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Showing posts from June, 2022

Dr A T Aryaratne (श्रीलंका के गांधी)

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*श्रीलंका के गांधी-डॉ ए टी आर्यरत्ने*              सर्वोदय का अर्थ सबके उदय के साथ-साथ सबके जागरण का सूत्र देने वाले महान शिक्षक डॉ ए टी आर्यरत्ने ,विश्वस्तर पर गांधी विचार के न केवल एक साधक है वहीँ अपने जीवन तथा कार्यों से उस विचार के प्रचारक एवं प्रसारक भी हैं। उनके सानिध्य में बैठ कर कुछ सीखना, जानना और समझना किसी भी व्यक्ति के लिए उसके जीवन की एक सर्वोत्तम कृति हो सकती है। बापू की तरह उनका भी जीवन उनका दर्शन है।    अपने देश में उन्हें "श्रीलंका के गांधी " के रूप मे सम्मान प्राप्त है। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी तथा उनके कार्यो की मान्यता एवं सम्मान है, जिसका प्रमाण यह भी है कि उन्हें अनेक पुरस्कारों से अलंकृत किया गया है।        मेरी गुरु-माँ दीदी निर्मला देशपांडे जी से अक्सर उनके बारे मे प्रशंसा भाव सुने थे। एक दो बार कोशिश भी हुई कि दीदी वहां जाकर उनके कार्यों को देखें जबकि अपने भारत आगमन पर वे दीदी से हर बार मिलते ही थे, तब उनका आग्रह रहता कि दीदी भी श्रीलंका जाकर उनके कार्यो को देखें परंतु यह अवसर न आ सका। सन 2008 म

स्वामी आनंद रंक बंधु

स्वामी आनंद रंक बंधु हमारे शहर पानीपत के एक प्रतिष्ठित बुज़ुर्ग ही नही अपितु एक उत्कृष्ट सामाजिक कार्यकर्ता ,लेखक , कवि ,चिंतक व विचारक भी थे ।उन्हें "स्वामी "इसलिये कहते थे क्योकि वे एक कबीर चोरे के गद्दीनशी थे व  "रंकबन्धु" उनका तखलुस था ।वे गांधी विचार से प्रेरित थे परिणामस्वरूप उन्होंने अपने पूरे जीवन को इसी विचार के प्रचार -प्रसार के लिये समर्पित किया था अंततः वे संत विनोबा भावे के भूदान आंदोलन मे एक कुलवक्ति कार्यकर्ता के रूप मे शामिल हो गए ।तत्कालीन पंजाब के वर्तमान हरयाणा मे स्वामी जी के ही कार्यो का परिणाम था कि भूदान की जमीन का सही बटवारा व व्यवस्था हो सकी ।मेरी माँ ,जो की स्वयं भी एक सामाजिक कार्यकर्ता थी व भूदान आंदोलन से जुड़ी थी ,की वजह से हमारे पूरे परिवार का स्वामी जी के परिवार से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा । स्वामी जी मेरी माँ को अपनी बहन मानते थे इसीलिये वे  हमारे 'मामा'थे ।वास्तव मे वे इस सम्बोधन को पूर्ण सार्थक करते थे यानी 'डबल माँ' ।अपने बचपन से ही मैं उनके पास जाता तथा अपनी आदत के मुताबिक एक अध्यापक की भांति वे मुझे अच्छी-2 प्रेरणादायक क

मेरी मम्मा सबकी माँ मोहिनी गिरि को विनम्र श्रद्धांजलि Mohini Giri

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  मेरी मम्मा,सबकी माँ-मोहिनी गिरि      आयु में ही नहीं अपितु मातृत्व भरे वात्सल्य, करुणामय व्यवहार तथा स्नेहमय आचरण से परिपूर्ण हम सबकी एकमात्र माँ मोहिनी गिरि है. एक सम्पन्न परिवार में जनमी, उच्च शिक्षा प्राप्त तथा मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत एक स्वतंत्रता सेनानी राजनीतिक परिवार में विकसित यदि कोई व्यक्ति किसी को बेटा कह कर संबोधित करे तो वह कितना सौभाग्यशाली होगा, इसका वर्णन असम्भव है, पर एसे गौरवशाली लोगों में मेरी गिनती भी शुमार है.        उनके दर्शनों का सर्वप्रथम मुझे जब हुआ जब मैं कुल 14 वर्ष का था और अपने शहर पानीपत में भारतीय बाल सभा का संस्थापक अध्यक्ष था. मेरे सामाजिक-राजनीतिक पारिवारिक वातावरण ने मुझे अपनी उम्र से अधिक प्रौढ़ता और समझदारी दी थी और मैं अपने चंद दोस्तों के साथ चल पड़ा था भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ वी वी गिरि से मिलने राष्ट्रपति भवन, दिल्ली और वहीँ दर्शन हुए थे राष्ट्रपति जी की प्रोटोकोल अधिकारी और उनकी पुत्रवधू श्रीमती मोहिनी गिरि जी के. उनकी मनमोहक आकर्षक छवि आज भी हम सभी के मन मष्तिष्क

Amrit-mahotsav-of Independence of india in USA 🇺🇸

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भारतीय स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के  उरबाना campaign के अंतर्गत आज  प्रसिद्ध चिंतक एवं विचारक डॉ0 डब्ल्यू इ बी  दु  बॉयस की पुस्तक "The  World & Africa Color and Democracy " के दूसरे चैप्टर "The White Masters of the  World" का पाठन युवा शान्तनु घोष द्वारा किया गया.       इस पाठ में  प्रथम विश्व युद्ध की स्थिति तथा उसके बाद के विश्व को बताया गया था.  शासक वर्ग  आज़ादी तथा लोकतंत्र की बात तो करता था परंतु य़ह दोनों शब्द उसके शोषण और लूट तक ही सीमित थे.  शब्दों की यह  लफ्फाजी उच्च वर्ग की सर्वोच्चता को ही मान्यता का माध्यम थी.  एसे  वर्गों का मानना था कि  रंग- नस्ल का  घिनौना रूप  गुलामी को वे इश्वर प्रदत्त मानते और इसकी अनिवार्यता को एक वरदान.  एसे समय में  अफ्रीका से काफी संख्या में मजदूरों को अच्छे सपने  और  वायदे देकर अमेरिका लाया गया पर यहां लाकर उनको रंगभेदवाद पर  आधारित असमानता का सामना करना पड़ा.  उन सभी को उच्च वर्ग जो सफेद चमड़ी की श्रेष्ठता पर आधारित था, उनकी सुख संपदा को ही बढाना था. गौरी चमड़ी के सुख- सम