पानीपत के बुजुर्गो पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
हाली पानीपती ट्रस्ट तथा अन्य सामाजिक संस्थाओं यथा ज्ञान–विज्ञान समिति, दिशा ट्रस्ट, निर्मला देशपांडे संस्थान, शहीद यादगार समिति, स्काउट्स एंड गाइड डिस्ट्रिक्ट कमेटी, यूनाइटेड रिलीजियस इनिशिएटिव, ख़्वाजा अहमद अब्बास मेमोरियल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आज दिo 27 नवंबर को प्रात: 10:30 बजे से सांय: 5:30 बजे तक स्काईलार्क टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स के सभागार मे बुजुरगान– ए– पानीपत विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें महाभारत काल से अब तक के पानीपत के इतिहास एवम यहां की सूफ़ी - भक्ति परम्परा तथा उनके संदेश पर व्यापक चर्चा हुई।
इस अवसर पर देश विदेश से लगभग 100 प्रतिनिधि तथा अनेक विश्वविद्यालयों तथा उच्च संस्थानों के ख्याति प्राप्त विद्वान लेखक तथा स्कॉलर ने हिस्सा लिया।
वर्ष 1236 में हेरात के सूफी फ़कीर ख्वाजा अब्दुल्ला अंसारी की दुआओं तथा संदेश को संजोए एक पुस्तक का अनुवाद तत्कालीन वायसराय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य सरदार सर जोगेंद्र सिंह तथा ब्रिटिश स्कॉलर ऑर्थर अर्बरी ने 1939 में किया था और जिसका प्रकाशन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भूमिका के साथ हुआ था। आज पीर– ए –हेरात ख़्वाजा अब्दुला अंसारी की वंशज व योजना आयोग की भूतपूर्व सदस्य पद्मश्री डाo सईदा हमीद के परिचय के साथ उसी पुस्तक के पुनर्प्रकाशित संस्करण का विमोचन किया गया।
आज के सेमिनार में चार सत्र थे।
पहले सत्र में पुस्तक का विमोचन सरदार सर जोगेंद्र सिंह के पौत्र
सरदार रूपेंद्र सिंह, श्रीमती जाकिया जहीर (प्रदोहित्री हाली पानीपती, पदमश्री डाo सईदा हमीद, चौधरी बीरेंद्र सिंह और श्री रवि सिंह निदेशक, स्पीकिंग टाइगर प्रकाशन के वक्तव्यों और पुस्तक के परिचय के साथ हुआ। सत्र की शुरुआत हाली पानीपती ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री राममोहन राय द्वारा पानीपत के इतिहास और इसकी रूहानियत में योगदान पर विस्तृत वर्णन के साथ हुई। इस सत्र में मंच का संचालन उमंग स्कूल गन्नौर के प्रिंसिपल एवम् दिशा ट्रस्ट के श्री मुकेश दिगानी द्वारा किया गया था और धन्यवाद प्रस्ताव शहीद यादगार समिति के श्री राजेंद्र छोकर द्वारा रखा गया।
सेमिनार का दूसरा सत्र चौधरी बीरेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इस सत्र में प्रतिष्ठित विद्वान आचार्य राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पर्सियन स्कॉलर प्रोo अख्लाक अहान, सुश्री पूर्वा भारद्वाज, संस्थापिका रसचक्र, लेखिका एवम् नाटककार, जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से उर्दू और फ़ारसी के स्कॉलर प्रोo मुस्ताक तिजारवी, शांतिकर्मी एवम् लेखक श्री रवि नितेश, और यूनाइटेड रिलीजियस इनिशिएटिव की डॉ. कविता कपूर ने हिस्सा लिया। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपने वक्तव्य में देश में बढ़ती हुई कटुता और नफ़रत पर गहरी चिंता जताई और विविधता के सम्मान पर जोर दिया। इस सत्र का संचालन पंचकूला से श्री सुरेन्द्र पाल सिंह संयोजक नित्यनूतन वार्ता एवम् लेखक द्वारा किया गया।
इस सत्र का समापन हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति से श्री मदनपाल छोकर के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
दोपहर के भोजन के बाद गांधी ग्लोबल फैमिली के महासचिव श्री अशोक कपूर की अध्यक्षता में पानीपत सत्र में कनाडा से आए गणितज्ञ डाo कृष्ण लाल मेहरा, इतिहास के प्रो. डॉ. दलजीत सिंह, मेवात से इतिहासकार श्री सादिक अहमद मेव, कनाडा से आए मानवाधिकार एडवोकेट
श्री यावर हमीद ने अपने वक्तव्य रखे। जिसमे संत जिनेदर वर्णी, स्वामी गीतानंद जी महाराज, हाली पानीपति, मास्टर नन्द लाल, सोम भाई, लाला देशबंधु गुप्ता और ख्वाजा अहमद अब्बास के जीवन और संदेश पर व्यापक चर्चा हुई ।
सेमिनार का आखिरी सत्र संगीतकार शुभेंदु घोष द्वारा अमीर खुसरो, बहादुरशाह ज़फ़र, फैज अहमद फैज, दुष्यंत कुमार की रचनाओं के गायन के साथ हुआ।
राममोहन राय
हाली पानीपती ट्रस्ट
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