सुब्बाराव कौन
*डॉ एस एन सुब्बाराव जी जिन्हें हम सब प्यार से भाई जी बुलाते थे , आज हमें छोड़ कर चले गए* ।
*भाई जी कौन*?
*जिनका जन्म 7 फरवरी 1928 को एक सभ्रांत कन्नड़ परिवार में हुआ तथा जिन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी वकालत के व्यवसाय, घर बार को छोड़ कर आजीवन देशसेवा व ब्रह्मचर्यत्व का व्रत स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अनेक सत्याग्रहों और आंदोलनों में हिस्सा लेकर कई साल जेल में बिताए* ।
*सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का वह नायक जिन्होंने काँग्रेस सेवा दल के माध्यम से युवाओं की पूरी जमात को अनुशासित व संगठित करने का काम किया* ।
*आज़ादी के बाद भी युवाओ के बीच ही काम करने का संकल्प लिया व जिनके परामर्श से ही भारत के पहले प्रधानमंत्री प0 जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की स्थापना की जो विद्यार्थियों में राष्ट्र निर्माण व सेवा का काम करती है* ।
*जिन्होंने मध्यप्रदेश के चंबल के घने जंगलों में अपना कार्यक्षेत्र बनाया और जिनकी प्रेरणा से हजारों डाकुओं ने आत्मसमर्पण कर अहिँसा का मार्ग अपनाया* ।
*मध्यप्रदेश के ही हिंसाग्रस्त क्षेत्र जौरा में अपना स्थायी आश्रम बना कर युवाओं को स्वावलम्बी बनाने के अदभुत प्रयोग कर उन्हें सशक्त बनाया* ।
*कश्मीर सहित अनेक हिंसाग्रस्त क्षेत्रो में अनेक बार जाकर शांति सद्भावना के लिए अनेक युवा शिविरों का आयोजन किया तथा वहां अनेक शांति सैनिक तैयार किये* ।
*राष्ट्रीय युवा परियोजना (NYP) की स्थापना कर देश-विदेश में पांच हजार से भी ज्यादा युवा शिविरों में उपस्थित रह कर उनका मार्गदर्शन किया । देश भर में अनेक अग्रणी राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता एवम कुशल प्रशासक और व्यवसायी है जो इन शिविरों की देन है । कोई ऐसा कैम्प नही जिसमे किसी मे भी 500 से कम प्रशिक्षणार्थी न हो* ।
*जिनकी सेवाओं को जान-समझ कर जिन्हें देश-विदेश के अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से अलंकृत किया गया* ।
*एक ऐसा अनथक यात्री जो वेद के वाक्य चैरेवैति -चैरेवैति ( चलते रहो ,चलते रहो) का अनुसरण करते हुए हरदम यात्रा पर ही रहा* ।
*जो वेद -शास्त्रों सहित अन्य सभी धर्मों का ज्ञाता है तथा सर्वधर्म प्रार्थना जिनकी प्रिय उपासना पद्धति थी* ।
*जो गीत-संगीत का माहिर थे तथा जिसकी जिह्वा पर साक्षात सरस्वती का वास था* ।
*बेशक वे मूलतः कर्णाटक के थे और कन्नड़ उनकी मातृ भाषा थी परन्तु भारत की कोई ऐसी भाषा नही जिसे वे पढ़ना -लिखना, समझना-बोलना न जानते हो* ।
*भारत की संतान नृत्य नाटिका की रचना कर जिन्होंने इसका मंचन हजारों बार करवाया था* ।
*जो राष्ट्र भक्ति की उदात्त भावनाओं से भरपूर थे परन्तु यह किसी अंध राष्ट्रवाद से अभिप्रेरित न होकर जय जगत से सरोबार थे* ।
*विश्व शांति के इस महान नायक के निधन पर हम उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है । * ।
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*राम मोहन राय*
(महासचिव, गांधी ग्लोबल फैमिली
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27.10.2021
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