Mewat Day Program in Nagina
महात्मा गांधी की लड़ाई में आप हरदम उनके साथ रहे। चाहे वह नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट हो, चाहे गांधीजी का सबसे बड़ा अहिंसक हथियार सत्याग्रह हो। सन 1939 में आपके बहुत ही गर्वीले नेता चौधरी अब्दुल हई ने महात्मा गांधी की लड़ाई में हिस्सा लेकर पूरे इलाके को ही इंकलाब और आजादी की लड़ाई में झोंक दिया। गांधी बाबा का ही असर था कि उनकी गाँव नेवला में दी गई तकरीर पर उन्हें डेढ़ वर्ष की सजा हुई थी। पर वह न तो थके, न ही झुके। सन 1942 में गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में आपने बेखौफ होकर जिस हिम्मत से काम किया उसने न सिर्फ हिंदुस्तान की आजादी का रास्ता साफ किया, वही 'करेंगे या मरेंगे'
के नारे को भी बुलंदी तक पहुंचाया और यह आपकी और मुल्क की दीगर जगहों पर लड़ी जा रही आजादी की लड़ाई का ही नतीजा था कि मुल्क 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया ।
पूरी मेव कौम वतनपरस्त लोगों की रही है और जिस तरह से पार्टीशन के समय आपको पाकिस्तान जाने के लिए उकसाया गया, मजबूर किया गया ,वे तमाम वाकिए नाकाबिले बर्दाश्त थे। उन साजिशों में जहां रजवाड़े शामिल थे, वहीं कुछ वेस्टेड इंटरेस्ट के लीडरान भी उनसे मिले हुए थे। पर आप गांधी जी के साथ थे, आप मौलाना आजाद के साथ थे, आप चौधरी अब्दुल हई के साथ थे, आप पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ थे । आपने किसी भी कीमत पर अपने मादरे वतन से निकलने के लिए मना कर दिया। अपने इस जज्बे को बचाने के लिए आपने क्या कुछ नहीं किया। चौधरी अब्दुल हई, चौधरी कंवल खान, डॉ कुँवर मोहम्मद और सईद
मुतलवी फरीदाबादी की अगुवाई में आप के लीडर मौलाना आजाद, कॉमरेड पी. सी. जोशी की मदद से महात्मा गांधी को घसेड़ा लाए। गांधी जी ने कहा था कि मेवात हिंदुस्तान की रीड की हड्डी है, उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। आज वही ऐतिहासिक दिन है जब गांधी जी आपके यहां तशरीफ फरमां हुए थे। उसी जज्बे के तहत महात्मा गांधी के रूहानी जांनशीन आचार्य विनोबा भावे नूंह में तशरीफ़ फरमा हुए और उन्होंने अपनी टीम के साथ जिसमें मृदुला साराभाई, पंडित सुंदरलाल ,सुभद्रा जोशी ,जनरल शाहनवाज हुसैन और महात्मा भगवान दीन ने यहां कौमी
एकजदगी का काम किया। आज का यह दिन चौधरी अब्दुल हई, मौलवी इब्राहिम, चौधरी मजलिस खान, चौधरी दीन मोहम्मद, चौधरी सईद अहमद, चौधरी रसूल खान को भी याद करने का दिन है, जिन्होंने मेव नाम को ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियत को एक नई रोशनी दी। मैं इस अल्फाज़ के साथ अपनी ओर से और अपनी तंजीम गांधी ग्लोबल फैमिली की ओर से मेवात के तमाम बहादुर वीरो को अपनी खिराजे अकीदत पेश करता हूं और आपको मेवात दिवस के इस मुकर्रर मौके पर अपना सलाम पेश करता हूं।
सलाउद्दीन मेव (अध्यक्ष मेवात विकास सभा)
महात्मा गांधी को सभी मेवाती लोग अपना बहुत ही आत्मीय बुजुर्ग मानते थे और यही कारण था कि जब 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की शहादत हुई तो उस समय मेवात में कोई ही ऐसा घर होगा, जहां चूल्हा जला हो। प्रत्येक व्यक्ति बहुत उदास और गमगीन था और अब क्या होगा, इस बारे में चिंतित था। परंतु हमारे रहनुमा बुजुर्गों ने इस निराशा से हमें निकालने का काम किया।
अब हम गांधी ग्लोबल फैमिली और आगाजे दोस्ती के काम से जुड़े हैं ,जो भारत और पाकिस्तान की जनता के बीच दोस्ती और भाईचारे का एक आंदोलन है। महात्मा जी का कहना था कि देश भले बंट जाए,पर दिल नहीं बंटने चाहिए💐💐💐💐💐
एस. पी. सिंह (इतिहास विद एवं चिंतक)
मेवातियों ने सदा हिंदुस्तान और
