सईदा आपा

ईद मुबारक -3
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"सईदा आपा"
ईद के दिन सईदा आपा के जामिया मिलिया ,दिल्ली स्थित घर जाकर उन्हें मुबारकबाद देकर आशीर्वाद लेने का सिलसिला पिछले 20 साल से बदस्तूर है । इस दौरान ,भारत सरकार के भिन्न -२ आयोगों की सदस्य रह कर उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य के रूप में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये उनके काम सदा स्मरणीय रहेंगे ,वहीं वंचित महिलाओ के अधिकार की वे सदैव प्रवक्ता रही । मुस्लिम महिलाओं की मूक आवाज की वे वाणी बनी ,तथा  अन्याय तथा अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष की योद्धा । योजना आयोग का नाम आज नीति आयोग रखो या कुछ और पर यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि उनके इस के सदस्य रहते योजनाओ का लाभ अंतिम जन तक पहुचने का बेहतर काम हुआ । महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना तथा ऐसे  अनेक ठोस काम उनके ही कार्यकाल में हुए । देश में वे उन कुछ गिनी चुनी महिलाओ में है जिनका सम्मान हर राजनीतिक दल , सामाजिक संस्थाओं व सामान्य जन में उच्चतम शिखर पर है । देश - विदेश में प्राप्त उच्च शिक्षा , ख्याति प्राप्त अनेक अंतराष्ट्रीय संस्थानों एवम विश्वविद्यालयो में अध्यापन तथा उच्च पदों पर आसीन लोगो से मेलजोल तथा स्वयम का आकर्षक एवम आसाधारण व्यक्तित्व कहीं भी उनकी व्यक्तिगत विनम्रता को प्रभावित नही करता । उनका परिवार भी कोई  परिचय का मोहताज नही है  । मेरे पिता मास्टर सीता राम जी सैनी,  मेरे बचपन मे हमेशा उनके पिता श्री गुलाम सैय्यदेन के बारे में बताते थे कि वे पानीपत के है  और  भारत सरकार में एजुकेशन सेक्रेटरी के पद पर आसीन है । उनका कहना होता कि यह न समझो कि छोटे कस्बे का कोई आदमी उच्च स्थान प्राप्त नही कर सकता । उनके वे 'आइकॉन' थे । बाद में धीरे -२ , उन्होंने ही मुझे हमारे ही शहर में जन्मे विश्वविख्यात शायर व समाज सुधारक ख़्वाजा अल्ताफ हुसैन 'हाली' के व्यक्तित्व एवम शायरी का परिचय दिया । मेरे पिता ही मेरे वे टीचर थे जिन्होंने ख्वाजा अहमद अब्बास और पानीपत के दूसरे बुजर्गों के बारे में बताया । मेरे लिये वे एक ऐसे ' एंसीयक्लोपीडिया' थे जिन्हें सब कुछ पता था और वे वह कुछ मुझे बताना चाहते थे । उन्होंने ही ' सईदा आपा'  की सरसरी जानकारी मुझे दी थी कि वे  'हाली पानीपती' की प्रपौत्री है और कही दिल्ली में रहती है ।
    समय बीतता गया और अब आया साल 2007  ,जिस साल के  मार्च महीने में एक सात सदस्यीय दल ,स्व0 दीदी निर्मला देशपांडे जी के नेतृत्व में कराची(पाकिस्तान) गया  जिसमे दीदी ने खास स्नेह की वजह से मुझे भी  शामिल किया । उस प्रतिनिधिमंडल में जाकर ,मैंने तो अपना पूरा समय सन 1947 में पानीपत से कराची गए लोगो के बीच बिताया और वहाँ सदा चर्चा रही ' सईदा आपा' की ही । डॉ ज़की हसन , डॉ मुबस्सर हसन , रफत अली ,बी एम कुट्टी , करामत अली डॉ अनवर अब्बास सभी तो अक्सर 'आपा ' के ही बारे में बात करते थे और अब मेरा वह परिचय जो मेरे पिताजी ने उनके बारे में दिया था और गहरा होता चला गया । वापिस लौट कर जो मैने पहला मुख्य काम किया वह 'आपा' से मिलने का किया । तब वे राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य थी । मैंने उनकी सहयोगी श्रीमती कुसुम नौटियाल के माध्यम से उनके दफ्तर में ही मुलाकात की पर मैं तो आवाक रह गया जब मुझे पता चला कि स्व0 दीदी की वजह से वे मुझे जानती है  और यही से शुरू हुई वह यात्रा जो अब तक अविरल गतिमान है । 
 आपा का मुझ पर सदा विशेष स्नेह रहा शायद कुछ इस वजह से भी कि उनके ' बाबा ए वतन' पानीपत का हूं । इस दौरान वे कई दफा अपने शहर पानीपत आयीं और मुझे भी उनके साथ दोबारा कराची और फिर कश्मीर जाने का सुअवसर मिला । यह उन्ही के प्रयास थे आज़ादी के पचासवें वर्ष में पाकिस्तान में बसे पानीपतीयों का एक प्रतिनधिमण्डल  अपने घर आया जिसे उन्होंने 'होम कमिंग आफ्टर फिफ्टी इयर्स' का नाम दिया । यह भी उन्ही की प्रेरणा थी कि उनकी अध्यक्षता में ' हाली पानीपती ट्रस्ट'  की स्थापना , हाली साहब के जीवन और विचार प्रचार - प्रसार के लिये की गई  जिसने न केवल उनकी उर्दू में लिखी पुस्तकों का देवनागरी लिप्याअंतरण का काम किया वही हिंदी भाषा मे ' हाली की चुनिंदा नज़्में,'  ' बच्चों के हाली' ,  ' युवाओं के हाली '  ' महिलाओ के हाली'  तथा  'दास्तान ए हाली'   पुस्तको का प्रकाशन भी किया । 'हाली से दोस्ती''  से शुरू हुए सफर को ' हाली मेला' तक ले जाने का काम उन्ही की रहनुमाई में जारी है जिसमे सामान्यजन से लेकर भारत के राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति तथा अन्य उच्चस्थ गणमान्य व्यक्तित्व भागीदार बने ।
  सईदा आपा मेरी बड़ी बहन की तरह ही मुझ से व्यवहार करती है , शाबाशी देने से लेकर कठोर डांटने तक का । मेरे सभी बच्चे भी उन्हें 'बुआ जी' ही कह कर सम्बोधित करते है तथा भतीजे - भतीजी की तरह अपना पूरा अधिकार उन पर रखते है ।
    ईद मुबारक के लिये उनके घर जाना तथा सम्मान की अभिव्यक्ति करना मेरे लिए एक औपचारिकता  ही नही अपितु आध्यात्मिक अनुभूति है जो हज़रत बू अली शाह कलन्दर से शुरू हो कर उनके पितामह ख़्वाजा अल्ताफ हुसैन 'हाली पानीपती' की विरासत को संजो कर उन तक पहुंची  है । 
 डॉ सईदा हमीद मेरी बड़ी बहन  ही नही एक मार्गदर्शक व प्रेरक भी है ।
ईद मुबारक -सईदा आपा ।
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राम मोहन राय
(Nityanootan broadcast service)
18.06.2018

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