शांति का आह्वान. 12.05.2025
दक्षिण एशिया आज एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है। युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, और हमारी सामूहिक विरासत, जो शांति, अहिंसा और एकता पर टिकी है, खतरे में है। यह वह समय है जब सभी शांतिवादी, गांधीवादी, और रचनात्मक संगठनों को एकजुट होकर उठ खड़ा होना होगा। यदि हम अब भी चुप रहे, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। यह आह्वान है उन सभी के लिए जो बुद्ध, महात्मा गांधी, प्रभु ईसा, पैगंबर मोहम्मद, और गुरु नानक के शांति के संदेश को आत्मसात करते हैं। यह आह्वान है उन सभी संगठनों के लिए—ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडैरिटी ऑर्गनाइजेशन, गांधी ग्लोबल फैमिली, अखिल भारत रचनात्मक समाज, एसोसिएशन ऑफ पीपल्स ऑफ एशिया, गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि, हरिजन सेवक संघ, विमेन्स इनिशिएटिव फॉर पीस इन साउथ एशिया, URI aur aaghaz E Dosti जैसे संगठन —जो शांति और एकता के प्रतीक हैं।
●शांति का ऐतिहासिक दायित्व
हमारी साझा विरासत हमें याद दिलाती है कि दक्षिण एशिया के देशों ने साम्राज्यवाद के खिलाफ एकजुट होकर अपनी राष्ट्रीय आजादी की लड़ाई लड़ी थी। यह एकता ही हमारी ताकत थी। महात्मा गांधी ने कहा था, “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।” उनकी अहिंसा और सत्याग्रह की शिक्षाएं आज भी हमें प्रेरित करती हैं कि हम शांति के मार्ग पर चलकर ही अपने देशों की संप्रभुता की रक्षा कर सकते हैं। गांधी जी ने यह भी कहा था, “भारत को आजादी इसलिए चाहिए ताकि वह दुनिया की सेवा कर सके।” यह दायित्व आज हम पर है।
विनोबा भावे, जिन्हें गांधी का सच्चा अनुयायी माना जाता है, ने रचनात्मक कार्यकर्ताओं को “शांति सैनिक” बनने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा, “शांति केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है, यह एक सकारात्मक अवस्था है, जिसमें सभी के लिए न्याय और समानता हो।”विनोबा का यह कथन हमें याद दिलाता है कि शांति स्थापित करने के लिए हमें सक्रिय रूप से कार्य करना होगा।
●विश्व शांति के संदेशवाहक
शांति का संदेश केवल गांधी या विनोबा तक सीमित नहीं है। बुद्ध ने कहा था, “मन की शांति ही सच्ची शांति है।” उनके इस संदेश को अपनाकर हमें अपने भीतर और समाज में शांति स्थापित करने की शुरुआत करनी होगी। प्रभु ईसा ने कहा, “धन्य हैं वे जो शांति स्थापित करते हैं, क्योंकि वे ईश्वर के पुत्र कहलाएंगे।” पैगंबर मोहम्मद ने भी शांति और भाईचारे का संदेश दिया, “जो दूसरों के लिए शांति लाता है, वही सच्चा मुसलमान है।”गुरु नानक ने भी एकता और प्रेम का पाठ पढ़ाया, “नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाने सरबत दा भला।” इन सभी महान आत्माओं का संदेश एक ही है—शांति और एकता के बिना मानवता का कोई भविष्य नहीं है।
● शांति आंदोलन को मजबूत करें
आज जरूरत है कि हम अपने-अपने स्थानों को शांति और एकता के केंद्र बनाएं। हर कार्यकर्ता को एक शांति सैनिक बनना होगा। हमें गांधी के सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाकर दक्षिण एशिया में युद्ध के खतरे को टालना होगा। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, जिन्होंने गांधी के सिद्धांतों को अपनाया, ने कहा था, “अंधेरा अंधेरे को नहीं मिटा सकता, केवल प्रकाश ही ऐसा कर सकता है।” हमारा प्रकाश है हमारी एकता, हमारी शांति की प्रतिबद्धता।
हमें यह भी याद रखना होगा कि हम विश्व शांति आंदोलन का हिस्सा हैं। नेल्सन मंडेला ने कहा था, “शांति कोई सपना नहीं है; यह कठिन परिश्रम से हासिल की जा सकती है।” यह कठिन परिश्रम आज हमसे मांग करता है कि हम अपने देशों में शांति आंदोलनों को मजबूत करें, संवाद को बढ़ावा दें, और युद्ध की आशंकाओं को खत्म करें।
● समय की पुकार
एक शायर ने ठीक ही कहा है, “वक्त सोने का नहीं है।” यह समय चुप बैठने का नहीं, बल्कि उठ खड़े होने का है। हमें अपने दायित्व को समझना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि दक्षिण एशिया शांति और सहयोग का क्षेत्र बने, न कि युद्ध और विनाश का। इसके लिए हमें न केवल अपने देशों में, बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति के लिए काम करना होगा।
●आह्वान
आइए, हम सभी शांतिवादी और रचनात्मक संगठन एकजुट हों। आइए, गांधी, बुद्ध, और अन्य महान शांतिवादियों के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएं। हर गांव, हर शहर, हर घर को शांति का केंद्र बनाएं। हर व्यक्ति को शांति सैनिक बनने की प्रेरणा दें। यह हमारा कर्तव्य है, हमारी जिम्मेदारी है, और हमारी विरासत है।
“शांति का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यह एकमात्र मार्ग है जो हमें मानवता के उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा।”
—महात्मा गांधी
उठिए, समय आ गया है। शांति के लिए, एकता के लिए, और दक्षिण एशिया के भविष्य के लिए—आज और अभी!
Ram Mohan Rai.
Very good initiative. We all should follow the path of Non violence and peace. Violence is negative and destructive. It creates hatred and ill will amongst the people.
ReplyDeleteThanks for your message
ReplyDelete