सीताराम तो सचमुच में सीता राम ही थे
वे बाल सुलभ और सरल. बिना किसी लाग लपेट के निश्चल एवं मनोरम व्यक्तित्व के थे. उनके जाने से भारतीय राजनीति में एक विद्वान राजनेता , प्रखर वक्ता, तेजस्वी चिन्तक और लेखक खो दिया है.
मैं उन्हें पार्टी से हट कर जानता था. उनकी माता श्रीमती कलपक्कम येचुरी मेरी गुरू माँ निर्मला देशपांडे जी की घनिष्ठ मित्र थी. अन्य कारणों से हट कर एक महत्वपूर्ण कारण यह भी था कि दोनों समान वैचारिक दृष्टि रखती थीं. उनकी आपसी चर्चा सदा अध्यात्म, धर्म और उनके व्यवहारिक प्रयोगों पर होती. उनके इस संवाद के दौरान मैं भी मूकदर्शक रहा. दोनों एक से बढ़ कर एक विदुषी थी. संवाद, सदा रचनात्मक ही रहता. दीदी का सीताराम जी से स्नेह मातृपूर्ण था. राम को किस तरह आत्मसात किया जाता है इसका परिचय माँ ने अपने पुत्र का नाम सीताराम रख कर किया था.
मुझे उनके पहली बार दर्शन का सौभाग्य, दीदी के घर ही हुआ था जब वे दीदी के द्वारा एक इफ्तार पार्टी में अपनी माँ के साथ आए थे. उसी दौरान मुझे भी परिचित होने का सुअवसर मिला था. उसके बाद तो अनेक अवसर मिले और मैं जब भी उनकों दीदी और उनकी माँ के संबन्धों के बारे में बताता तो वे प्रसन्न होते और भावुक भी.
इस पार्टी के बड़े नेताओं में एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद सलीम से भी मेरा परिचय, स्वo निर्मला दीदी के कारण ही हुआ था. सीता राम और सलीम - राम और मोहम्मद की जोड़ी रही है. दिल्ली में तो लगभग सभी मुलाक़ातों में तो सलीम और मेरे एक अन्य मित्र यूसुफ तारीगामी उपस्थित रहे है.
निर्मला देशपांडे जी के जाने के बाद भी उस डोर को जो उन्होंने पकड़ाई थी, उसे सम्भालने का प्रयास जारी रखने की कोशिश कर रहा हूं.
दिन था जब कामरेड हरिकिशन जी सुरजीत के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हम स्वामी अग्निवेश जी के साथ सीपीआई (एम) के दिल्ली स्थित कार्यालय पहुंचे. वहां भी सीताराम जी से मुलाकात हुई. तभी, उन्हें दीदी का स्मरण करवाया तो वे भावुक हो गए और बोले एक एक कर के ऐसे सभी लोग क्यों जा रहे है? जब कि इन सभी की जरूरत आज ज्यादा है.
पुनः मुलाकात हुई जब केरल में भयंकर भूकम्प से बहुत बड़ा नुकसान होने की खबर से हमारे पानीपत के मित्र विचलित थे तथा सहयोग के लिए कुछ आर्थिक मदद करना चाहते थे. डॉ शंकर लाल जी तथा अन्य साथियों के साथ हम
दिल्ली में ए के जी भवन पहुंच कर सीताराम जी से मिले और उन्हें पानीपत के सामान्य नागरिकों द्वारा इकट्ठी की गई धनराशि तथा विशेष रूप से हाली अपना स्कूल के बच्चों द्वारा भेजी गई गुल्लक और मोमबत्तियों को उन्हें भेंट किया. हर बार की तरह उनकी मेज़बानी और चेहरे पर मुस्कान देखने लायक थी.
हरियाणा के जींद में वाम दलों की ओर से एक ज़न सभा आयोजित की गई. साथी इंद्रजीत का आग्रह रहा कि हम भी वहां पहुंचे. बेशक हमारा किसी भी पार्टी में नहीं हैं पर सीताराम जी के वहां पहुंचने की सूचना से हम उत्साहित थे. वहां पहुंचे भी और उनसे मिले भी. उनसे मिलने का अभिप्राय था कि एक ऐसे सुयोग्य शिक्षक से मिलना जो अपने हर शिष्य के प्रति स्नेही था.
मैं जब अमेरिका की यात्रा से लौटा तो वहां Saturday Free school द्वारा कार्यक्रम की प्रकाशित एक रिपोर्ट को उन्हें भेंट करना चाहता था. मोहम्मद सलीम से बात हुई तो वे बोले कि उनकी पार्टी की पोलित ब्यूरो की मीटिंग चल रही है फिर भी आप लंच टाइम में आ जाए, वहां सभी से मुलाकात हो जाएगी. हम नियत समय पर पहुंचे. उनका आग्रह था कि पहले भोजन करो फिर ऑफिस में बैठते हैं. ऐसा बरताव तो एक मातृ स्वरूप व्यक्ति ही कर सकता है. यह उनकी महानता भी थी और साथियों के प्रति प्यार भी. यह सम्मान भी था उनका मेरी गुरु माँ निर्मला देशपांडे जी के प्रति भी. उनके ऑफिस में मुलाकात में इतने तन्मय रहे कि साथियों ने उन्हें सचेत किया कि मीटिंग आरम्भ होने वाली है.
इन्हीं सब उदात्त भावनाओं से समृद्ध थे कामरेड सीताराम जी येचुरी. आने वाली पीढ़ियां कल्पना भी नहीं कर सकती कि नफ़रत के इस माहौल में मोहब्बतों से लबरेज़ कोई सीताराम जी जैसा इंसान होगा.
विनम्र श्रद्धांजली.
Ram Mohan Rai,
General Secretary,
Gandhi Global Family.
14.09.2024
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