दीदी की छांव में (दीदी निर्मला देशपांडे एक परिचय)
दीदी निर्मला देशपांडे: एक युग-प्रवर्तक सर्वोदयी संत की जीवन गाथा भारत के स्वाधीनता संग्राम और उसके बाद के सामाजिक-आध्यात्मिक पुनर्जनन में कुछ ऐसी शख्सियतें उभरीं, जिन्होंने अपने विचारों, कार्यों और जीवन से समाज को नई दिशा दी। ऐसी ही एक प्रेरणादायी हस्ती थीं दीदी निर्मला देशपांडे, जिन्होंने गांधीवादी दर्शन और सर्वोदय के सिद्धांतों को न केवल अपने जीवन में उतारा, बल्कि उसे जन-जन तक पहुंचाया। राम मोहन राय जी की स्मृतियों के आधार पर यह लेख दीदी के जीवन, उनके कार्यों और उनके विचारों की अमर गाथा को समर्पित है। प्रारंभिक जीवन और गांधीवादी विचारों से जुड़ाव: निर्मला देशपांडे का जन्म 17 अक्टूबर, 1929 को नागपुर में हुआ था। उनका परिवार शुरू से ही राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन और सामाजिक सुधारों से जुड़ा था। छोटी उम्र से ही वे महात्मा गांधी और संत विनोबा भावे के विचारों से प्रभावित थीं। विनोबाजी की भूदान यात्रा, जो भूमिहीनों को जमीन दिलाने का एक क्रांतिकारी आंदोलन था, ने उनके जीवन को गहरे रूप से प्रभावित किया। इस यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात सर्वोदयी कार्यकर्ता सीता रानी (राम म...