बापू की खोज में - Osterhem, Zutermeer, Netherlands.
(Oetarhem, Zutrmeer, Netherlands)
मेरे प्रिय मित्र श्री राशिद ज़मील (एडवोकेट, सहारनपुर) की सुपुत्री फराह और उनके दामाद मेराज साहब, जो कि ओतरहेम में रहते हैं, ने आज हमें दोपहर के खाने पर अपने घर पर प्रेम पूर्वक निमन्त्रण दिया. बहुत ही लजीज शाकाहारी भोजन उन्होने हमारे लिए तैयार कर परोसा.
खाने के बाद गपशप होने लगी और इसी बीच मेराज साहब ने कहा कि वे हमें हमारी बेहद पसन्दीदा जगह पर ले जाना चाहते है. मेजबान के कहने पर हम उनके साथ हो लिए. उनके घर से महज एक किलोमीटर दूर एक ऐसी जगह थी जिसकी भारत से दस हजार किलोमीटर दूर इस उपनगर में होना अकल्पनीय था.
Oetarhem शहर Zoetrmeer नगर का उपनगर है. ZOETRMEER का अर्थ है मीठे पानी का जलाशय और इसी पर बना है Oetarhem. नीदरलैंड्स की कुल एक करोड़ सत्तर लाख आबादी में मात्र 40 -50 हज़ार ही भारतीय है जबकि इनके अतिरिक्त दो लाख सूरीनामी भारतीय हैं. परंतु देखने में आया है कि गैर भारतीयों में बापू के प्रति असीम श्रद्धा और प्यार है.
देश विदेश में मुझे घूमने, पढ़ने और समझने का अवसर मिला है और हर जगह मैंने पाया है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सब जगह अत्यंत श्रद्धा से लिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि भारत के अतिरिक्त विश्व के अन्य देशों में विभिन्न स्थानों पर उनकी 80 मूर्तियां लगी है और सैंकड़ों स्थानों पर उनकी याद में संस्थान बने है. यह संख्या बेशक बहुत बड़ी है परंतु मेरा मानना है कि यह जानकारी अपर्याप्त है एवं और जानकारी और खोज की ज़रूरत है.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नीदरलैंड्स में चार जगह एम्सटर्डम में एक, हेग के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय मे दूसरी, गांधी सेंटर, भारतीय दूतावास में तीसरी और उत्तरेकत में चौथी जगह बापू की मूर्तियां लगी हैं और मैंने इन चारों जगह जाकर उनके दर्शन भी किए हैं. पर आज मेरा अंदाजा ग़लत साबित हो गया जब यहां ओतरहेम में भी उनकी मूर्ति को पाया.
बापू के जन्म स्थान भारत में उनके नाम पर बनारस और हरिद्वार में गांधी घाट, कन्याकुमारी में समुद्र तट पर उनकी मूर्ति, पटना में गांधी सेतु के दर्शन किए परंतु किसी नहर, नदी और जलाशय का नाम उनके नाम पर नहीं है पर यहाँ नीदरलैंड्स के इस शहर में महात्मा गांधी सिंघल अर्थात नहर और उसके दोनों तरफ की सडकों के नाम उन पर है और इसी नहर और सडकों के एक किनारे पर महात्मा जी की एक मूर्ति लगी है जिसे एक मूर्तिकार रमेश बिष्ट ने तराशा है और जिसका सन 2001 में भारत के तत्कालीन राजदूत पी मेनन और स्थानीय मेयर ने अनावरण किया है.
इसी के साथ ही मैडम कयूरी रोड भी है जिन्हे केमिस्ट्री में शोध करने पर नोबेल पुरस्कार मिला था और साथ ही एक पुल का नाम महात्मा गांधी के अनन्य प्रशंसक और शिष्य नेल्सन मंडेला के नाम पर एक रेल्वे पुल बना है. एक अद्भुत संयोग ही कहा जाएगा कि एक तरफ सत्याग्रह के अनुसंधानकर्ता महात्मा गांधी की स्मृति, दूसरी और विज्ञान की साधिका मैडम कयूरी मार्ग और इनके साथ ही महात्मा जी के सत्य और अहिंसा के साधक नेल्सन मंडेला के नाम पर एक मार्ग से दूसरे को जोड़ने वाला एक ब्रिज.
इस स्थान पर आकर न केवल प्रसन्नता हुई वहीं आनंद की अनुभूति भी कि गांधी के नाम और कार्यों की प्रशस्ति सात समंदर पार भी मन की गति से भी तेज पहुंची हुई है.
उन्होंने सत्य ही कहा था कि उनका जीवन ही उनका संदेश है.
यहां लाने के लिए मेराज अख्तर साहब का बेहद शुक्रिया और उन्हें और उनके परिवार के प्रति हार्दिक शुभकामनाएं और आशीर्वाद.
Ram Mohan Rai,
Oetarhem, Zutrmeer.
Netherlands.
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