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Showing posts from April, 2025

दीदी की छांव में (दीदी निर्मला देशपांडे एक परिचय)

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दीदी निर्मला देशपांडे: एक युग-प्रवर्तक सर्वोदयी संत की जीवन गाथा भारत के स्वाधीनता संग्राम और उसके बाद के सामाजिक-आध्यात्मिक पुनर्जनन में कुछ ऐसी शख्सियतें उभरीं, जिन्होंने अपने विचारों, कार्यों और जीवन से समाज को नई दिशा दी। ऐसी ही एक प्रेरणादायी हस्ती थीं दीदी निर्मला देशपांडे, जिन्होंने गांधीवादी दर्शन और सर्वोदय के सिद्धांतों को न केवल अपने जीवन में उतारा, बल्कि उसे जन-जन तक पहुंचाया। राम मोहन राय जी की स्मृतियों के आधार पर यह लेख दीदी के जीवन, उनके कार्यों और उनके विचारों की अमर गाथा को समर्पित है। प्रारंभिक जीवन और गांधीवादी विचारों से जुड़ाव: निर्मला देशपांडे का जन्म 17 अक्टूबर, 1929 को नागपुर में हुआ था। उनका परिवार शुरू से ही राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन और सामाजिक सुधारों से जुड़ा था। छोटी उम्र से ही वे महात्मा गांधी और संत विनोबा भावे के विचारों से प्रभावित थीं। विनोबाजी की भूदान यात्रा, जो भूमिहीनों को जमीन दिलाने का एक क्रांतिकारी आंदोलन था, ने उनके जीवन को गहरे रूप से प्रभावित किया। इस यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात सर्वोदयी कार्यकर्ता सीता रानी (राम म...

Gandhi Global Family’s Peace Gathering in Utrecht and GGF-URI Collaboration/29.04.2025

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विस्तृत रिपोर्ट: Utrecht में Gandhi Global Family की शांति सभा और GGF-URI सहयोग    30 अप्रैल, 2025 को नीदरलैंड के Utrecht शहर में Gandhi Global Family (GGF) द्वारा आयोजित स्थानीय शांति सभा में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह आयोजन शांति, अहिंसा और वैश्विक भाईचारे के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित था, जो महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित है। इस अवसर पर GGF की नेत्री और United Religions Initiative (URI) की यूरोपीय ट्रस्टी, सुश्री मोर्गाना सिथोव, तथा सुश्री सूसन के प्रेरक विचारों को सुनने का अवसर मिला। दोनों वक्ताओं ने यूरोपीय संघ (EU) के देशों में GGF और URI के परस्पर सहयोग के माध्यम से शांति, अहिंसा और भातृभाव को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। GGF की केंद्रीय समिति के प्रतिनिधि के रूप में मेरी और श्रीमती कृष्णा कांता की उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक उत्साहपूर्ण बनाया। आयोजन का उद्देश्य और महत्व: Utrecht में आयोजित यह शांति सभा GGF के वैश्विक मिशन का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य गांधीवादी सिद्धांतों—अहिंसा, सत्य, और समावेशी समुदाय निर्...

घुमक्कड़ की डायरी-13. Batavia Stad-Bataviahaven, Netherlands/28.04.2025

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घुमक्कड़ की डायरी-13 ( Batavia-Stad-Bataviahaven, Netherlands) आज, 28 अप्रैल 2025 को, मुझे नीदरलैंड्स के लेलीस्टैड में स्थित बटाविया स्टैड फैशन आउटलेट और बटाविया हेवन की यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह यात्रा न केवल एक खरीदारी और पर्यटन का अनुभव थी, बल्कि इतिहास, प्रकृति, और आधुनिकता के अनूठे संगम का साक्षात्कार भी थी। नीदरलैंड्स के इस खूबसूरत कोने ने मुझे अपनी विविधता और आकर्षण से मंत्रमुग्ध कर दिया। इस लेख में, मैं अपनी इस यात्रा का विस्तृत वर्णन हिन्दी में प्रस्तुत कर रहा हूँ, ताकि आप भी इस अनुभव का हिस्सा बन सकें।     लेलीस्टैड की ओर मेरी यात्रा की शुरुआत एम्स्टर्डम से हुई, जो लेलीस्टैड से लगभग 45 मिनट की दूरी पर है। मैंने एम्स्टर्डम सेंट्रल स्टेशन से ट्रेन ली, जो मुझे लेलीस्टैड सेंट्रम स्टेशन तक ले गई। नीदरलैंड्स की ट्रेनें अपनी समयबद्धता और सुविधा के लिए प्रसिद्ध हैं, और यह सफर भी अपवाद नहीं था। खिड़की से बाहर देखते हुए, मैंने फ्लेवोलैंड प्रांत की सपाट और हरी-भरी भूमि को निहारा, जो समुद्र से पुनर्जनन (रेक्लेमेशन) द्वारा बनाई गई है। यह विचार...