हिंदुस्तानियत की रक्षा के लिए बलिदान दिए हैं। इसके बावजूद भी वे सांप्रदायिकता से त्रस्त रहे हैं। यहीं के एक गउपालक पहलू खान और रकबर को उन्मादी भीड़ ने गौ रक्षा के नाम पर कत्ल कर दिया। उन्हें इस बात का फक्र है कि है कि उसके प्रतिकार के लिए वे स्वयं पहलू खान के परिवार को एक गाय भेंट करने उनके गांव आए थे। मेवात से उनके संबंध न केवल पुराने हैं, अपितु आत्मीय एवं गहरे भी हैं। मेवात वीरभूमि है और इसे सलाम करने के लिए आज हम आए हैं।💐💐💐💐💐
अशोक कपूर (गांधी ग्लोबल फैमिली के मुख्य प्रवक्ता एवं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष)
कोई तो ऐसा महत्वपूर्ण कारण अवश्य रहा होगा जिसकी वजह से महात्मा गांधी अपने व्यस्ततम कार्यक्रमों में से समय निकाल कर मेवात आए। हम मेवात के मुद्दों से जुड़कर काम करना चाहते हैं फिर चाहे वह सड़क का हो, यूनिवर्सिटी का अथवा कोई अन्य। गांधी ग्लोबल फैमिली आपके हर कदम के साथ कदम मिलाकर चलेगी । यह गांधी का मेवात है और मेवात के गांधी थे । इन सारे मुद्दों के साथ काम करने की बेहद आवश्यकता है ।
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रीता धर्मप्रीत
(समता उत्क्रांति की संस्थापिका)
महिलाओं की आबादी यदि राजनीति, समाज एवं अन्य उपयोगी चेतना से दूर है तो इस आज़ादी के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते । वे चाहती हैं कि 8 मार्च ,महिला दिवस को महिलाओं का एक बड़ा कार्यक्रम मेवात में किया जाए। मेवात में भी अन्य स्थानों की तरह महिलाओं की उपस्थिति तो बदली है परंतु स्थिति नहीं बदली। बेशक उनकी महिलाएं अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी पदों पर हैं परंतु वास्तविक स्थिति में महिलाएं चूल्हे चौके और परिवार के पालन पोषण से नहीं निकली। हमें स्थितियों को बदलने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखनी चाहिए ।
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संजय कुमार
(कौमी एकता मंच )
मेवात (नूंह) जो हरियाणा में है लेकिन कभी हरियाणा का हिस्सा नहीं माना जाता, जिसे मिनी पाकिस्तान कहकर दुष्प्रचार किया जाता है। अतिविकसित हरियाणा को देखकर और मेवात के पिछड़ेपन को देखकर लगेगा भी नहीं कि हम हरियाणा में हैं, दिल्ली से मात्र 100 किमी और गुड़गांव से 60 किमी की दूरी पर स्थित जिला नूह को देखने से लगता है कि हम देश के किसी कबायली इलाके में पहुँच गये हैं। जहाँ कुदरत ने भरपूर सुंदरता और उपजाऊ मिट्टी बख्शी है लेकिन देश के हुक्मरानों ने इसे उपेक्षित ही रखा। जहाँ सरकारी कर्मचारी तबादले को काले पानी की सजा के रूप में देखते हैं। सरकारी अध्यापक 10000 रुपये अधिक देने पर भी पोस्टिंग नहीं चाहते। जबकि इस इलाके के लोगों की मेहमाननवाजी और अपनापन लाजवाब है। जहाँ खेती की सिंचाई के लिए पानी भी टैंकरों से खरीदना पड़ता है। लगातार मांग करने के बावजूद भी सरकार द्वारा सड़क को दोहरा नहीं किया गया जिसकी वजह से हर रोज सड़क हादसों में कोई न कोई मरता रहता है।
इसी मेवात में कल 19 दिसंबर को मेवात विकास सभा द्वारा बड़कली, नगीना ( नूह ) में आयोजित मेवात दिवस समारोह के कार्यक्रम में शामिल होने का मौका प्राप्त हुआ।
आजादी के बाद उपजे साम्प्रदायिक विद्वेष के हालातों से जब भारत से मेव ( जो अलग अलग समय में इस्लाम से जुड़े लेकिन आज तक हिन्दू और इस्लाम की मिली जुली परम्पराओं का पालन करते हैं जिनसे इस इलाके का नाम मेवात पड़ा जो हरियाणा के नूंह से लेकर राजस्थान के अलवर और यूपी व दिल्ली के कुछ इलाकों तक विस्तारित है) समाज के लोग पाकिस्तान पलायन करना शुरू कर दिए थे। उसी तरह पाकिस्तान से हिंदू भारत की तरफ पलायन कर रहे थे। भाईचारे की भावना को कायम रखने के लिए व मेवातियों के पलायन को रोकने के लिए महात्मा गाँधी आज ही के दिन 19 दिसंबर 1947 को यहाँ के घासेड़ा गाँव मे पहुँचे थे व मेव कौम को भारत रुकने के लिए कहा था। गौरतलब है कि मेवों ने आजादी की लड़ाई में बढ़चढ़ कर भाग लिया जिसकी सजा उन्हें 10000 मेवों की अंग्रेजों द्वारा हत्या और कई गांवों को जलाये जाने के रूप में मिली। आज भी मेव एक देशभक्त कौम है जबकि कुछ कट्टरपंथी ताकतों द्वारा उन्हें आतंकवादी, पाकिस्तान परस्त के रूप में प्रचारित कहकर बदनाम किया जाता है।
