलाकात रेलवे स्टेशन, पानीपत पर हुई । इस पड़ाव के कई अनोखे दुर्लभ अनुभव भी हुए । पर सबसे अधिक ऊर्जा मिली उनके व्यक्तित्व, व्यवहार व कृतित्व से । और इसके बाद तो हम उनके ही बन कर रह गए ।       भाई जी, निर्मला देशपांडे जी को अपनी छोटी बहन की तरह ही मानते थे । उनके लगभग हर कार्य के प्रशंसक रहते और ख़ास तौर पर उनके दक्षिण एशियाई देशों में मैत्री सम्बन्धो के

सुब्बाराव कौन

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        *डॉ एस एन सुब्बाराव जी जिन्हें हम सब प्यार से भाई जी बुलाते थे , आज हमें छोड़ कर चले गए* । *भाई जी कौन*?      *जिनका जन्म 7 फरवरी 1928 को एक सभ्रांत कन्नड़ परिवार में हुआ तथा जिन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी वकालत के व्यवसाय, घर बार को छोड़ कर आजीवन देशसेवा व ब्रह्मचर्यत्व का व्रत  स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अनेक सत्याग्रहों और आंदोलनों में हिस्सा लेकर कई साल जेल में बिताए* ।          *सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का वह नायक जिन्होंने काँग्रेस सेवा दल के माध्यम से युवाओं की पूरी जमात को अनुशासित व संगठित करने का काम किया* ।       *आज़ादी के बाद भी युवाओ के बीच ही काम करने का संकल्प लिया व जिनके परामर्श से ही भारत के पहले प्रधानमंत्री प0 जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की स्थापना की जो विद्यार्थियों में राष्ट्र निर्माण व सेवा का काम करती है* ।          *जिन्होंने मध्यप्रदेश के चंबल के घने जंगलों में अपना कार्यक्षेत्र बनाया और जिनकी प्रेरणा से हजारों डाकुओं ने आत्मसमर्पण कर अहिँसा का मार्ग अपनाया* ।       *मध्यप्रदेश के ही हिंसाग्र

सुब्बाराव जी हम सब के पिता थे !

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  वे हम सब के पिता थे !    आदरणीय भाई जी(सुब्बाराव जी) के दुःखद निधन के समाचार से हम सब विचलित है । वे घनघोर निराशा में आशा की एक किरण थे । एक ऐसा प्रकाश जो सबको एकसा आलोकित करता था ।    उनका पूरा जीवन समाज के अंतिम जन को समर्पित था । वे चिरयुवा थे । हर समय भारत भाग्य विधाता युवाओं के नवजागरण की चिंता ।     हर व्यक्ति उनके निकट महसूस करता था । हमारा सौभाग्य रहा कि उनके सानिध्य को प्राप्त करने का अवसर मिला । उनके साथ यात्रा करने का मतलब था एक तीर्थयात्रा में किसी  आध्यात्मिक सिद्ध सन्त का वरदान मिलना ।   कश्मीर, काशी व अमेरिका में उनके साथ रहने का अवसर मिला ।       उनका पितातुल्य स्नेह सभी के लिए उपलब्ध रहा । उनके जाने से राष्ट्र को एक महान क्षति हुई है । विनम्र श्रद्धांजलि ! राम मोहन राय

बांग्लादेश की चिंता

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 *बांग्लादेश की चिंता*         बांग्लादेश के विभिन्न नगरों, कस्बों एवम अन्य स्थानों में रह रहे मित्रों से कल बात-चीत हुई । वे सभी उनके देश मे अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे हमलों , उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों व अन्य हिंसक घटनाओं से काफी दुखी है तथा इसे अपने देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर ही हमला मानते है ।       सन 1971 में बांग्लादेश के मुक्त होने के बाद मुझे बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान का रामलीला मैदान, दिल्ली में दिया गया भाषण याद है जब उन्होंने वायदा किया था कि उनका देश अब से एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष ,समाजवादी गणतंत्र के रूप में जाना जाएगा । मेरा यह सौभाग्य है कि मैने उस वक्तव्य को आकाशवाणी ,दिल्ली के सीधे प्रसारण में सुना था ।     (,नोआखाली में गांधी जी जहां रुके उस मकान के बाहर) सन 2019 में गांधी ग्लोबल फैमिली के एक प्रतिनिधिमंडल में बांग्लादेश जाने का अवसर मिला । विशेषकर नोआखाली के  उस गांव में जहां बापू ने चार महीने सोलह दिन रुक कर साम्प्रदायिक सद्भाव की अपनी यात्रा को प्रयास दिए थे । हमें वहाँ दो ऐसे व्यक्ति मिले जो बापू प्रयासों में साथ रहे । बेशक वे उस समय 17-18 साल के युवा