प्रिय छोटी बहन पुष्पिता अवस्थी की भावाव्यक्ति (Dr Pushpita Awasthi's expressions)
काश हम ऐसे बन पाएं।एक बहन के अपने भाई के प्रति स्नेह भाव :-
"चिंतन की चेतना- श्री राम मोहन राय
चिंतन का चैतन्य पुरुष चेतना से
श्रीराम की मर्यादाओं के साधक
चित्त से मंगल आराधक मनुष्यत्व के मोहना
राम मोहन वार्ताओं में साधते हैं- श्रीकृष्ण की राधे प्रीत
स्वदेश अनुरंजिनी स्वाधीनता की भारतीय भू माटी से
करते हैं - अभिषेक
आत्म- मानस के धवल अंतरंग भाल का
शब्दों की माटी में
रांधते हैं- सोंधे अर्थ
बनाते हैं - माटी से चंदन
स्व समर्पण से
देते हैं - उन्हें
सर्वस्व - आलोक
सुहृद अभिनंदन
भेदों से परे
रचते हैं - अमेद की सजग आचरण - संहिता समरसता के सुमधुर मधुर लय में
अन्याय और अयोग्यता के तमस को
सत्य - अहिंसा बोध से छांटते हुए
साकार करते हैं - विवेक में
नीलकंठी गुण-धर्म बगैर किसी कोलाहल के
गटकते रहते हैं- विश्व हलाहल
गांधी दर्शन को
वैश्विक संस्कृति शक्ति बनाने निमित्त
भार्या कृष्णा को साथ लिए
उत्कर्ष के कंधे पर हाथ रखे हुए
विचर रहे हैं देश- दुनिया अपनत्व का एका बनाते हुए
बंधुत्व का राग अलापते हुए
निज जीवन के स्वप्निल रंगों को
राष्ट्र धर्म में विसर्जित कर ध्वजा के तीन रंगों से रचाते है
अपने जीवन की रंगोली (गांधी ग्लोबल फैमिली में घोलते हैं - खुद को सह परिवार)
खुद को परिवार में परिवार को गांधी ग्लोबल फैमिली में
और गांधी ग्लोबल फैमिली को
विश्व की फैमिली बनाते हुए
"वसुधैव कुटुंबकम"दर्शन को
बना रहे हैं - गांधी दर्शन की प्राण शक्ति
ईश्वराल्लुह
एकमेक हैं - उनकी वाणी गूँज में
राम मोहन की तरह
दो भाव दो शक्तियाँ समाहित हैं - हाथों की तरह
कृतित्व में
सर्वस्व समन्वय की इतिश्री
जिसमें घोलते हैं - सपत्नीक
और करते हैं - खुदी को बुलंद
कि खुदा बंदे से आकर पूछे ... कि बता तेरी रजा क्या है?
हृदय की सुचिंतित शब्द रागिनी से
ओझल करते हैं - जीवन के बेसुरे राग
बिना पदचाप की है - उनकी गति
बिना आवाज के हैं - उनके भाष्य
विरोधों की सारी विसंगतियों को
बगैर झंझा के करते हैं - वाणीबद्ध
भेद - रहस्यों के
अन्तरसूत्रों को
जानते - समझते हुए
मूक बधिरों की तरह रहते हैं - मौन
क्योंकि
जानते हैं - राममोहन चुप्पी भी है - सशक्त पथ सारी ऐषणाओं से परे दुनिया के असफल हो चुके
शांति पदों के बावजूद
चेतना की देह में
चिंतकों की तरह
विचारों के पावों से
बनाते हैं पगडंडियां
जो जोड़ेगी - संपूर्ण विश्व को
करेंगी - युद्ध के विरुद्ध सरहदों की सीमाओं के बीच ही नहीं
बल्कि
मनुष्य - मनुष्य के बीच देश- जाति- धर्म- वर्ण- भाषा के बीच
घटित हो रही है -
साजिरों अहर्निश
षड्यंत्रों ने
पहन लिया है -
लुभावना मुखौटा
शतरंज की मोहरों की तरह
हो गया है - मनुष्य चालों की प्रतीक्षा में चाल बदलता
विश्व के सत्ताधारिओं का नहीं है - खुद पर वश।
फरेब ही समझदारी का पर्याय बन गया है संवेदनशीलता और बौद्धिकता के बदल गए हैं - प्रतिमान
वकील राममोहन राय
चंचल हुए सुनामी - समय में
षड्यंत्रों के विरुद्ध
चलते हैं - नैतिक चालें मानवीय मोहरों के पक्ष में
रचाते हैं - अहिंसा की सत्यवादी मोहर
कभी श्री हरीशचंद्र की तरह
कभी श्रीराम की तरह और कभी गांधी की तरह गांधी के राम को समझते हुए श्री राम मोहन राय
मोहनदास करमचंद गांधी के दर्शन सिद्ध विरासती राममोहन राय, गांधी की तरह
कर्म से वकालत की जीविका पर निर्भर जीवन को दर्शन की वकालत में जीते हुए
भजते हैं - श्रीराम को गांधी के मर्यादा पुरुषोत्तम राम को
राम मय होकर
और विश्व यायावरी में गाते हैं -
सियाराममय सब जग जानी
करहुँ प्रणाम जोरि जुग पानी
और तभी कहते हैं - सबसे
रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम"
प्रो. डॉक्टर पुष्पिता अवस्थी
अध्यक्ष - आचार्यकुल अध्यक्ष - हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन
ग्लोबल अंबेसडर - एम.आई. टी. वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी
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