कल के कार्यक्रम में गांधी ग्लोबल फैमिली के महासचिव राम मोहन राय जी, सामाजिक विचारक व कई संगठनों में कार्यरत सुरिंदर पाल सिंह, जनाधिकार संघर्ष मंच सदस्य व युवा सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप के साथ शिरकत कर और रास्ते में गहन सामाजिक चर्चाओं से ज्ञानवर्धन किया। मेवात की धरती पर लेखक व मेवाती समाज के गौरव सिद्दीक अहमद मेव जो सिविल से बीटेक हैं, मेवाती विकास सभा के वर्तमान अध्यक्ष सलामुद्दीन व दिल्ली से गांधी ग्लोबल फॅमिली से अशोक कपूर, अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की प्रपौत्रवधू समीना शोएब खान व अन्य साथियों से मिलने का मौका मिला। हम मेवाती लोगों के प्यार और मेहमाननवाजी के लिए उनके शुक्रगुज़ार हैं और उनकी इस लड़ाई में अवामी एकता मंच की तरफ से सहयोग का आश्वासन देते हैं।💐💐💐💐
सद्दीक अहमद मेव( सरपरस्त ,मेवात विकास सभा/प्रसिद्ध इतिहासकार)
मेवात विकास सभा ने हर साल की तरह इस साल भी मेवात दिवस नगीना में अशोका गार्डन में मनाया।
आज के प्रोग्राम में मुख्य अतिथि हिंदुस्तान के आखिरी सुलतान, 1857 की क्रांति के सिपहसालार जनाब बहादुर शाह ज़फ़र की परपोत्र वधु समीना बेगम जी रहीं।
समारोह की अध्यक्षता जनाब राम मोहन राय एडवोकेट ने की जोकि गांधी ग्लोबल फैमिली के महासचिव और आगाज ए दोस्ती प्रोग्राम के कॉर्डिनेटर हैं।
रीमा बरुआ जी और रीता धर्मरीत जी भी प्रोग्राम में अतिथि के रूप में शामिल रहीं।
आज का समारोह मरहूम रतन लाल तंवर जैताका को समर्पित था जिनको की मेवात रत्न से नवाजा गया।
मरहूम लेखुराम लंबरदार साकरस को सद्दल्ला अवार्ड से सम्मानित किया गया जिसको की लंबरदार के पोते रवि तनेजा जी ने उनकी जगह लिया ।
सभा ने अपने फाउंडर प्रधान मरहूम जनाब सुलेखां जी मेवात गौरव और फाउंडर महासचिव अस्मत खान खानपुर घाटी को भी मेवात गौरव से सम्मानित किया।
अपने सबसे सीनियर साथी S D खान रेहना की सम्मानित किया।💐💐💐💐
Mewat : A Jewel in the crown of India 🇮🇳
It was our great fortune & honour to be invited to Mewat Diwas (Founder's Day)19th December 2021organized by Mewat Vikas Sabha held in Nagina (Nuh).
On this beautiful occasion, Janab Siddiqui Ahmed Meo presented a book authored by him .
Thanks to the people of mewat salamudeen Meo ji & Abdul Sattar Nagina ji for warm welcome by their families ,thier love nd Compassion overwhelmed. We felt as if we knew them from years ...the beautiful bonding nd precious memories we got from mewat Families will never be forgotten 🙏🌹🙏
Gandhi Global family & team of URI came as guest but now we are family, thank you is a small word but your love & compassion will soon bring us together for the vision people of mewat has seen for better tomorrow. 🙏
Gandhi believed: "The best way to predict the future is to invent it "
The great significance of this little village tucked in Haryana & it’s people dates back to the poignant days of partition of India when large migration of populations was happening on both side of the borders.
