My trip to Milan, Italy (सुहाना सफ़र - 3)
मिलान के मुख्य चौक को Piazza Duomo पुकारा जाता है जो मूलतः इटालियन भाषा का शब्द है. यहां के लोगों को अपनी भाषा पर बहुत गर्व है. ऐसा नहीं है कि यहां अंग्रेजी नहीं समझी जाती परंतु यदि कोई गैर इतालवी कुछ शब्द भी उनकी भाषा में बोल दे तो वे उसे बहुत ही आत्मीय होकर सम्मान देते है. वैसे भी इस पूरे देश में दक्षिण एशिया के देशों की संख्या काफ़ी है और खासतौर से बांग्लादेशी लोगों की. हर मोहल्ले में आपको किराने की दुकान ये ही चलाते मिलेंगे और मार्केट में थोड़ी थोड़ी दूर पर खिलौने, मोबाइल चार्जर, पावर बैंक, इयर फोन आदि बेचते हुए भी और वह भी उसी तरह सौदेबाजी करते हुए जैसे अक्सर हम भारतीय बाजार में देखते है. इसलिए हमें भी वहां घूमते हुए भाषा की दिक्कत नहीं रहती है. इस चौंक की खासियत यह है कि इसकी पश्चिम की तरफ़ एक भव्य कैथड्रल है जो लगभग सैंकड़ों वर्ष पुराना है इसके शिखर पर जाने के स्वचालित सीढियों का प्रयोग करना होगा. इसकी खूबसूरती का आलम यह है कि इसकी भव्यता हर किसी को अपनी और आकर्षित करती है. और सामने एक घुड़ सवार वीर सेना नायक बैगोनो की एक मूर्ति लगी है. पूर्व में म्यू