घुमक्कड़ की डायरी-12. King's Day-2025. एम्सटर्डम और Almere(Netherlands)में एक रंगीन यात्रा वृतांत.

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घुमक्कड़ की डायरी-12 "किंग्स डे 2025: एम्स्टर्डम और अल्मेरे में एक रंगीन यात्रा वृत्तांत"    26 अप्रैल, 2025 को मुझे नीदरलैंड्स के राष्ट्रीय अवकाश, किंग्स डे, के उत्सव में शामिल होने का अविस्मरणीय अवसर प्राप्त हुआ। यह उत्सव मैंने नीदरलैंड्स के दो जीवंत शहरों—एम्स्टर्डम और अल्मेरे—में मनाया। केसरिया रंग की लहर, सांस्कृतिक प्रदर्शन, और अनोखा मुक्त बाजार इस उत्सव को भारत की होली की तरह रंगीन और उत्साहपूर्ण बनाते हैं।  मेरे इस लेख अविस्मरणीय अनुभव का विस्तृत वर्णन है, साथ ही किंग्स डे के इतिहास और केसरिया पोशाक के महत्व की जानकारी भी दी गई है।   किंग्स डे, जिसे डच में कोनिंग्सडैग कहा जाता है, हर साल 27 अप्रैल को (या यदि 27 तारीख रविवार को हो तो 26 अप्रैल को) नीदरलैंड्स के वर्तमान राजा, किंग विलेम-एलेक्जेंडर के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता है। इस परंपरा की शुरुआत 1885 में  प्रिंसेस डे के रूप में हुई, जब प्रिंसेस विल्हेल्मिना का पांचवां जन्मदिन मनाया गया था। 1890 में विल्हेल्मिना के रानी बनने पर यह  क्वीन्स डे (कोनिंगिनेडैग) बन गया। बा...

राजनीति और हम

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भारत मे लोकसभा के चुनाव है और हम इस बीच अमेरिका चले आये । सवाल वाजिब रहेगा कि क्या एक जागरूक मतदाता का भी फ़र्ज़ नही निभा पाए? हमे भी लगता है कि एक पढ़े लिखे वोटर के नाते यह काम तो होना चाहिए ही था । हमारे परिवार में राजनैतिक परिपक्व माहौल होने की वजह से चुनाव में एक उत्सव सा माहौल रहता था । घर पर ही इलाके का कांग्रेस दफ्तर बनता । माँ न केवल वार्ड की इंचार्ज रहती वहीँ महिला कांग्रेस की नेत्री होने के नाते पूरी विधान सभा व लोकसभा क्षेत्र में अपने दायित्व व भूमिका को पूरा निभाती । पिता जी बेशक सक्रिय राजनीति में नही रहे परन्तु माता जी की वजह से हमेशा उनके सहयोगी रहते । पूरे वार्ड में एक ही पोलिंग स्टेशन हुआ करता और वहाँ पिता जी ही कांग्रेस के पोलिंग एजेंट होते । काम इतना बखूबी करते कि पूरी मतदाता सूची को हिंदी से उर्दू में अपने हाथ से उतार कर ,घर-२ सर्वे करते उसका परिणाम यह रहता कि उन्हें हर वोटर का नाम याद रहता । उस समय महिलाएं अपने पति का नाम गलती से भी नही लेती थी पर क्योकि पिता जी सब को जानते थे इसलिये वे घूंघट में भी महिला वोटर को देखते ही उसके पति का नाम बता देते थे । हमार...