The Muslim population of Mewat too intended to migrate to Pakistan when on 19th December, 1947 the father of nation, Mahatma Gandhi went to Ghasoda village & urged the native Muslims called the Mews not to leave their birthplace. He wanted to send a strong message of brothehood & India's stance of secularism under which he envisioned India to be the home of all people, irrespective of their caste, creed or religion all through the world.
Mahatma Gandhi was the epitome of humanity and all through his life, he inspired brotherhood, kindness towards fellow human beings & humanity to the people of India. Obviously, he was a big thorn in the roadmap of radical people who wanted to divide India on any pretext. During his lifetime & so many years after his death, those radical elements continue their efforts to diminish his image by circulating lies & half truths about him. However, all their efforts are futile as who can extinguish the beacon of truth that our Bapu was? Till there is even one human alive on this planet, Mahatma Gandhi will always be remembered & celebrated.
The people of Mewat rose above their fears & apprehensions about their lives in a partitioned India & on the call of Bapu decided to stay in India firmly attached to their soil.
Mewat Diwas is a great celebration of the unity of India & her people over the nefarious intents of the extremists. The people of Mewat rejected hate & embraced brotherhood. Truth won over lies despite powerful evil forces perpetuating them.
That’s why we live & breathe the mantra of Satyamev Jayate.
Jacinta Reema Barua
President
(Support4EnlightenmentFoundation)💐💐💐💐
प्रदीप कुमार(युवा कोऑर्डिनेटर, ब्रेक थ्रू)
मेवात विकास सभा द्वारा नगीना ( नूह ) में आयोजित मेवात दिवस समारोह के कार्यक्रम में शामिल होने का मौका प्राप्त हुआ। इस खूबसूरत मौके पर सिद्दीक अहमद मेव जी ने अपने द्वारा लिखित एक पुस्तिका भेंट की। हम सिद्दीक साहब व मेवात विकास सभा के इस प्यार, मान व सम्मान के आभारी रहेंगे।
आजादी के बाद से ही भारत से मुश्लिम समाज के लोग पाकिस्तान पलायन करना शुरू कर दिए थे। उसी तरह पाकिस्तान से हिंदू भारत की तरफ पलायन कर रहे थे। भाईचारे की भावना को कायम रखने के लिए व मेवातियों के पलायन को रोकने के लिए महात्मा गाँधी आज ही के दिन 19 दिसंबर 1947 को यहाँ के घासेड़ा गाँव मे पहुँचे थे व मेव कौम को भारत रुकने के लिए कहा था।
असल में यही मानवता है, यही इंसान होने का मतलब है अगर आपने इंसानियत का पाठ नही पढ़ा तो आप दूसरे पर अत्याचार करते है। वह अत्याचार फिर किसी भी आधार पर हो सकते है ओर जो इन अत्याचारों को रोकने के लिए प्रयास करता है अर्थात अमन, भाईचारे की बात करता है तो वह अत्याचारियों के लिए उनके काम मे बाधक बन जाता है और उसे समस्त दुनिया के सामने बदनामी का मुखोटा पहनाने के लिए भृमक प्रयास किये जाते है। गाँधी ने इन अत्याचारों को अहिंसा के दम पर, भाईचारे के दम पर रोकने का प्रयास किया तो अत्याचारियों ने उनको दुनिया के सामने उनकी तस्वीर बदल कर पेश करने की कोशिशें की जो आज भी जारी है। युवाओं के मन मे गाँधी या अन्य तमाम लोगों की गलत धारणाएं बनाई गई। लेकिन क्या यह सब करने से अत्याचारी लोग सच को हमेशा के लिए छिपा सकते है।
वह नही छिपा सकते क्योंकि झूठ पर टिकी चीजें ज्यादा समय तक नही चलती। सत्यमेव जयते।
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प्रदीप बंसल
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समीना खान (आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की प्रपौत्रवधू)
18 57 की पहली जंग ए आजादी पर मेवात के लोगों ने जो बलिदान दिए वे युगों युगों तक याद रखे जाएंगे। इस क्षेत्र का ऐसा कोई पेड़ नहीं बचा जो स्मृति स्थल नहीं है और जहां क्रांतिकारियों को लटका कर फांसी नहीं दी गई हो। यह मेवात के क्रांतिकारियों की ही पहल थी कि उन्होंने आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को दिल्ली के तख्त पर बिठाया। भारत में रह रहा समूचा मुगल परिवार मेवाती लोगों के प्रति अत्यंत आभारी है।
आज के प्रोग्राम में ABS फाउंडेशन के द्वारा चलाए जा रहे प्रो कबड्डी लीग के भी 4 मैचों का आयोजन किया गया।
आज के प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए सभी साथियों का , सामाजिक , राजनेतिक, धार्मिक, पत्रकार, नौजवान लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद।
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