घुमकड़ की डायरी-3 Madison, Wisconsin, USA

   



21, जुलाई की शाम को हम शिकागो से मोलिन पहुंचे पर हमारी पुत्रवधु आकांक्षा ने हमें अपने वीकेंड पर घुमाने के कार्यक्रम पहले ही बना रखा था । ये मन को सन्तोष देता है की बच्चे चाहते है कि हम यहां आकर एक दिन भी घर न रुक कर नई नई जगह जाएं और खूब घूमें । उसी तर्ज़ पर अगले दिन सुबह ही हम तैयार होकर नजदीक के एक अन्य अमेरिकी राज्य विस्कॉन्सिन के मेडिसन शहर के लिए रवाना हो गए । 
    इसी बीच हमारा पहला पड़ाव था रास्ते में ही पड़ने वाला स्टेट 🏞️ पार्क जो झील के किनारे बना है । यह   तालाब भी ऐसा ही कि जैसे कोई समुंद्र हो । लगभग 250 किलोमीटर लंबी । इतनी बड़ी जितना बड़ा पूरा हरियाणा प्रांत । अमेरिका ,भारत से तीन गुणा बड़ा देश है जबकि आबादी हम से पांच गुणा कम है । इस देश में इतने बड़े बड़े जंगल, नदियां , झीलें, पर्वत श्रृंखला और रेगिस्तान है जिनका अंदाजा लगाना ही मुश्किल है । देश के एक छोर से दूसरे छोर पर जाने के लिए हवाई जहाज से ही आठ से दस घंटे लग जाते है ।
      आज शनिवार था इसलिए इस नेशनल पार्क में सैंकड़ो लोग घूमने आए थे । इसके किनारे इतने बड़े और विशाल थे जैसे की समुंद्र 🏖️ बीच । और इन पर लोग  नौका विहार, धूप स्नान , और बच्चे रेत में घर बना बना कर खेल रहे थे ।
     इस पार्क जिसे डेविल स्टेट पार्क के नाम से जाना जाता है का विधिवत लोकार्पण सन 1911 में किया गया था ।.    यहां काफी देर रुक कर हम अपने अगले पड़ाव मेडिसन पहुंचे । यह शहर विस्कॉन्सिन राज्य की राजधानी है । अमेरिका का अन्य देशों की तरह कोई पुराना इतिहास नही है । यहां के मूल निवासी इंडियंस है जो कबीलों में रहते थे । सन 1493 में कोलंबस हिंदुस्तान की खोज में रास्ता भटक कर यहां आया और उसने यहां के मूल निवासियों द्वारा इंडियाना इंडियाना कहते ही इसे ही इंडिया माना और यहां ही अपना डेरा लगाया । मूल निवासी सरल और निष्कपट थे अत: उसके बाद तो यूरोप से हजारों लोग यहां आकर बस गए बाद में वे अफ्रीका से भी लोगों को अपना गुलाम बना कर लाए और इस तरह यह देश बन गया ।
    यह नगर भी सन 1838 में वजूद में आया । यह लेक (झील) मंडोला और लेक वाउबेंसा और केगोंसा के तट पर बसा है जो 75 मील अर्थात लगभग 125 किलोमीटर लंबी है ।
 इस शहर में जहां स्टेट सीनेट, सुप्रीम कोर्ट और अन्य प्रमुख दफ्तर है वहीं विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन भी है ,जिसके विभिन्न विभाग 930 एकड़ में फैली है ।
इस यूनिवर्सिटी को देखते हुए हम म्यूजियम ऑफ हिस्टोरिका और वेटरंस पहुंचे । एक में इस राज्य का इतिहास और दूसरे में अमेरिका के दूसरे देशों से युद्ध और वियतनाम ,कोरिया , फिलिपिंस, इराक और अफगानिस्तान में बेवजह दखलंदाजी का इतिहास बताया है । युद्ध किसी भी समस्या का इलाज़ नही है पर इस देश की मज़बूरी है की हथियार निर्माता और विक्रेता होने के कारण युद्धों में शामिल होना और अन्य देशों को उकसाना इसकी नीति है।











 इसके सामने ही स्टेट कैपिटल है जो बिल्कुल ही सफेद रंग में है । इसका गुम्बद 284 फीट ऊंचा है । यह बहुत ही सुंदर और आकर्षक स्थान है जिसमें प्रवेश करते ही काले पत्थर की एक महिला की मूर्ति है जो स्वतंत्रता और मुक्ति की सूचक है । हमारे देश की तरह यहां भी महिला सशक्तिकरण और समानता के नारे तो बहुत है परंतु यथार्थ में पुरुष प्रधान समाज ही है ।





इस बिल्डिंग के चारों तरफ से चार द्वार है जिस के सामने मुख्य मार्ग है । इस भवन में ही 🔔 बेल ऑफ लिबर्टी और अन्य मूर्तियां सजी है ।



    इसी भवन में दूसरी मंज़िल पर विस्कॉन्सिन स्टेट का सुप्रीम कोर्ट भी है और फिर उसके ऊपर की मंजिल पर स्टेट सीनेट है । सबसे ऊपर की मंजिल जो गुम्बद के पास है उससे चारो तरफ का अद्भुत नजारा दिखाई देता है । एक तरफ समुद्र की तरह न दिखने वाले तट की झील इसके दूसरी तरफ म्यूजियम ,पूर्व की ओर मार्केट और पश्चिम की ओर राज्य सरकार के दफ्तर ।  एक चीज बेहद खौफ पैदा करती है नशेड़ी और होमलेस लोगों की हर जगह उपस्थिति । इसमें गोरे - काले दोनों तरह के लोग है । दुनियां  के सबसे विकसित और धनाढ्य देश अमेरिका में क्या इसका निदान नहीं हो पाया ? हमारे देश से भी अनेक लोग काम के सिलसिले में युवा यहां आते है जिनमें से जो लोग पढ़ लिख कर उच्च योग्यता प्राप्त कर वैधानिक रूप से आते है उनका सम्मान भी है और सोशल सिक्योरिटी भी ,परंतु जो लाखो रुपए खर्च कर झूठे सपने देख कर यहां आते है उनका जीवन अपमान और अवसाद का ही रहता है । मेरा अपने भारतीय युवाओं को मशवरा हैं कि कबूतर बाज़ी से यहां आने का कष्ट न करें वरना निराशा ही हाथ लगेगी । जो समझते हैं कि यहां स्वर्ग है तो वे अंधकार में है । किसी भी लालच और बहकावे से बचे और गैर वैधानिक तौर पर यहां आना आपके जीवन को बर्बाद कर देगा ।
    अमेरिका एक विशाल देश है । यहां अनेक संभावनाएं हो सकती है परंतु यह भी याद रखें कि दूर के ढोल सुहावने भी है ।
राम मोहन राय,
Madison, Wisconsin, USA/ 22.07.2023











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