*मुजीब, गांधी और टैगोर किस के निशाने पर* बांग्लादेश के घटनाक्रम से अनेक कयास लगाए जा रहे हैं. पर यह तो निश्चित है कि यह कोई इंकलाब तो नहीं है जैसा कि कई लोग युवा आक्रोश के नाम पर इसे एक नए अध्याय की शुरुआत बता रहे है. राजनीतिक विज्ञान के एक विद्यार्थी के नाते मैं अपनी सन 2018 में सम्पन्न बांग्लादेश यात्रा के बारे में कहना चाहूँगा. जैसा कि हम जानते हैं कि भारत आज़ादी और विभाजन से पहले पूर्वी बंगाल, आज का बांग्लादेश, साम्प्रदायिकता की आग में झुलस रहा था. दोनों समुदायों के जान माल के नुकसान और नफरत चरम सीमा पर थी. तब महात्मा गांधी वहां गए थे और लगभग साढ़े चार महिने नोआखाली और उसके आसपास के गांवों में पैदल घूमे थे. एक चर्चित चित्र जिसमें बापू एक खेत की पगडंडी को अपनी लाठी लिए पार कर रहे है, उसी समय का है. हमने भी अपनी यात्रा में उन सभी स्थानों पर जाने का सुअवसर प्राप्त किया जहां जहां उनकी चरण धुली बिखरी हुई थी. वहीं हमें वे दो नौजवान मिले जो बापू के साथ कौतूहल वश घूमते थे. मोहम्मद जीतू मियां और अब्...
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