Our trip to the land of Rabindranath Tagore (Traveling is my destiny) Train yatra to Shantiniketan
कोलकाता की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल की राहत पाने के लिए हमने अपना अगला पड़ाव शांतिनिकेतन तय किया। यह यात्रा न केवल एक नए स्थान की खोज थी, बल्कि मन को शांति और प्रकृति के साथ जुड़ने का एक अवसर भी था। हमने पहले से ही हावड़ा स्टेशन से बोलपुर तक की ट्रेन की आरक्षण करवा ली थी, ताकि यात्रा सुविधाजनक और आरामदायक रहे।
सुबह 8.30 बजे, बिमल शर्मा जी हमें लेने अपनी कार के साथ पहुंचे। उनकी मदद से हम समय पर हावड़ा स्टेशन की ओर रवाना हो गए। हावड़ा पुल को पार करते हुए हम स्टेशन पर पहुंचे, जहां प्लेटफॉर्म नंबर 12 से हमने अपनी ट्रेन पकड़ी। रेल यात्रा हमेशा से ही एक सुखद अनुभव रही है, और यह यात्रा भी कुछ खास थी। इस ट्रेन की खासियत यह थी कि इसमें न केवल खाने-पीने की चीजें बेचने वाले थे, बल्कि कुछ विक्रेता प्रसिद्ध लेखकों और साहित्यकारों की किताबें भी बेच रहे थे। वे किताबों की विषय वस्तु और उनकी खासियत को बताते हुए यात्रियों को आकर्षित कर रहे थे। इसके अलावा, ट्रेन में कुछ लोक गायक भी मौजूद थे, जो स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ रबीन्द्रनाथ टैगोर के गीत और संगीत सुनाकर यात्रा को और भी यादगार बना रहे थे।
रास्ते में बारिश शुरू हो गई, जिससे मौसम और भी सुहावना हो गया। ठीक दो घंटे की यात्रा के बाद हम बोलपुर पहुंचे। वहां से हमने एक ई-रिक्शा लिया और शांतिनिकेतन के लिए रवाना हो गए। शांतिनिकेतन में हमारे ठहरने की व्यवस्था रत्न कुठी गेस्ट हाउस में की गई थी। यह गेस्ट हाउस न केवल सुविधाजनक था, बल्कि यहां का शांत और प्राकृतिक वातावरण हमें शहर की भीड़-भाड़ से दूर एक अलग ही दुनिया में ले गया।
शांतिनिकेतन की यह यात्रा हमारे लिए एक तीर्थयात्रा होगी , जो यहां की संस्कृति, कला और प्रकृति के साथ जुड़ने का एक अवसर भी मिलेगा । रबीन्द्रनाथ टैगोर की इस धरती पर आकर हमें उनकी रचनाओं और विचारों को समझने का मौका मिलेगा । यह यात्रा हमारे लिए एक यादगार अनुभव होगी , जिसे हम हमेशा याद रखेंगे।
Ram Mohan Rai,
Kolkata, West Bengal.
17.3.2025
Comments
Post a Comment